वालमार्ट ने मारा ऊंचा दांव, अब अमेजन को मिलेगी कड़ी टक्कर

अब वॉलमार्ट भारत में अपने अमेरिकी प्रतिद्वंद्वी अमेजन के मुकाबले खड़ा हो गया है

वालमार्ट-फ्लिपकार्ट सौदा
वालमार्ट-फ्लिपकार्ट सौदा

महीनों की अटकलों के बाद पांच सौ अरब डॉलर की खुदरा क्षेत्र की अमेरिकी दिग्गज कंपनी वॉलमार्ट ने कहा है कि उसने देसी ऑनलाइन खुदरा कंपनी ‌फ्लिपकॉर्ट की 77 फीसदी हिस्सेदारी 16 अरब डॉलर यानी करीब एक लाख करोड़ रुपए में खरीद ली है.

अब वॉलमार्ट भारत में अपने अमेरिकी प्रतिद्वंद्वी अमेजन के मुकाबले खड़ा हो गया है. किसी भारतीय कंपनी से संबंधित सबसे बड़े सौदों में शुमार इस सौदे का ऐलान भारत आए वॉलमार्ट के सीईओ डफ मैकमिलन ने 9 मई को बेंगलूरू में किया.  

भारत में वॉलमार्ट की दिलचस्पी की वजह क्या है? वाणिज्य मंत्रालय के अधीन काम करने वाली एक अनुसंधान संस्था इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन के मुताबिक, भारतीय ई-कॉमर्स का बाजार 2017 में 38.5 अरब डॉलर (2.6 लाख करोड़ रुपए) से बढ़कर 2026 तक 200 अरब डॉलर (13.4 लाख करोड़ रुपए) का हो जाएगा. इस वृद्धि की वजह है इंटरनेट और स्मार्टफोन का बढ़ता दायरा.

2021 तक भारत में 82.9 करोड़ इंटरनेट उपभोक्ता हो जाएंगे और यह कुल आबादी के 60 फीसदी से थोड़ा ही कम है. 2018 के अंत तक कुल ऑनलाइन खरीदारी, जिसमें घरेलू और विदेशी, दोनों शामिल हैं, सालाना आधार पर 31 फीसदी बढ़ जाने की उम्मीद है और यह 8.76 लाख करोड़ रुपए (135.8 अरब डॉलर) हो जाएगी.

फ्लिपकार्ट के साथ हुए सौदे के जरिए वॉलमार्ट दूसरी बार भारत आ रहा है. इससे पहले 2013 में इसने भारती इंटरप्राइजेज के साथ खुदरा कारोबार से संबंधित संयुक्त करार तोड़ दिया था. तब अमेरिकी कंपनी पर पिछले दरवाजे से मल्टीब्रांड खुदरा में घुसने की कोशिश करने का आरोप लगा था, जबकि इस क्षेत्र में विदेशी कंपनियों को आने की इजाजत नहीं है.

इसके बाद उसने थोक कैश ऐंड कैरी स्टोर्स पर ध्यान केंद्रित किया और भारत में इस तरह के 21 स्टोर्स और एक गोदाम के जरिए अपनी गतिविधियों का संचालन किया. वॉलमार्ट अब भारतीय वाणिज्यिक उत्पादों और कृषि उत्पादों के क्षेत्र में एक नियत समय में 7 अरब डॉलर (46,900 करोड़ रुपए) के निवेश की योजना बना रहा है.

स्वदेशी के पैरोकार यह जानकार परेशान हो जाएंगे कि भारत की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी विदेशी हाथों में जा रही है. लेकिन यह अपरिहार्य था, और संभवत: क्रिलपकार्ट के पास यही एक रास्ता बचा था, जिसके सहारे वह अमेजॉन के मुकाबले प्रतिस्पर्धा में खड़ी हो सकेगी. चार वर्षों के दौरान, 16 करोड़ से अधिक उत्पाद उपलब्ध कराने वाली अमेजन इंडिया ई-टेल की दिग्गज बन गई है, जिसके पास 44 फीसदी उपभोक्ता हैं और पचास फीसदी की वृद्धि दर.

आइआइटी-दिल्ली के दो सहपाठियों सचिन बंसल और बिन्नी बंसल ने 2007 में जब यह पोर्टल शुरू किया था, तब उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उनकी कंपनी की कीमत महज दस साल में 20 अरब डॉलर (1.34 लाख करोड़ रुपए) हो जाएगी. इस सौदे के बाद सचिन अपनी 5.5 फीसदी की हिस्सेदारी बेचकर कंपनी से अलग हो गए हैं.

लेकिन बिन्नी कार्यकारी अध्यक्ष और समूह के सीईओ होंगे और 4.5 फीसदी के हिस्सेदार रहेंगे. सॉफ्टबैंक विजन फंड, ई-बे, माइक्रोसॉफ्ट और टेनसेंट के निवेश के बाद अगस्त, 2017 में इसकी बैलेंस शीट में चार अरब डॉलर (26,800 करोड़ रु.) से अधिक मौजूद थे.

रिपोर्ट्स कहती हैं कि 31 मार्च, 2018 को खत्म हुए वित्त वर्ष में फ्लिपकार्ट ने अपनी साइट के जरिए 7.5 अरब डॉलर (50,250 करोड़ रुपए) के सामानों की बिक्री की. स्थानीय व्यापारियों ने इस सौदे का विरोध किया है, उनका तर्क है कि ऑनलाइन सुपरमार्केर्ट्स द्वारा भारी छूट देने से उनकी रोजी रोटी बर्बाद हो जाएगी. मगर लगता है कि सरकार इससे दूरी बनाए रखेगी, क्योंकि कर्नाटक में चुनाव नजदीक हैं.

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