"आप किसी हरियाणवी से हरियाणा को बाहर नहीं निकाल सकते"
अभिनेता जयदीप अहलावत ने भारत-पाकिस्तान युद्ध, सुकून वाले किरदार, रोहतक और मुंबई तथा अपनी पसंदीदा किताबों के बारे में इंडिया टुडे हिंदी के साथ बातचीत में क्या बताया

● आप पहले आर्मी में जाना चाहते थे. हाल के भारत-पाकिस्तान युद्ध को देखकर क्या आपको पुराने सपने की याद आई?
फौज की तरफ रुझान वाले के दिमाग में हमेशा यह रहता है कि बॉर्डर पर न जाने कितने लोग आपके लिए खड़े होंगे. तब नहीं समझता था पर आज मानता हूं कि जिसके घर में एक भी फौजी है वह कभी वार नहीं चाहता. और डिसिप्लिन वह एक चीज है जो हर पेशे में काम आती है. वह फौज हो, ऐक्टिंग हो या कोई और.
● आपने राजी, पाताल लोक, थ्री ऑफ अस जैसी फिल्मों/वेबसीरीज में यादगार भूमिकाएं कीं. पर किस रोल से आपको ज्यादा सुकून और पर्सनल वैलिडेशन का एहसास हुआ?
राजी का एक अलग ही मुकाम था. राजी और थ्री ऑफ अस दोनों फिल्मों से सुकून मिला. वैलिडेशन की बात करूं तो जो थोड़ा-बहुत बच गया था राजी में, पाताल लोक ने सारी कमी पूरी कर दी.
● आपने जितना रोहतक को जिया है कमोबेश उतना ही मुंबई को भी, कितना मुंबई आपके बहाने रोहतक पहुंचा है और कितना रोहतक आप मुंबई में बचा पाए हैं?
पुरानी कहावत है, आप किसी हरियाणवी से हरियाणा को बाहर नहीं निकाल सकते. रोहतक में लंबा वक्त जिया, वहीं सारे सपने बनने शुरू हुए और यार-दोस्त भी. एक जन्मभूमि है दूसरी कर्मभूमि. दोनों का रिश्ता अटूट है.
● आपको पढ़ाकू ऐक्टर भी माना जाता है. आजकल क्या पढ़ रहे हैं? आपकी कोई इकलौती पसंदीदा किताब?
पढ़ना मुझे अच्छा लगता है पर मैं इस बात का दावा नहीं करता कि बहुत पढ़ाकू हूं. आजकल स्क्रिप्ट ज्यादा पढ़ रहा हूं. पिछले दो-ढाई महीने में पचासेक स्क्रिप्ट पढ़ी हैं. नई किताब उठाने का मन नहीं होता क्योंकि पता है उसको समय नहीं दे पाऊंगा. बहुत-सी किताबें पसंद हैं मसलन सारा आकाश (राजेंद्र यादव), फणीश्वरनाथ रेणु की कहानियां.
● रेणु का मैला आंचल तो एक अंचल पर आधारित है. एक हरियाणवी को पढ़ने में...
इतना भी मुश्किल नहीं. परिवेश समझ में आ जाता है. एक खूबसूरत बुंदेलखंडी नाटक खबसूरत बहू (नाग बोडस) में कई शब्द पहली बार में पल्ले नहीं पड़े पर धीरे-धीरे पकड़ में आ गए. इतना तो शब्द भंडार हो गया है.