रिहंद बांध का साथ छोड़ रहा पानी
स्थिति यह है कि रिहंद जलाशय के किनारों पर हर ओर राख के टीले जम गए हैं. मौसम विभाग ने इस वर्ष अधिक गर्मी पड़ने की आशंका जताई है

उत्तर प्रदेश के सुदूर दक्षिण-पूर्व में बसे और देश की 'ऊर्जा राजधानी' के रूप में मशहूर सोनभद्र की पहचान पिपरी इलाके में स्थित पंडित गोविंद वल्लभ पंत सागर रिहंद डैम से भी है. एशिया के बड़े जलाशयों में शुमार रिहंद जलाशय सोनभद्र जिले के ताप विद्युत गृहों के संचालन का आधार स्तंभ भी है. उत्तर प्रदेश सहित मध्य प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों तक फैली रिहंद परियोजना का निर्माण मूलत: विद्युत उत्पादन के लिए किया गया था. लेकिन इसके जलाशय के पानी से नेशनल थर्मल पॉवर कार्पोरेशन (एनटीपीसी), यूपी राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड सहित निजी क्षेत्र की हिंडाल्को, लैंको, अदाणी ग्रुप, रिलांयस आदि बिजली घरों से 20,000 मेगावाट से अधिक बिजली का उत्पादन किया जाता है.
सात दशक पूर्व बने रिहंद डैम का उच्चतम जलस्तर 880 फीट निर्धारित किया गया था जिसे बाद में घटाकर 872 फीट कर दिया गया था. डैम के मुहाने पर 300 मेगावाट क्षमता के रिहंद हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट के 50-50 मेगावाट क्षमता की छह इकाइयों का भी निर्माण किया गया है. देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए ताप बिजलीघरों की अहम भूमिका को देखते हुए शुरू में डैम का 830 फीट स्तर तक के पानी को तापीय बिजलीघरों के लिए आरक्षित किया गया था जिसे बाद में बढ़ा कर 832 फीट कर दिया गया. रिहंद डैम के लिए पानी किस तरह चुनौती बन गया है उसकी एक बानगी देखिए. 3 फरवरी, 2022 को रिहंड डैम का जलस्तर 853 फीट था जो 8 मार्च, 2022 को 848 फीट रह गया था.
एक वर्ष बाद 8 मार्च, 2023 को रिहंद जलाशय का जलस्तर घटकर 844 फीट और एक महीने बाद गर्मी बढ़ने पर 8 अप्रैल को जलस्तर 842.6 फीट रह गया था जो निचले स्तर से महज 10 फीट ही अधिक है. उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के कई पावर प्रोजेक्ट में काम कर चुके हाइड्रो इंजीनियर आर. के. मिश्र बताते हैं, ''नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कई दिशानिर्देशों के बाद भी ताप विद्युत संयत्रों से अब भी रिहंद जलाशय में सीधे राख प्रवाहित की जा रही है. यही नहीं, रिहाइशी इलाकों के अपशिष्ट भी रिहंद जलाशय में बहाए जा रहे हैं. इस वजह से रिहंद डैम की तलहटी में कई फीट राख और अपशिष्ट जमा हो गए हैं जिससे यह जलाशय लगातार उथला होता जा रहा है. भले ही जलाशय में पानी का स्तर 848 फीट दर्शा रहा हो लेकिन असल जलस्तर उससे भी कम है.''
जलाशय में राख का उत्सर्जन रोकने के लिए कई बार गैर-सरकारी संस्थाओं ने एनजीटी में शिकायत की. एनजीटी से सख्त हिदायतें भी दी गईं लेकिन तापीय विद्युत परियोजनाओं की मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही है. अब स्थिति यह है कि रिहंद जलाशय के किनारों पर हर ओर राख के टीले जम गए हैं. मौसम विभाग ने इस वर्ष अधिक गर्मी पड़ने की आशंका जताई है. अगर ऐसा हुआ तो रिहंद डैम में पानी का स्तर अपने न्यूनतम स्तर तक पहुंच जाएगा जिसका असर बिजली उत्पादन पर पड़ेगा. जल विद्युत गृह पिपरी के अधीक्षण अभियंता (परिचालन एवं अनुरक्षण) शशिकांत राय बताते हैं, ''रिहंद जलाशय के न्यूनतम जल स्तर पर लगातार नजर रखी जा रही है. जल स्तर को बनाए रखने पर जरूरत के हिसाब से मुहाने पर स्थित रिहंद हाइड्रो के संयत्रों को जरूरत के अनुसार बंद भी किया जाता है.''