अनूठे ग्राफिक्स
उन्नीस सौ सत्तर और अस्सी का दशक भारतीय कॉमिक्स का पहला स्वर्ण युग था, जब बहादुर, नागराज और चाचा चौधरी सरीखे घरेलू नायकों ने मैंड्रेक, फैंटम और टार्जन जैसे किरदारों के बरअक्स अपना एक मुकाम बनाया.

गत 30 नवंबर को डीसी कॉमिक्स ने कॉमिक प्रशंसकों की खुशी के लिए बैटमैन निंजा फिल्म का ट्रेलर रिलीज किया. जूनपे मिजुसाकी निर्देशित, इस शातिर किरदार पर पूरी लंबाई वाली यह पहली कार्टून फीचर फिल्म है. क्लासिक किरदारों को उनके अपने अंदाज में ही रखा गया है, इसके बावजूद जापान की अपनी खास शैली उसमें साफ दिखाई देती है.
आप जरा देसी बैटमैन के बारे में सोचकर देखें तो आप पाएंगे कि विजुअल किस्सागोई का एक लंबा इतिहास होने के बावजूद भारत में अभी तक कॉमिक्स में अपना कोई विशिष्ट समकालीन सौंदर्यबोध विकसित नहीं हो पाया है.
उन्नीस सौ सत्तर और अस्सी का दशक भारतीय कॉमिक्स का पहला स्वर्ण युग था, जब बहादुर, नागराज और चाचा चौधरी सरीखे घरेलू नायकों ने मैंड्रेक, फैंटम और टार्जन जैसे किरदारों के बरअक्स अपना एक मुकाम बनाया. अभी जो दौर हम देख रहे हैं, वह रचनात्मकता का दूसरा विस्फोट हो सकता है. लेकिन दिलचस्प शैली और प्रतिभाओं की चकाचौंध के बावजूद कॉमिक्स का परिदृश्य भारत में अभी भी खास रफ्तार नहीं पकड़ पाया है.
इन्हीं सबका एक पैमाना माना जाने वाला कॉमिक कॉन इंडिया बेंगलूरू, हैदराबाद, मुंबई और पुणे के संस्करणों के बाद 15-17 दिसंबर के दौरान दिल्ली में होने जा रहा है. अमर चित्र कथा के ग्रुप क्रिएटिव डायरेक्टर नील देबदत्त पॉल बताते हैं, ''दिल्ली हाट में मैं पहली बार कॉमिक कॉन में गया था, जहां बीस स्टॉल लगे थे और पांच लोग सुपरमैन का टी-शर्ट पहने हुए थे. उसके बाद कॉमिक कॉन का विस्तार पांच शहरों में हुआ और इसके विशाल प्रदर्शन केंद्र लगातार हजारों दर्शकों से भर जाते हैं."
अमर चित्र कथा जैसे बड़े कार्टून कथा प्रकाशकों और अभिजीत किनी जैसे इंडी कलाकारों के लिए इस तरह के आयोजन वरदान हैं. किसी टिंकल के लिए चित्र बनाते हैं और अपना पब्लिशिंग हाउस चलाते हैं. वे कहते हैं, ''कॉमिक कॉन स्वतंत्र कलाकारों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ एक तरह का समुदाय तैयार कर रहा है."
पर कुछ लोगों का कहना है कि यह कार्यक्रम केवल फिल्म और टीवी शो की मार्केटिंग के बारे में है, कॉमिक किताबों के बारे में नहीं. कॉमिक कॉन इंडिया के संस्थापक जतिन वर्मा इस आलोचना से इनकार भी नहीं करते. ''किसी के साए में छिप जाने की बात डर नहीं, तथ्य है. ऐसा दुनिया में हर जगह होता है." वे प्रकाशकों को सलाह देते हैं, ''आप अपनी जगह खुद बनाइए और हमारी मदद से खड़े होइए, ताकि शो में आए दर्शक वह अनुभव हासिल कर सकें."
भारत में 1960 के दशक से बच्चों के लिए कॉमिक को इन्फोटेनमेंट (सूचनापरक मनोरंजन) के रूप में परोसा जाने लगा है. भारतीय प्रकाशक पाठकों से उम्मीद करते हैं कि वे उनकी इन सरल कहानियों और कलाकृतियों को पसंद करें. विदेशी प्रकाशकों के कुछ ज्यादा जटिल कहानियों को परोसकर वयस्क पाठकों को आकर्षित करने के रवैए की देशी प्रकाशकों ने अनदेखी की है.
इसी की भरपाई करने के लिए ग्राफिक इंडिया ने हाल ही में बाहुबली ब्रह्मांड पर आधारित एनिमेटेड सीरीज शुरू की है. ग्राफिक इंडिया के सीईओ शरद देवराजन कहते हैं, ''अपनी फिल्मों से प्रेरित परियोजनाओं के अलावा ग्राफिक इंडिया के पास चक्र और मिस्त्री पी.आइ जैसी मौलिक सीरीज भी हैं. उस अनूठे भारतीय सौंदर्य को हासिल करना लाइट के स्विच जैसा नहीं बल्कि डिमर जैसा है, जिसके प्रयोग में, जोखिम उठाने और उत्साहपूर्वक उसे जारी रखने में निर्माताओं को वर्षों लगेंगे."
अमर चित्र कथा की ओर से हाल ही में जारी रामायण और ग्राफिक इंडिया के रामायण 3392 एडी के बरअक्स रखिए, तब आपको भारतीय कॉमिक पुस्तकों के पाठकों के सामने उपलब्ध पुस्तकों की रेंज का पता चलेगा. अमर चित्र कथा अपने देवताओं की कहानियों में कोई गड़बड़ी नहीं करेगा, वहीं पॉल 2018 में प्रयोग का संकेत देते हैं. यह एक स्वागतयोग्य कदम है. एक चित्रकार के रूप में पिया हजारिका कहती हैं, ऐसा कोई नहीं, जिनके पास शक्ति/संसाधन है, और वह एक नई किताब पेश करे या नई प्रतिभाओं को सामने लाने में संसाधनों को लगाए.
खुशकिस्मती से इंटरनेट है. प्रिया कुरियन, प्रभा माल्या, जसज्योत सिंह हंस और कृतिका सुसरला जैसी चित्रकार मौलिक चित्र बनाती हैं और उन्हें ऑनलाइन शेयर करती हैं. टीना और प्रतीक थॉमस की बनाई कोच्चि स्थित स्टुडियो कोकाचि की एक वेबसाइट है, जहां आप उनकी खूबसूरत डिजाइन को खरीद सकते हैं और कॉमिक बुक तैयार कर सकते हैं.
मुख्यधारा की कॉमिक किताबों के उलट वेब कॉमिक जुनून और रचनात्मकता का एक खजाना है. जॉर्ज अप्पुपेन माथेन का ब्रेनडेड प्रोजेक्ट और राष्ट्रमान, आरती पार्थसारथी चैतन्य कृष्ण का रॉयल एक्जिस्टेंशियल तथा हजारिका और मालती जोगी का कस्टम कट्स इसकी कुछ मिसालें हैं. कस्टम कट्स ने एड एस्ट्रा कॉमिक्स को आकर्षित किया और यह उत्तरी अमेरिका में एक पुस्तक प्रकाशित और वितरित करने की राह पर है.
अमेरिका स्थित इमेज कॉमिक्स के जरिये अघोरी के सृजनकर्ता राम वी. की अगली पुस्तक पाराडिजो जारी होगी. वे कहते हैं, ''भारतीय कॉमिक परिदृश्य को एक ऐसे प्रकाशक की जरूरत है, जो माध्यम को समझता हो और जिसमें नई कहानियों के प्रति जुनून हो तथा जो क्रिएटर को उनकी कहानी बेहतर ढंग से कहने को ताकत देना चाहता हो." आदित्य बिदिकर, जो विदेशी कॉमिक बुक के साथ काम करते हैं और जिन्होंने पाराडिजो में अक्षरांकन किया है, कहते हैं, ''मैं भारतीय कॉमिक में अपना पूरा करियर खपाने के अलावा और कुछ नहीं चाहूंगा. पर यह निराशाजनक है, क्योंकि वहां ऐसा माहौल नहीं है."