मध्य प्रदेशः कारोबार बढ़ाने का प्रयास
कमलनाथ उद्योग जगत के सामने मध्य प्रदेश को पेश कर रहे हैं. यह सकारात्मक है लेकिन क्या परिस्थितियां अनुकूल हैं?

इस बात से अच्छी तरह से वाकिफ होकर कि व्यवसायों को आगे बढ़ाने वाले नेता के तौर पर उनकी छवि का यह कड़ा इम्तिहान होगा, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 18 अक्तूबर को इंदौर में अपनी दस महीने पुरानी सरकार की पहली निवेशक बैठक आयोजित की. उद्घाटन के मौके पर कमलनाथ ने उद्योग क्षेत्र के प्रमुखों और प्रतिनिधियों को अपने संबोधन में कहा, ''मैं चाहता था कि यह बैठक अपरंपरागत तरीके की हो. इसीलिए मैं आपको यह बताऊंगा कि यह बैठक किस बारे में नहीं है, बजाए इस बात के कि यह किस बारे में है. यह कोई तमाशा या मेला नहीं है और न ही एमओयू पर दस्तखत कराने की कोई होड़ है. हमारे पास आपको पेश करने के लिए कुछ है और इसीलिए हमने आपको यहां आमंत्रित किया है.''
एमओयू आधारित रवैया देखने-सुनने में तो बहुत अच्छा लगता है लेकिन पिछले रिकॉर्ड बताते हैं कि वास्तविक निवेश, वादा किए गए निवेश का एक मामूली सा हिस्सा ही होता है. इसके विपरीत 'मैग्निफिसेंट मध्य प्रदेश' में करीब आधा दर्जन प्रमुख उद्योगपति और करीब 800 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. इनमें प्रमुख नाम उन लोगों के थे जो पहले ही मध्य प्रदेश में काफी निवेश कर चुके है, जैसे कि अदि गोदरेज, इंडिया सीमेंट्स के एन. श्रीनिवासन, आइटीसी के संदीप पुरी, विक्रम किर्लोस्कर, सन फार्मा के दिलीप सिंघवी, एचईजी लि. के रवि झुनझुनवाला और ट्राइडेंट समूह के राजिंदर गुप्ता. और, ये सभी लोग मध्य प्रदेश के ब्रांड एंबेसडर के तौर पर बोले.
रिलायंस के मुकेश अंबानी ने एक रिकॉर्डेड वीडियो संदेश में कहा कि वे राज्य में 45 जगहों पर कुल करीब एक करोड़ वर्ग फुट इलाके में अपने वितरण केंद्र स्थापित करेंगे. प्रमुख सचिव, उद्योग, राजेश राजोरा ने कहा कि पिछले दस महीने में कुल 31,500 करोड़ रुपए मूल्य के पुख्ता निवेश प्रस्ताव मिले हैं जिनसे करीब 103,000 लोगों को रोजगार मिलेगा. सूत्रों का कहना है कि 18 अक्तूबर की शाम तक 74,000 करोड़ रुपए मूल्य के निवेश प्रस्तावों पर चर्चा हो चुकी थी.
उद्योग को आकर्षित करने के प्रयास में, नाथ सरकार ने इस आयोजन से पहले कई सारी रियायतों की घोषणा की. मृतप्राय पड़े रियल एस्टेट क्षेत्र में जान फूंकने के लिए जमीन की सर्किल रेट में 20 फीसद की कटौती की गई. लाइसेंसों के लिए जरूरी दस्तावेजों की संख्या भी 27 से कम करके पांच कर दी गई है और इंदौर के निकट पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में लैंड-पूलिंग की एक पायलट नीति लागू की गई है.
महत्वपूर्ण बात यह भी है कि कमलनाथ ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अगर कोई भी मसला न सुलझ रहा हो तो व्यवसायियों के लिए उनके दरवाजे हमेशा खुले हैं.
मध्य प्रदेश सरकार ने करीब-करीब बैठक के समय पर ही सामने आई रोजगार संबंधी एक रिपोर्ट का भी भरपूर फायदा उठाया. सेंटर फॉर मानिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआइई) की ताजा रिपोर्ट में यह कहा गया कि मध्य प्रदेश में रोजगारविहीनता दिसंबर 2018 में अपने चरम पर यानी 7 फीसद थी और वह सितंबर 2019 में गिरकर 4.2 फीसद हो गई थी. संयोग से यह वही अवधि है जिसमें कमलनाथ सरकार ने राज्य में शासन संभाला था.
लेकिन क्या कमलनाथ सरकार व्यवसायियों के प्रति नौकरशाही की उदासीनता जैसे विरासत में मिले मसलों से पार पा पाएगी? इसके अलावा अर्थव्यवस्था में सुस्ती और कर्ज हासिल करने में मुश्किलें भी बड़ी चुनौती हो सकती हैं. विपक्ष भी कोई खास प्रभावित नजर नहीं आता. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह कहते हैं, मध्य प्रदेश तो पिछले 15 वर्षों में भाजपा सरकार की ओर से की गई 'कड़ी मेहनत' के कारण ही शानदार है.
कमलनाथ कहते हैं, ''मेरे सामने इस बात का खाका है कि अब से पांच साल बाद मध्य प्रदेश कैसा नजर आएगा और मैं वहां से उलटा काम कर रहा हूं.''
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