सिनेमाः मायूसी का आलम

पूरा निर्माता, वितरक समुदाय जोखिमों के बारे में अधिक जानता है. उन्हें उम्मीद है कि उद्योग दूसरी लहर के बाद की तुलना में ज्यादा जल्दी वापसी करेगा

कोविड से जल्दी वापसी
कोविड से जल्दी वापसी

यह सिनेमाघरों के लिए तयशुदा पटकथा के मुताबिक ही हो रहा है. 16 दिसंबर को मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष कमल ज्ञानचंदानी ने बड़े उत्साह से एक प्रेस रिलीज में कहा, ''बड़ा परदा वापस आ गया है.'' फिल्म उद्योग सूर्यवंशी, स्पाइडर-मैन: नो वे होम और पुष्पा की सफलता का जश्न मना रहा था. मार्वल फ्रैंचाइजी ने बॉक्स ऑफिस पर 202 करोड़ रुपए की कमाई की थी जबकि अल्लू अर्जुन-स्टारर पुष्पा: चैप्टर-I 200 करोड़ रुपए पार कर चुकी है. 2022 में अधिक भीड़जुटाऊ फिल्में कतार में थीं इसलिए माहौल में आशा थी. लेकिन तभी रंग में भंग डालने वाले कोविड 19 की वापसी ओमिक्रॉन वैरिएंट के रूप में हो गई.

तीसरी लहर का पहला बड़ा शिकार एस.एस. राजमौलि की 550 करोड़ रुपए की ऐक्शन पीरियड ड्रामा आरआरआर थी. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में सिनेमाघरों के बंद होने और कई राज्यों में दर्शकों की संख्या को 50 फीसद तक कम करने के साथ, निर्माताओं के पास एक बार फिर रिलीज टालने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. ट्रेड रिपोर्ट के अनुसार फिल्म के प्रचार पर पहले ही 18-20 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं.

फिर भी, फिल्म उद्योग अभी बेचैन नहीं है. उम्मीद है कि तीसरी लहर में मौतें और अस्पताल में भर्ती होने के मामले कम होंगे. सिनेमाघर के मालिक और प्रदर्शक अक्षय राठी कहते हैं, ''यह एक या दो महीने हमारे धैर्य की परीक्षा होगी, लेकिन इसके बाद निश्चित रूप से लगता है कि फिल्में सिनेमाघरों में आएंगी.'' वे कहते हैं, ''अब हम जानते हैं कि लोग बड़ी संख्या में सिनेमाघरों में वापस आना चाहते हैं; उपभोग की आदतों में बदलाव नहीं आया है.'' इसका प्रमाण सूर्यवंशी की सफलता है जिसने बॉक्स ऑफिस पर 192 करोड़ रुपए कमाए, इसका महत्वपूर्ण हिस्सा महाराष्ट्र से आया जहां सिनेमाघर आधी क्षमता पर चल रहे थे.

सिनेमाः मायूसी का आलम

यह माना जा रहा है फिल्म प्रदर्शन उद्योग में एक और तिमाही आदमनी कम रहने वाली है. पहली हिंदी फिल्म अब अप्रैल में रिलीज होने की बात मानने वाले फिल्म ट्रेड एनालिस्ट हिमेश मांकड़ कहते हैं, ''हमारी जल्दी रिओपनिंग और रिकवरी से पता चलता है कि इसमें कम से कम तीन महीने लगेंगे.'' वे कहते हैं, ''रिलीज की तारीखें टाली जा रही हैं, लेकिन डर कोविड का नहीं है बल्कि माहौल के कारण है कि रिलीज के बाद महाराष्ट्र बंद हो जाता है तो क्या होगा.'' इसका गंभीर अंदेशा है कि मुंबई में जनवरी में रोजाना 10,000 से अधिक केस दर्ज होने वाले हैं.

इस बारे में पहले से ही चर्चा है कि कैसे 2022 के हिंदी फिल्म कैलेंडर में बड़ा फेरबदल होगा, जिसमें निर्माता रिलीज की तारीखों को आगे बढ़ाएंगे और अगली आकर्षक तारीख के लिए आपस में भिड़ेंगे. प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के सीईओ नितिन तेज आहूजा कहते हैं, ''यह सिर्फ देरी से रिलीज नहीं है, इसका मतलब निवेश किए पैसे पर काफी बढ़ता ब्याज भी है.''

यहां तक कि एक छोटा-सा व्यवधान भी एक ऐसे उद्योग के लिए महंगा साबित होगा, जिसने 2019 में अपना कुल घरेलू बॉक्स ऑफिस राजस्व 11,500 करोड़ रुपए देखा हो और वह 2020 में गिरकर 2,500 करोड़ रुपए पर आ गया हो. 78 फीसद की गिरावट की यह जानकारी मार्च, 2021 में प्रकाशित ईवाइ और फिक्की मीडिया ऐंड एंटरटेनमेंट रिपोर्ट में दी गई है. परिदृश्य 2021 में भी बेहतर नहीं रहा. मिसाल के तौर पर, हिंदी फिल्म बॉक्स ऑफिस ने 2019 के 3,900 करोड़ रु. की तुलना में केवल 500 करोड़ रुपए की कमाई की, जो 87 फीसद कम है. राजस्व में गिरावट के साथ, फिल्म निर्माण लागत में वृद्धि हुई क्योंकि निर्माताओं को कलाकारों और कर्मचारियों के बड़े पैमाने पर परीक्षण, कोविड बीमा और सेटों की सफाई के लिए अलग से पैसा लगाना पड़ा. कई निर्माताओं को कोरोना प्रतिबंधों के कारण प्रोडक्शन मुंबई से बाहर ले जाना पड़ा, जिससे आर्थिक बोझ पड़ा.

उद्योग में पहले से ही अधिकतर निर्माता डायरेक्ट-टू-ओटीटी रिलीज रूट अपना रहे हैं. ट्रेड एक्सपर्ट मनोबाला विजयबलन ने ट्विटर पर साझा किया कि एक प्रमुख स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म बाहुबली फेम स्टार प्रभास अभिनीत राधे श्याम के निर्माताओं को सिनेमाघरों में प्रदर्शन को छोड़ने के एवज में 400 करोड़ रुपए की पेशकश कर रहा था. मांकड़ का मानना है कि ''मझोले बजट की बहुत सारी फिल्में'' स्ट्रीमिंग का विकल्प चुनेंगी, क्योंकि सिनेमाघरों में हाल ही में सारी कमाऊ फिल्में बड़े पर्दे के शाहकार ही हैं. वे कहते हैं, ''दर्शकों को पता है कि ऐसी फिल्म चार सप्ताह के भीतर ओटीटी प्लेटफॉर्म पर आ जाएगी.'' आहूजा उन मजबूरियों के प्रति सहानुभूति रखते हैं जो निर्माताओं को स्ट्रीमिंग पर ले जाती हैं. आहूजा कहते हैं, ''कोई इस मसले को थिएटर बनाम डिजिटल का रंग देने की कोशिश करता है. एक निर्माता के दृष्टिकोण से, आप स्पष्ट रूप से दोनों हाथों में लड्डू चाहते हैं. लेकिन एक फिल्म को कितने समय तक रोक सकते हैं, इसकी एक सीमा होती है. बड़े निर्माता यह मानते हुए कि सिनेमाघरों से पैसा आएगा भविष्य की योजना बना सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है क्योंकि फिल्में अटक गई हैं.''

क्या यशराज फिल्म्स जैसे बड़े स्टूडियो, जिन्होंने अब तक ओटीटी के प्रस्तावों का विरोध किया है, पृथ्वीराज (अक्षय के साथ पीरियड ड्रामा) और जयेशभाई जोरदार (रणवीर सिंह के साथ सोशल कॉमेडी) जैसी बड़ी फिल्मों के लिए अपनी रणनीति पर पुनर्विचार शुरू कर देंगे. वापसी का रास्ता अनिश्चित है, लेकिन परिस्थिति से निपटने के तरीकों से सभी परिचित हैं. 

पीवीआर पिक्चर्स के सीईओ ज्ञानचंदानी कहते हैं, ''पूरा निर्माता, वितरक समुदाय जोखिमों के बारे में अधिक जानता है.'' उन्हें उम्मीद है कि उद्योग दूसरी लहर के बाद की तुलना में ज्यादा जल्दी वापसी करेगा. यह दृढ़ विश्वास हाल के रुझानों से उपजा है जैसे कि हालिया रिलीज स्पाइडर-मैन अब तक की दूसरी सबसे बड़ी एडवांस बुकिंग रिकॉर्ड कर रहा है. वे कहते हैं, ''सिनेमाघर वाकई वापसी कर चुके हैं.'' महामारी केवल एक मध्यांतर है, इसके बाद भी इंडस्ट्री चलती रहेगी.

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