उड़ीसाः महानदी पर महासमर
प्रधानमंत्री के हालिया बयान से ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बीच महानदी के पानी का विवाद नए सिरे से शुरू.

महेश शर्मा
अपनी केंद्र सरकार की चार साल की उपलब्धियां गिनाने आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कटक में महानदी तट पर सभा में कहा, "ओडिशा सरकार ने महानदी के जल पर जनता को गुमराह किया है. किसानों के लिए सिंचाई में सुधार के उनके प्रयास निराशाजनक हैं.
भाजपा ओडिशा के किसानों के साथ न्याय करेगी.'' इसके साथ ही ओडिशा में महानदी पर 33 साल पुरानी जंग महाजंग में तब्दील हो गई है. इस बार मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के मुकाबले खुद प्रधानमंत्री हैं. मोदी ने पटनायक का नाम लिए बगैर यहां तक कहा कि राज्य सरकार महानदी को लेकर गंभीर ही नहीं है, वरना जल विवाद पर केंद्र के प्रयासों को ठुकराया नहीं जाता.
उन्होंने कहा कि ट्रिब्यूनल गठन को लेकर केंद्र की पहल को भी नहीं माना गया और नितिन गडकरी ने पत्र भी लिखा जिसकी अनदेखी की गई. मोदी बोले, महानदी व राज्य की अन्य नदियों का आधे से ज्यादा पानी समुद्र में चला जाता है. किसानों के सामने सिंचाई की समस्या है.
बीस साल होने को आए हैं, लोअर इंदिरा सिंचाई प्रोजेक्ट अब तक पूरा नहीं हुआ.'' ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बीच महानदी के पानी को लेकर पुरानी जंग प्रधानमंत्री के बयान के बाद नए सिरे से शुरू हो गई है. बीजू जनता दल (बीजद) ने मोदी पर झूठ बोलने का आरोप मढ़ते हुए कहा कि महानदी पर भाजपा पॉलिटिक्स कर रही है.
प्रधानमंत्री छत्तीसगढ़ के बचाव में दिखते हैं. इसी साल छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव भी हैं. वहीं केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एक और विवाद खड़ा कर दिया. एक ओर जहां, मोदी ने छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार का बचाव किया वहीं धर्मेंद्र प्रधान ने महानदी पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह की आलोचना करते हुए कहा, "महानदी विवाद पर रमन सिंह का बयान निंदनीय है.
ओडिशा की भाजपा इकाई का साफ मानना है कि ओडिशा के हितों से कोई समझौता नहीं किया जाएगा.'' इस तरह भाजपा में ही अलग-अलग सुर सुनाई दे रहे हैं. वहीं बीजद के नेता कहते हैं कि प्रधान अपस्ट्रीम पर बैराज बनाने के काम को छत्तीसगढ़ सरकार से रुकवाएं तो जानें कि वे ओडिशा के हितैषी हैं.
महानदी के अस्तित्व की लड़ाई
महानदी सुरक्षा अभियान यात्रा के पारादीप में समापन समारोह पर बीजद अध्यक्ष और मुख्यमंत्री पटनायक ने जल विवाद की गेंद भाजपा की राज्य इकाई के पाले में डाल दी. उन्होंने कहा, "अगर इस पार्टी के नेताओं के मन में जनता के प्रति जरा भी दर्द होता तो महानदी पर छत्तीसगढ़ सरकार का विरोध करते.
नवीन ने कहा कि बीजद के लिए महानदी जनमुद्दा है. भाजपा तो घड़ियाली आंसू बहा रही है.'' बीजद प्रवक्ता सुलोचना दास कहती हैं, "प्रधानमंत्री ने ओडिशा की जनता से झूठ कहा है कि उनकी सरकार की ओर से ट्रिब्यूनल की पहल को नहीं माना गया.
अगर ऐसा होता तो बीजद सरकार सुप्रीम कोर्ट क्यों जाती?'' तत्कालीन केंद्रीय जल संसाधन मंत्री संजीव बालियान ने 10 अगस्त, 2017 को लोकसभा में कहा था कि यह मसला बातचीत से हल नहीं हो पा रहा है. ट्रिब्यूनल गठन का ड्राफ्ट भी तैयार किया जा रहा है.
पर केंद्र सरकार मुकर गई तो ओडिशा सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश से ट्रिब्यूनल का गठन किया गया. सुलोचना कहती हैं कि ओडिशा को उम्मीद थी कि मोदी का बयान राहत देने वाला होगा, पर ऐसा नहीं हुआ. उन्होंने तो विवाद को और भी हवा देने का काम किया. वहीं जल पुरुष राजेंद्र सिंह कहते हैं, "दोनों ही राज्य महानदी पर राजनीति कर रहे हैं. उन्हें आम जनता व किसानों की पीड़ा से कोई मतलब नहीं है.''
नदी का 53 प्रतिशत जल समुद्र में हालांकि बीजद को मोदी के इस आरोप का जवाब नहीं सूझ रहा है कि नदी का आधे से ज्यादा पानी समुद्र में बह जाता है, राज्य सरकार इसे बचा नहीं पाती. ओडिशा के जल संसाधन मंत्री निरंजन पुजारी ने बीते सत्र में कांग्रेस के नव दास के सवाल के जवाब में बताया था कि राज्य में बहने वाली नदियों का 53 प्रतिशत पानी सीधे समुद्र में गिरता है.
उनके बयान पर विपक्ष ने जल प्रबंधन न होने को लेकर सरकार को घेरा था. मंत्री का कहना है कि बड़ी नदियों का 50,686 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी हर साल समुद्र में बह जाता है क्योंकि राज्य का जल प्रबंधन खास प्रभावी नहीं है. अगर इस पानी को कृषि की ओर मोड़ दिया जाए तो सिंचाई की समस्या काफी हद तक हल हो सकती है.
जल संसाधन विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार, महानदी ही नहीं, राज्य की बाकी नदियों का भी ऐसा ही हाल है. ब्राह्मणी नदी का 56, बैतरणी का 41, ऋषिकुल्या का 26, वंशधारा का 64, बुढ़बडंग का 66, कोलाब नदी का 58, नागवली का 70 और सुवर्णनखा का 63 प्रतिशत पानी समुद्र में गिरता है.
नव दास ने कहा कि ओडिशा गर्मी से बेहाल है और सिंचाई के साधन न होने से किसान त्रस्त हैं. सरकार अपना ही पानी मैनेज नहीं कर पा रही है. यहां की 11 बड़ी नदियों का पानी जल प्रबंधन न होने से समुद्र में मिल जाता है.
जल संसाधन की एक रिपोर्ट के अनुसार, महानदी के 48,732 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी में 22.73 प्रतिशत ही सिंचाई तथा 0.23 प्रतिशत पेयजल तथा 2.3 प्रतिशत औद्योगिक उपयोग में लाया जाता है. इसके अलावा, 21.5 प्रतिशत पर्यावरणीय उपयोग में लाया जाता है. बाकी 53.23 प्रतिशत पानी समुद्र में गिरकर बर्बाद हो जाता है.
ओडिशा सरकार का आरोप है कि हीराकुद बांध से अपस्ट्रीम पर छत्तीसगढ़ सरकार के बनवाए गए छह बैराज—कलमा, सारादिही, मिरोनी बसंतपुर, सिवोरिनारायन और समोदा बैराज—महानदी को ओडिशा पहुंचने से रोक लेते हैं. इनका निर्माण उद्योगों को फायदा पहुंचाने के इरादे से किया गया.
केंद्रीय जल आयोग से मंजूरी लेना तो दूर, पड़ोसी राज्य ओडिशा तक को नहीं बताया गया कि बैराज बनाया जा रहा है जबकि नियमानुसार सूचित करना चाहिए. महानदी के पानी पर छत्तीसगढ़ की मनमानी और केंद्र की अनदेखी से साफ है कि ओडिशा में भाजपा सवालों के घेरे में है.
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