बद्रीनाथ की छत को सोने से मढ़ने की पेशकश पर उठा विवाद
हालांकि शो तैयार करने वाले अक्षर ग्रुप के चेयरमैन मनीष शर्मा इससे साफ इनकार करते हैं. राष्ट्रीय अंत्योदय संघ के सहयोग से अक्षर ग्रुप ने अपनी तरह का यह अनोखा लेजर शो तैयार किया है.

उत्तराखंड में बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम आजकल अलग-अलग कारणों से खुर्खियों में हैं. बद्रीनाथ धाम के गर्भगृह की छत को सोने से मढऩे की पेशकश करने वाले उद्योगपति गुप्ता बंधुओं पर उठ रहे सवाल के चलते मंदिर समिति अब राज्य सरकार से परामर्श मांग रही है. राज्य सरकार यह कहकर पल्ला झाड़ रही है कि मंदिर समिति खुद फैसला लेने में सक्षम है कि किसका दान ले, किसका नहीं.
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा के करीबी रहे गुप्ता बंधु त्रय-अजय, राजेश और अतुल गुप्ता कथित भ्रष्टाचार के आरोपों में प्रवर्तन निदेशालय की जांच का सामना कर रहे हैं. मूल रूप से उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के रहने वाले गुप्ता बंधुओं के कई ठिकानों पर आयकर विभाग ने भी छापे मारे हैं.
सो, बद्री-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने समिति का गठन करने वाले राज्य सरकार के धर्मस्व संस्कृति विभाग को पत्र लिखकर पूछा है, ‘‘अगर गुप्ता बंधु अपने प्रस्ताव के अनुरूप मंदिर में दान चढ़ाने आते हैं तो उसे स्वीकार किया जाए या नहीं.’’ गोदियाल कांग्रेस के पूर्व विधायक हैं.
गोदियाल के अनुसार, गुप्ता बंधु पिछले साल बद्रीनाथ के दर्शन के लिए आए थे. एक कथा के दौरान उन्होंने बद्रीनाथ मंदिरों के गर्भगृह की छत पर सोने का पत्तर चढ़ाने की पेशकश रखी थी. इस पेशकश को पिछले साल 27 नवंबर को मंदिर समिति बोर्ड की बैठक में सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया था.
अध्यक्ष के अनुसार, उस समय गुप्ता बंधुओं पर किसी आरोप की समिति को कोई सूचना नहीं थी. लेकिन 15 मई से बद्रीनाथ में गुप्ता बंधु कथा आयोजित करने की कोशिश कर रहे हैं जिससे विवाद जोर पकड़ता जा रहा है. दूसरी तरफ केदारनाथ में कपाट खुलने के दौरान वहां आयोजित लेजर शो पर मंदिर समिति के अध्यक्ष गोदियाल ने आपत्ति दर्ज कराई और उसे परंपराओं का उल्लंघन बताया.
‘आदि अनंत शिव’ शीर्षक वाला लेजर शो श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र तो जरूर बना लेकिन कांग्रेस ने कहा कि इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रांडिंग वाले हिस्से को हटाया जाए. गोदियाल का दावा है कि ट्रायल के दौरान उनके विरोध के बाद ही इस शो से मोदी के प्रचार का वह हिस्सा हटाया गया.
हालांकि शो तैयार करने वाले अक्षर ग्रुप के चेयरमैन मनीष शर्मा इससे साफ इनकार करते हैं. राष्ट्रीय अंत्योदय संघ के सहयोग से अक्षर ग्रुप ने अपनी तरह का यह अनोखा लेजर शो तैयार किया है. कपाट खुलने से पहले 28 अप्रैल को केदारनाथ में इस शो का ट्रायल किया गया. लेकिन गोदियाल ने आपत्ति जताई कि इसे राजनैतिक प्रचार का साधन नहीं बनाया जा सकता.
उनकी आपत्ति कुल 22 मिनट के शो में उस 5 मिनट के हिस्से पर थी जिसमें मंदिर नवनिर्माण में प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों की प्रशंसा की गई है. बाद में इस हिस्से पर रोक लगा दी गई. यह शो मंदिर की दीवारों पर दिखाया जा रहा है. मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी बी.डी. सिंह स्पष्ट करते हैं कि लेजर शो की अनुमति सरकार ने दी, मंदिर समिति ने नहीं.
गोदियाल की दलील है कि चाहे भाजपा हो या कांग्रेस, मंदिर को हम राजनीति का अखाड़ा नहीं बनने देंगे. उन्होंने लेजर शो दिखाने वाली कंपनी को इस हिस्से को हटाने के लिए कहा और कहा कि जब तक इस हिस्से को हटाया नहीं जाएगा तब तक वे इस लेजर शो को दिखाने की अनुमति नहीं देंगे.
समिति के अध्यक्ष ने कहा, ‘‘यह केदार का दरबार है, इसमें चाहे कोई प्रधानमंत्री हो या राष्ट्रपति, किसी को भी अपने विज्ञापन दिखाने का अधिकार नहीं है.’’ उन्होंने कहा कि इस मंदिर से करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है: ‘‘हमने आस्था के प्रतीक केदारनाथ में इस लेजर शो को दिखाने वाली गुजरात की कंपनी से कहा कि मंदिर की दीवारों पर भगवान शिव से जुड़ी किसी भी कहानी को दिखाया जा सकता है लेकिन अगर इसे पार्टी के विज्ञापन के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा तो इसको हम नहीं चलने देंगे.’’
दोनों विवादों से राज्य सरकार खुद को अलग रखने की कोशिश कर रही है. भाजपा भी इसे ज्यादा तूल देने से बच रही है क्योंकि दोनों धामों से लोगों की श्रद्घा जुड़ी हुई है.