पश्चिम बंगालः रोहिंग्या को लेकर रार

19 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को रोहिंग्या कॉलोनियों का रखरखाव और उनकी स्वच्छता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं, इससे उनकी उम्मीद जगी है. हरदा में एक छोटी-सी झोंपड़ी करीब 24 परिवारों के लिए शौचालय का काम करती है.

बदतर जिंदगी हरदा में रोहिंग्या शरणार्थियों की एक बस्ती
बदतर जिंदगी हरदा में रोहिंग्या शरणार्थियों की एक बस्ती

टीन की झोंपडिय़ों से अटा जमीन का एक छोटा-सा टुकड़ा हरदा में नई रोहिंग्या कॉलोनी है. यह दक्षिण 24 परगना जिले के गांवों में अचानक उभरी कई बस्तियों में से एक है.

सुंदरबन से करीब 55 किलोमीटर दूर संदेशखाली में बांग्लादेश और अन्य जगहों से आए नए मेहमानों को बसाने के लिए जमीन के एक बड़े टुकड़े को समतल किया जा रहा है. बताया जाता है कि रोहिंग्या को तृणमूल कांग्रेस के बाहुबली नेता शेख शाहजहां का संरक्षण प्राप्त है. बांग्लादेश के रोहिंग्या शिविरों में राहत सामग्री भेजते हुए शाहजहां का वीडियो प्रसारित करने वाले राज्य के भाजपा नेता आरोप लगाते हैं कि जुलाई में पंचायत चुनाव के लिए मुसलमान वोट बैंक को खुश करने की खातिर तृणमूल कांग्रेस शरणार्थियों की घुसपैठ को बढ़ावा दे रही है.

एक तृणमूल मंत्री और सांसद के कोलकाता में रोहिंग्याओं के पुनर्वास के लिए हुए प्रदर्शन में शामिल होने का संकेत करते हुए राज्य भाजपा प्रमुख दिलीप घोष कहते हैं, ''यह समझना मुश्किल नहीं है कि उनका मकसद क्या हो सकता है.''

हरदा में रह रहे अस्सी से ज्यादा रोहिंग्या शरणार्थियों का कहना है कि उन्हें एक देश से दूसरे देश में धकेला जा रहा है. मुहम्मद इस्माइल नामक एक शरणार्थी का कहना है कि उन्हें बांग्लादेश छोडऩे के लिए मजबूर किया गया, क्योंकि वहां शिविर में भीड़ काफी बढ़ गई थी. वे कहते हैं कि सीमा पर उनकी अगवानी करने और हरदा लाए जाने के बाद स्थानीय लोगों ने उनकी झोंपड़ी लूट ली. एक स्थानीय गैर-सरकारी संगठन 'देश बचाओ सामाजिक समिति' ने कथित तौर पर उनके यूएनएचआरसी शरणार्थी कार्ड जब्त कर लिए. यही संगठन रोहिंग्याओं को अस्थायी शिविर में लेकर आया था. अब उनके लिए काम पाना लगभग असंभव हो गया है.

रखाइन में ऑटोरिक्शा चलाने वाले मोहम्मद अयूब कहते हैं कि लोग जैसे ही उनके रोहिंग्या उच्चारण को सुनते हैं, उन्हें काम देने से इनकार कर देते हैं. रोहिंग्या शरणार्थियों का कहना है कि 19 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को रोहिंग्या कॉलोनियों का रखरखाव और उनकी स्वच्छता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं, इससे उनकी उम्मीद जगी है. हरदा में एक छोटी-सी झोंपड़ी करीब 24 परिवारों के लिए शौचालय का काम करती है. वहां पीने के पानी के लिए एक ट्यूबवेल है, लेकिन मच्छर और सांपों से वे पीड़ित हैं.

इस बीच, केंद्र सरकार को सूचित किए बिना, अवैध आप्रवासियों को शरण देने के लिए भाजपा राज्य सरकार के खिलाफ कलकत्ता हाइकोर्ट में एक याचिका दायर करने की योजना बना रही है. ममता खुद इस मुद्दे पर खुलकर कुछ नहीं कर रही हैं, उन्होंने स्वयंसेवी संगठन, बाल अधिकार संरक्षण आयोग और अपने प्रतिनिधियों को अपने-अपने हिस्से का काम करने के लिए छोड़ दिया है.

Read more!