बिहारः जात न पूछो 'इश्क’ की

तेजस्वी-रेचल के अंतरधार्मिक विवाह पर बस थोड़ी हलचल हुई लेकिन बिहारी समाज ने इसे ज्यादा हवा न देकर साबित कर दिया कि वो सचमुच प्रगतिशील है.

खूबसूरत जोड़ी शादी के बाद नई नवेली दुल्हन रेचल के साथ तेजस्वी
खूबसूरत जोड़ी शादी के बाद नई नवेली दुल्हन रेचल के साथ तेजस्वी

पुष्यमित्र

सुप्रीम कोर्ट ने 'अपनी पसंद के व्यक्ति से विवाह के अधिकार’ को भारतीय संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत दिए गए अधिकारों का हिस्सा बताया है बावजूद इसके हमारे समाज की बुनावट कुछ ऐसी है कि वह इंटरफेथ मैरिज यानी अंतरधार्मिक विवाह को इतनी सहजता से स्वीकार नहीं कर पाया है. खासतौर से तब जब इंटरफेथ मैरिज करने वाला को राजनेता हो. और वो राजनेता भी खांटी बिहारी हो.  

पिछले दिनों जिस रोज अभिनेता विक्की कौशल की शादी अभिनेत्री कैटरीना कैफ के साथ हो रही थी, उसी दिन बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी अपनी प्रेयसी रेचल गोदिनाहो के साथ वैवाहिक बंधन में बंध गए. संयोग ऐसा रहा कि दोनों इंटरफेथ यानी दो अलग-अलग धर्म के मानने वालों की शादी थी और दोनों युगलों में दूल्हा हिंदू और दुल्हन क्रिश्चिन थे.

मगर जहां शादी के बाद विक्की कौशल और कैटरीना के रोमांस और पारिवारिक जीवन के किस्से मीडिया में आने लगे. कुछ सवाल उठे भी. मसलन हिंदू मैरिज एक्ट के तहत हिंदू और क्रिश्चिन की आपस में शादी नहीं हो सकती.  

तेजस्वी-रेचल विवाह के बाद जो पहली खबर निकली वह यह कि शादी से पहले रेचल का धर्म, नाम और टाइटल सब बदल दिया गया है. वह हिंदू हो गई है, उसका नाम अब रेचल नहीं राजेश्वरी होगा और तेजस्वी ने खुद आकर बताया कि उसका टाइटल तो 'यादव’ ही होगा.

जाहिर है नाम ये बदलाव उनकी राजनीतिक मजबूरी हो. पर दावा है कि सब राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की सहमति से हुआ है. ये एक मिसाल भर है कि बिहार जैसे जागरुक प्रांत में शादी जैसा पर्सनल मामला भी कैसे पोलिटिकल हो जाता है. ये कोई पहला और अकेला मामला नहीं है. बिहार के कई बड़े राजनेताओं ने इंटरफेथ शादियां की हैं.
 
संघ के दफ्तर में हुई थी सुशील मोदी की शादी
पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से पहले बिहार के एक और मशहूर पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी इंटरफेथ विवाह कर चुके हैं. उनकी शादी भी क्रिश्चिन महिला से हुई है. दिलचस्प है कि उनकी पत्नी जेस्सी जार्ज अपना नाम जेस्सी मोदी लिखती हैं. अपनी शादी के बारे में बताते हुए सुशील कुमार मोदी कहते हैं, ''एक रेल यात्रा में जेस्सी से मुलाकात हुई थी.

वे केरल की कैथोलिक इसाई धर्म से रिश्ता रखती थीं. उनसे मिलना-जुलना हुआ, नजदीकियां बढ़ीं और फिर तय हो गया कि हम शादी कर लेंगे. मगर जेस्सी का धर्म परिवर्तन नहीं हुआ. हमारी शादी पहले स्पेशल मैरिज एक्ट से हुई, फिर आर्य समाजी विधि से. हां, अब वे अपना नाम जेस्सी मोदी लिखने लगी हैं, मगर उनका सर्टिफिकेट नेम जेस्सी जार्ज ही है.’’

अपने शादी के दिन को याद करते हुए सुशील मोदी अचानक रोमांचित हो जाते हैं- ''पटना के आरएसएस कार्यालय के शाखा मैदान में बड़ा सा मंच बना था. उसी मंच पर आर्य समाजी विधि से शादी हुई. अमूमन संघ को आज भी दकियानूसी माना जाता है. मगर हमारी शादी में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी समेत भाउराव देवरस, गोविंदाचार्य और नानाजी देशमुख जैसे संघ के कई बड़े नेता पहुंचे थे.

मंच के बैकग्राउंड में भारत माता का चित्र बना था. हालांकि यह आयोजन बहुत लंबा और भव्य नहीं था. कुल एक घंटे का कार्यक्रम था. शादी हुई, फिर कुछ बड़े नेताओं ने आकर आशीर्वाद स्वरूप पांच-पांच मिनट का भाषण दिया.’’ वे कहते हैं, हमने सादगी का ख्याल रखा. मेहमानों के बीच सिर्फ कोल्ड ड्रिंक और बर्फी बंटी. करीब ढाई हजार मेहमान आए थे.

इस तरह एक मैसेज गया कि संघ जात और धर्म की दीवारों को नहीं मानता. जब यह पूछा गया कि क्या आपकी शादी चर्च में भी हुई तो थोड़ी झिझक के साथ वे बोले, नहीं. चर्च में नहीं हुई. हालांकि जेस्सी अभी भी कभी-कभी चर्च जाती हैं. हमारे घर में दोनों धर्मों के त्योहार मनाए जाते हैं. होली-दीवाली भी और क्रिसमस भी.’’

शाहनवाज भी बंधे इंटरफेथ बंधन में
सुशील मोदी भाजपा के नेता हैं. इसलिए उनकी यह इंटरफेथ शादी सहज ही लोगों को आकर्षित करती है. हालांकि उनके एक अन्य साथी भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन ने भी इंटरफेथ शादी ही की है.

वे फिलहाल बिहार सरकार में उद्योग मंत्री हैं. उनकी शादी के किस्से मीडिया में लंबे समय से प्रचलित हैं. उनकी शादी के 27 साल बीत गए हैं, मगर शाहनवाज हुसैन और रेणु हुसैन की हाल की तसवीरों में भी वह मुहब्बत झलकती है, जो उनकी इस इंटरफेथ शादी की बुनियाद है.

''अब तो 27 साल बीत गए. हमारे बच्चे भी बड़े हो गए. अब हमारी लव स्टोरी कितना छापिएगा. बच्चे कहेंगे कि मम्मी-पापा अभी भी स्पेस नहीं छोड़ रहे.’’ शाहनवाज की निश्छल हंसी में साफ उनकी इश्क अब तक साफ झलकता है. फिर वे खुद बताने लगते हैं, ''रेणु जी स्कूल में पढ़ाती थीं.

वे जिस बस से स्कूल जाती थीं, उसी से हम भी जाते थे. एक दिन बस में भीड़ थी, उन्हें सीट नहीं मिली तो हमने सीट छोड़ दिया. दूसरे दिन फिर ऐसा ही हुआ. फिर तो हमारी दोस्ती हो गई. बिल्कुल फिल्मी है, हमारी लव स्टोरी. एक रोज बैडमिंटन खेलते वक्त हमारे अंगूठे से खून निकलने लगा तो वहां खड़ी रेणु जी अपना दुपट्टा फाड़ कर मेरे अंगूठे को बांध दिया. फिर प्यार तो होना ही था.’’

वे कहते हैं, ''तब मंदिर आंदोलन का दौर था. मैं भाजपा के युवा मोर्चा का पदाधिकारी था. मैं सुन्नी सैयद था और वे ब्राह्मण थीं. रेणु शर्मा उनका नाम था. शादी कैसे हो, दोनों परिवार राजी नहीं था. बड़ा विरोध था. हमने भी नौ साल तक संघर्ष किया. फिर शादी हुई. हमने तो प्यार किया था, वह पुराना गीत है ना-''जब प्यार करे कोई तो देखे केवल मन.’’ 

मगर जब यह पूछा कि शादी कैसे हुई, क्या धर्म परिवर्तन भी हुआ तो वे बोले, कुछ बातें निजी होती हैं, उन्हें निजी ही रहने दें. कहने लगे कि घर में भी शादी हुई और शादी को हमने कोर्ट में भी रजिस्टर कराया. रेणु जी का नाम वही है, बस उन्होंने शादी के बाद अपना टाइटल बदल कर हुसैन कर लिया है.

वे सोशल मीडिया में खुद को रेणु हुसैन लिखती हैं. उनका अपना व्यक्तित्व है. शिक्षक हैं, कविताएं लिखती हैं. और आप लोग तो जानते ही हैं कि हमारे यहां हर तरह के त्योहार मनाए जाते हैं. मेरी शादी का मेरी राजनीति से कोई लेना-देना नहीं. यह दो निजी लोगों का फैसला है. हमरी शादी भी बहुत सादे तरीके से हुई.’’ 

पप्पू यादव की प्रेम कथा
शाहनवाज की तरह एक और राजनेता की इंटरफेथ लव स्टोरी मीडिया में आती रहती है. वह है पप्पू यादव और रंजीत रंजन की प्रेम कहानी. पप्पू खुद को सनातनी और आनंद मार्गी बताते हैं, ''रंजीत सिख धर्म से रिश्ता रखती हैं. दिलचस्प है कि दोनों पति-पत्नी राजनीति में भी हैं और समान रूप से सफल रहे हैं.

अपनी शादी के बारे में बताते हुए पप्पू कहते हैं, मैं तो रंजीत जी से शादी करने के लिए सिख बनने को तैयार था. मगर हमारे ससुराल वालों ने ही मना कर दिया, कहा नहीं, जो जैसे हैं, वैसे ही रहें.’’ वे कहते हैं, हमारी शादी आनंद मार्गी विधि से भी हुई और पूर्णिया गुरुद्वारे में भी. वे खास तौर पर जोर देकर कहते हैं, ''हिंदू विधि से नहीं हुई. आनंद मार्गी विधि में 15 से 20 मिनट में शादी हो जाती है. गुरुद्वारे में भी बहुत वक्त नहीं लगता.’’ 

उनकी शादी पूर्णिया के कॉलेज मैदान में हुई. पप्पू बताते हैं कि 1994 में हुई उस शादी में लालू यादव, देवीलाल जैसे बड़े नेता और कई राज्यों के मुख्यमंत्री आए थे. काफी भीड़ हुई थी. दो और बड़े नेताओं राज्य के पूर्व वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी और कदवा के कांग्रेस विधायक डॉ. शकील अहमद खान ने भी इंटरफेथ शादी की है. मगर वे दोनों इस मौके पर अपनी शादी का जिक्र करने से बच रहे हैं.

अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि फिलहाल इस मौके पर रहने दें. वहीं डॉ शकील अहमद खान की पत्नी चंद्रकांता जी ने इसे निजी पसंद बताते हुए कहा कि हर कोई अपने हिसाब के फैसले लेने के लिए स्वतंत्र है.

राजद से जुड़े साहित्यकार और विचारक प्रेम कुमार मणि इस मसले पर कहते हैं कि सबसे पहले तेजस्वी की इस शादी को एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जाना चाहिए और यह इस बात का प्रतीक है कि बाहर से सोया हुआ दिखने वाला बिहार अंदर से कितना प्रगतिशील है. इस शादी के बाद यह बड़ी रोचक बात हुई कि कहीं से किसी ने इस शादी का विरोध नहीं किया.

धर्म, नाम और टाइटल बदलने की बात पर वे कहते हैं, रेचल का धर्म परिवर्तन हुआ है या नहीं यह उन्हें नहीं मालूम, अगर हुआ भी हो तो यह उनके व्यन्न्तिगत पसंद का मसला है. नाम बदलने के मसले को भी बहुत तूल नहीं दिया जाना चाहिए..  यह संभवत: इसलिए हुआ.

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