नृत्य-केंद्र पर घूमते हुए

जिया नाथ आध्यात्मिक नृत्य की अपनी शैली को मजहबी सरहदों से आगे ले जाना चाहती हैं

जिया नाथ
जिया नाथ

जिया नाथ ने पहली बार पुणे के ओशो आश्रम में आध्यात्मिक नृत्य देखा था. उन्हें याद है किस तरह वे एक दूसरी ही दुनिया में चली गई थीं. नाथ ने अगले पांच साल इस नृत्य की गतियों के बारे में जानने-समझने में लगाए, जिनमें दरवेशों की तरह एक की जगह पर गोल घूमना शामिल था.

अब 25 साल बाद नाथ जानी-मानी नृत्यांगना हैं जिन्होंने गुरजेफ (पवित्र नृत्य की एक शृंखला) और ओडिशी की दीक्षा ली है. लोगों को व्हर्लिग सिखा चुकी नाथ कहती हैं, ''गोल घूमना एक स्वाभाविक चीज है. यह अपने भीतर की खोज के लिए खुला मैदान है.''

वे दिन में कपाल थेरेपी का काम करती हैं, जो उनका ज्यादातर ध्यान बांट लेता है. इसके बाद भी वे देश भर में नियमित वर्कशॉप कर पाती हैं, जिन्हें 'व्हर्लिग मंडल' कहा जाता है, और नृत्य प्रदर्शन भी, जिन्हें 'शिल्स ऑफ डांस' नाम दिया गया है (दोनों नामों को नाथ ने ट्रेडमार्क करवाया है).

रहस्यवाद और व्हर्लिंग के ध्यान से जुड़े पहलुओं का प्रचार-प्रसार करने की कोशिश में नाथ ने हेल्थ और वेलनेस नेटवर्क थ्राइव आर्ट ऐंड सोल के साथ हाथ मिलाया है और दोनों मिलकर सैक्रेड डांस और व्हर्लिंग का एक आयोजन करते हैं. इसका दूसरा आयोजन 27 मार्च को मुंबई में होगा.

मुंबई में रहने वाली ये नृत्यांगना कहती हैं, ''इन वर्कशॉप में लोग खामोशी और ठहराव का तजुर्बा हासिल करते हैं जो उनके गोल घूमना बंद कर देने के बाद भी काफी देर तक चलता रहता है. यह पूर्णता और अपनी देह के साथ पूरी तरह घुल-मिल जाने का गहरा एहसास होता है.''

नाथ ने अब अपनी खुद की शैली विकसित कर ली है. वे कहती हैं, ''व्हर्लिंग का मेरा तजुर्बा मुझे धार्मिक सरहद से भी आगे ले गया. मैं इसे सार्वभौम बनाना चाहती हूं.'' उनकी वर्कशॉप में नृत्य, ध्यान, संगीत और कविता शामिल होते हैं, जहां वे लोगों को सिखाती हैं कि ध्यान की अवस्थाओं पर गौर करके कैसे वे व्हर्लिंग की अपनी शैली ईजाद कर सकते हैं.

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