रजनीकांतः नेता बनने से इनकार के मायने
रजनीकांत अगर अपना ''राजनैतिक सफर जारी रखते हैं'' जैसा कि वे कह रहे हैं तो संभव है विधानसभा चुनावों से ठीक पहले वे कोई ऐसा बयान दे सकते हैं

तमिल फिल्मों के महानायक रजनीकांत ने चुनावी राजनीति में कदम रखने से पहले ही 29 दिसंबर को घोषणा की कि वे चुनावी राजनीति से दूर रहेंगे. रजनीकांत को हाल ही में रक्तचाप में उतार-चढ़ाव के कारण भर्ती किए जाने के बाद अस्पताल से छुट्टी मिली. उन्होंने बड़ी सावधानी से तीन पन्नों का बयान पढ़कर यह घोषणा की. कुछ दिन पहले हैदराबाद स्थित रामोजी फिल्म सिटी में रजनीकांत की अन्नाथे फिल्म की शूटिंग से जुड़े चार कर्मचारियों को कोरोना हुआ लेकिन 70 वर्षीय अभिनेता संक्रमण से साफ बच गए, फिर भी उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए वे सक्रिय राजनीति में नहीं उतरना चाहते हैं.
उन्होंने कहा कि रक्तचाप की समस्या भी उनकी ट्रांसप्लांट हुई किडनी के लिए परेशानी खड़ी कर सकती है. उन्होंने कहा, ''अस्पताल में भर्ती होना मेरे लिए ईश्वर की चेतावनी है. महामारी के समय में चुनाव प्रचार मेरे स्वास्थ्य पर असर डाल सकता है. मैं राजनीति में उतरे बिना ही लोगों की सेवा करूंगा.''
आरएसएस विचारक और तमिल राजनैतिक साप्ताहिक पत्रिका तुगलक के संपादक एस. गुरुमूर्ति, जिनसे रजनीकांत ने राजनीति में उतरने के बारे में परामर्श किया था, ने ट्वीट किया है कि सुपरस्टार अब भी उसी तरह प्रभावशाली होंगे जैसा वे 1996 के चुनावों में थे जब सत्ताधारी अन्नाद्रमुक की मुख्यमंत्री जे. जयललिता को हार का मुंह देखना पड़ा था.
रजनीकांत के बयान, जिसमें उन्होंने वादा किया था कि वे लोगों के लिए जो भी अच्छा होगा वह करेंगे, के अंतिम पैराग्राफ से पहले वाली लाइनों का उल्लेख करते हुए गुरुमूर्ति कहते हैं कि इस अभिनेता ने भविष्य की संभावित भूमिका के बारे में अपना विचार जाहिर किया था. उसी दिन अन्नाद्रमुक के मंत्री डी. जयकुमार ने कहा कि रजनीकांत भले राजनीति में न आएं लेकिन उन्हें उनका समर्थन मिलता रहेगा.
यह 2021 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के साथ गठबंधन का संकेत है. रजनीकांत अगर अपना ''राजनैतिक सफर जारी रखते हैं'' जैसा कि वे कह रहे हैं तो संभव है विधानसभा चुनावों से ठीक पहले वे कोई ऐसा बयान दे सकते हैं जिसमें वे वोटरों से उन लोगों को वोट देने की अपील कर सकते हैं जो ईश्वर में विश्वास करते हैं.