छवि सुधारने की जुगत में लगीं वसुंधरा राजे सिंधिया
राजे की दृढ़ता रंग लाई. केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी 90 मीटर चैड़े परिवहन गलियारे के 60 मीटर की सड़क पर काम करने पर सहमत हुए. पूरा होने पर, यह राजमार्ग वर्तमान में जयपुर शहर से गुजरने वाले वाहनों की भीड़ को कम करेगा.

जयपुर की पहचान में जुड़ने वाले दो प्रोजेक्ट हैं, जो तेजी से पूरा होने के करीब हैं—एक, मौसमी द्रव्यवती छोटी नदी के साथ विकसित 47 किलोमीटर लंबी रिवर फ्रंट परियोजना और दूसरी, 90 मीटर चौड़ी सड़क, जो दक्षिण में शहर को संवारती है. वसुंधरा राजे का ड्रीम प्रोजेक्ट कही गई इन योजनाओं की कुल लागत 3,000 करोड़ रु. है.
दो साल पहले काम शुरू होने के वक्त से मुख्यमंत्री की व्यक्तिगत निगरानी वाले रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड की तरफ से ऋण के जरिए आंशिक रूप से आर्थिक मदद दी गई है, जबकि सड़क का निर्माण राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण कर रहा है. राजे को उम्मीद है कि दोनों परियोजनाओं को दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में दिखाने के लिए सही समय पर पूरा कर लिया जाएगा.
नाहरगढ़ की पहाडिय़ों से निकली द्रव्यवती हर साल मॉनसून में जयपुर की वर्षा के पानी को बहाती है और बाद में ढूंढ नदी में मिलती है. पिछले कई वर्षों में यह शहर के सीवेज के लिए डंपिंग ग्राउंड बन गई, जिसके दोनों तटों पर भारी अतिक्रमण हो गया था. 1981 में इस अतिक्रमण के कारण भयानक बाढ़ आ गई थी, जिसमें आठ लोगों की जान चली गई.
अब अतिक्रमण हटाने और कई सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (एसटीपी) के निर्माण के अलावा, इस परियोजना में द्रव्यवती के तटों की लंबाई को कंक्रीट और पत्थरों से सुसज्जित किया गया है. नदी किनारे पैदल पथ, साइकिल ट्रैक, तीन बड़े उद्यान, खाने की दुकानें और मनोरंजन केंद्रों की भी योजना बनाई गई है.
यह परियोजना प्राइम रिवरफ्रंट की करीब 8,00,000 वर्ग मीटर जमीन को मुक्त करेगी, जो 1,600 करोड़ रु. की लागत वसूलने के लिए बेची जाएगी.
जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) के आयुक्त वैभव गलेरिया, जो इस परियोजना के प्रमुख हैं, कहते हैं कि नदी के किनारे तीन बांधों की मरम्मत की गई है और इस छोटी नदी में सालभर जलप्रवाह सुनिश्चित करने के लिए हर 300 मीटर पर चेक डैम का निर्माण किया जा रहा है.
राजे कहती हैं कि यह रेगिस्तान में नखलिस्तान जैसा होगा, जो जयपुर को बेहतर और अधिक दिलचस्प शहर बना देगा. यह तेजी से पूरा होने के करीब है. वे कहती हैं, ''मध्य अगस्त तक इस छोटी नदी के किनारे-किनारे सड़क पर प्रकाश और वाइ-फाइ कवरेज हो जाएगा.''
जयपुर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के करीब और द्रव्यवती के निचले इलाके में, दक्षिणी गलियारा भी जो जयपुर के आसपास एक रिंग रोड होगा, पूरा होने के करीब है. प्रोजेक्ट की परिकल्पना राजे ने 2007 में की थी और ठेका पिछली कांग्रेस सरकार ने 2011 में दिया, लेकिन परियोजना के निर्माण में देरी हुई.
अंततः राजे की दृढ़ता रंग लाई. केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी 90 मीटर चैड़े परिवहन गलियारे के 60 मीटर की सड़क पर काम करने पर सहमत हुए. पूरा होने पर, यह राजमार्ग वर्तमान में जयपुर शहर से गुजरने वाले वाहनों की भीड़ को कम करेगा. परियोजना से 68 लाख वर्ग मीटर भूमि खाली हुई है, जिसे जेडीए एक साथ विकसित कर रहा है.
भाजपा को उम्मीद है कि ये दोनों परियोजनाएं विधानसभा चुनाव से पहले तैयार हो जाएंगी, जिसकी तुलना पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की विफल मेट्रो परियोजना से होगी, जिसने जयपुर के यातायात की भीड़ को कम करने में कोई योगदान नहीं किया. अब भी जयपुर मेट्रो अपने अनुमानित लक्ष्य के नजदीक यात्रियों की संख्या नहीं पा सकी है.
विधानसभा चुनाव मैदान में सरकार अपनी जिन कुछ उपब्धियों को लेकर जाना चाहती है उनमें मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के दोनों ड्रीम प्रोजेक्ट भी शामिल हैं. जनता की प्रतिक्रिया ही इन परियोजनाओं की सफलता तय करेगी.
3,000 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हो रही हैं जयपुर में द्रव्यवती रिवरफ्रंट परियोजना और सड़क परियोजना
भाजपा को उम्मीद है कि ये दोनों परियोजनाएं विधानसभा चुनाव से पहले तैयार हो जाएंगी, जिसकी तुलना गहलोत की विफल मेट्रो से होगी.
3,000 करोड़ रु.
की लागत से तैयार हो रही जयपुर में द्व्यवती रिवरफ्रंट परियोजना और सड़क परियोजना.
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