भारत में कितने कुत्ते
दुनिया में रेबीज के 99 प्रतिशत मामलों की वजह कुत्ते हैं. 2012 की पशु गणना में आवारा कुत्तों या स्ट्रीट डॉग की संख्या 1.71 करोड़ थी जो 2019 की जनगणना में घटकर 1.53 करोड़ हो गई जिसकी मुख्य वजह उत्तर प्रदेश में कुत्तों की संख्या का करीब आधा हो जाना है

इनसान के अपने सबसे वफादार दोस्त कुत्ते से रिश्ते बेहद बिगड़ चुके हैं. इस साल जुलाई में लखनऊ में एक बुजुर्ग महिला की उसके ही पालतू कुत्ते के हमले में मौत हो या बीते महीने गाजियाबाद की एक सोसाइटी में लिफ्ट के भीतर बच्चे को काटने का वाकया—कुत्तों की आक्रामकता बर्दाश्त से बाहर हो रही है लेकिन नियम-कानून इस मसले पर और उलझे हुए हैं. एक तरफ नागरिकों को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिला जीवन का अधिकार है तो दूसरी तरफ पशु क्रूरता से जुड़ा कानून, जिसके तहत कुत्तों पर हिंसा में इनसान को जेल भेज दिया जाता है.
कुत्ते के काटने से हुए जान के नुक्सान का कोई हर्जाना सरकार नहीं देती. लोगों को इलाज भी खुद कराना होता है. कुत्ता प्रेमी स्थिति को और गंभीर बना रहे हैं. शहरों और सोसाइटियों में कुत्ता प्रेमी और कुत्ता पीडि़तों की कशमकश काफी गहरी हो गई है. कुत्तों से निपटने का जिम्मा राज्य सरकार, नगर निगम और गांवों में पंचायत का है. वे समस्या के हिसाब से समाधान कर सकते हैं. बहरहाल, देश के कई हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी इससे जुड़े केस चल रहे हैं.
12 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट ने पशु कल्याण बोर्ड से कुत्ते के काटने के राज्यों और प्रमुख शहरों के 7 साल के आंकड़े और रोकथाम के कदमों की जानकारी मांगी. अगर 2021 के आंकड़ों को आधार बनाएं तो देश में कुत्ते समेत अन्य जानवर 19,938 लोगों को रोज काटते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन कहता है कि दुनिया में रेबीज के 99 प्रतिशत मामलों की वजह कुत्ते हैं.
2012 की पशु गणना में आवारा कुत्तों या स्ट्रीट डॉग की संख्या 1.71 करोड़ थी जो 2019 की जनगणना में घटकर 1.53 करोड़ हो गई जिसकी मुख्य वजह उत्तर प्रदेश में कुत्तों की संख्या का करीब आधा हो जाना है. भारत में 53 करोड़ से ज्यादा पालतू पशु हैं और कई उपयोगी पशुओं की संख्या भी घटती जा रही है.
26 याचिकाएं
सुप्रीम कोर्ट में सुनी जा रही हैं कुत्तों के काटने और इनसे जुड़े खतरों के मसलों पर
1.53 करोड़
आवारा कुत्ते हैं भारत में, यह सूचना सरकार ने संसद में दी
53.57 करोड़
कुल संख्या है पालतू पशु या पशुधन की देश में, 2019 की पशु गणना के अनुसार. यह 2012 की गणना के मुकाबले 4.6 प्रतिशत अधिक है
1.2 लाख
गधे हैं देशभर में और इनकी संख्या 2012 की पशु गणना के मुकाबले 61 प्रतिशत कम हो गई है
19.24 करोड़
गाय-बैल हैं जिनमें सिर्फ गायों की संख्या 14.51 करोड़ हैं