फिल्म मेकिंग में मौका मिलने पर महिलाएं लाएंगी बदलाव
ऑस्कर विजेता प्रोड्यूसर गुनीत मोंगा कपूर अब अपनी फिल्म कटहल को राष्ट्रीय पुरस्कार मिलने का जश्न मना रहीं.

सवाल जवाब
●राष्ट्रीय पुरस्कार की खबर मिली, उस वक्त आप कहां थीं?
मैं ताहिरा कश्यप खुराना के साथ एक स्क्रिप्ट नैरेशन में थी और पहले तो मुझे ही यकीन नहीं हुआ. कटहल ने श्रेष्ठ हिंदी फीचर फिल्म का अवार्ड जीता है, इस बात को जज्ब कर पाने में अच्छा-खासा वक्त लगता. यह सचमुच बड़ा सम्मान है. अक्सर ऐसा लगता है कि हमारी तेज रफ्तार दुनिया में ऐसे किस्से के लिए कोई जगह नहीं जिसे खुलने में वक्त लगता हो. कटहल दरअसल ठहर कर देखे जाने की मांग करती है.
●यशोवर्धन मिश्र जिस वक्त यह आपके सामने पिच कर रहे थे, उस लम्हे की कुछ याद है आपके जेहन में?
यशोवर्धन के काम की शैली मुझे अच्छी लगती है. कटहल मुंबई के किसी एयरकंडिशंड घर में बैठकर नहीं लिखी गई थी और यह उसमें साफ झलकता है. वे छत्तीसगढ़ के ही एक गांव के रहने वाले हैं और उन्होंने वहां महीनों रहकर रिसर्च की थी. उन्होंने जिस वक्त यह नैरेट किया, मुझे यह एकदम स्टैंड-अप रूटीन जैसा लगा था.
●किसी भी फिल्म को सपोर्ट करने की आपकी सोच में अनुभव के साथ किस तरह का बदलाव आया है?
दरअसल फिल्में बनाए जाने की प्रोसेस को लेकर मेरा रोमांच बचपन से आज तक नहीं बदला है. मेरा मानना है कि मेरे तलाशने की बजाए कहानियां खुद ही चलकर मेरे पास आ जाती हैं. अपने प्रोडक्शन हाउस सिख्या में हम कहानियों की ही सेवा में हैं और उन्हें उम्दा रूप में पेश करना हमारी जवाबदेही है.
●इस साल आपने वुमन इन फिल्म फेलोशिप का इंडिया चैप्टर लॉन्च किया. क्यों यह आपके लिए इतनी अहमियत रखता है?
आंकड़े परेशान करने वाले हैं—हमारे डायरेक्टर्स में से महिलाएं 3 फीसद से भी कम हैं; राइटिंग, एडिटिंग या सिनेमैटोग्राफी, फिल्म निर्माण की सारी विधाओं में मिलाकर भी उनकी हिस्सेदारी 10 फीसद से कम है. हमें महिलाओं के लिए अवसर बनाने की जरूरत है ताकि बदलाव लाया जा सके.
—करिश्मा उपाध्याय