"मेरे लिए जुगनुमा महान फिल्म है"
इंस्पेक्टर झेंडे हो या अन्य फिल्मों के किरदार अभिनेता मनोज वाजपेयी उन्हें भीतर से जीते और पूरी सच्चाई से निभाते हैं.

सवाल+जवाब
● नेटफ्लिक्स की इंस्पेक्टर झेंडे में आपको हास्यपक्ष दिखाने का मौका मिला. आपको कॉमेडी अच्छी लगती है?
इसकी कहानी सीरियल किलर का पीछा करने पर आधारित होने के बावजूद सीरियस नहीं लगती. किलर के सामने पुलिस भी बेबस लगती है. ऐसे हालात में हास्य और विडंबना अपने आप पैदा हो जाते हैं. किरदार निभाते समय आप दुविधा भरे पल खोजने की कोशिश करते हैं, जो दूसरों को कॉमिक लग सकते हैं.
● कहते हैं नकल करना भी एक तरह की तारीफ है. किसी जीवित चरित्र को निभाने का आप क्या तरीका अपनाते हैं?
यह चरित्र आसान था. एक मध्यवर्गीय इंसान जो रोजमर्रा के जीवन में संघर्ष करता है पर हिम्मत नहीं हारता. मैंने झेंडे की यह बात पकड़ी और सब सहजता से होता गया. झेंडे को बातें करना पसंद है. उन्होंने मुझे अपने डर और असुरक्षाओं के बारे में भी बताया.
● रामगोपाल वर्मा के साथ आपने सत्या, कौन, शूल जैसी काफी अच्छी फिल्में की हैं. अब आप उनके साथ ह़ॉरर कॉमेडी करने जा रहे हैं.
अगर वे मुझे छोटा सा रोल भी देंगे तो मैं करूंगा. जिस जुनून से वे फिल्म बना रहे हैं उसने मुझे हैरान कर दिया. पहले ही शेड्यूल ने मुझे पूरी तरह चौंका दिया. यह शख्स वापस आ चुका है और मैं सच कह रहा हूं सब हैरान रह जाएंगे और आलोचकों को, सबको अपने शब्द वापस लेने पड़ेंगे.
● स्वतंत्र फिल्मकारों के साथ आप लगातार काम कर रहे हैं. राम रेड्डी की जुगनुमा-द फेबल भी इन दिनों सिनेमाघरों में है.
हम कभी अच्छी, कभी बुरी, कभी शानदार फिल्में करते हैं लेकिन सचमुच महान किस्म की फिल्में बहुत कम बनती हैं. मेरे लिए जुगनुमा ऐसी ही फिल्म है. यह सिनेमा और जादुई यथार्थवाद को नई तरह से परिभाषित करती है. जीवन में आसक्ति और विरक्ति के बीच फंसे फिल्म के किरदार और राम रेड्डी से मैंनेे बहुत कुछ सीखा.