"कथक मेरे लिए गरजते-घुमड़ते बादलों से लदे, रात के घुप अंधेरे से ढके आसमान की तरह है"

नृत्यांगना अदिति मंगलदास की निर्भया कांड से प्रेरित रचना विदिन 24 अप्रैल को दिल्ली के कमानी सभागार में प्रदर्शित हुई. इस मौके पर उन्होंने इंडिया टुडे से बातचीत में क्या बताया

अदिति मंगलदास, नृत्यांगना
अदिति मंगलदास, नृत्यांगना

आपके डांस प्रैक्टिस की मूल भावना क्या है?

मेरे हिसाब से नृत्य को अभी इस लम्हे में धड़कना चाहिए. नृत्य त्याग, जुनून और विनम्रता के साथ; नृत्य आप में और आप नृत्य में डूब जाएं...अपनी सभी इंद्रियों को संसार के लिए खोलकर रखिए; किसी भी तरह की प्रेरणा के लिए. लेकिन जैसे ही आप मंच पर कदम रखें, अपने को पूरी तरह से खाली कर देने को तैयार रहें. बस वह लम्हा ही आपका साथी बचे.

● नृत्य रचना विदिन के पीछे की आपकी सोच क्या है?

निर्भया कांड जब हुआ था, उस वक्त हम एक नई नृत्यरचना के लिए 'रिश्तों’ के अलग-अलग रूपों की थाह ले रहे थे. विदिन हमारे भीतर मौजूद नृशंसता और मानवता, पौरुष और स्त्रीपन आधा-आधा दोनों की थाह लेने वाला प्रयोग बन गया. यह दर्शक को अपने भीतर उतरकर वहां मौजूद इस दोहरेपन की खोज-पड़ताल करने की राह पर ले जाता है.

● आपके काम को दो श्रेणियों में रखा जा सकता है— क्लासिकल कथक और कथक पर आधारित समकालीन नृत्य...

कथक मेरे लिए गरजते-घुमड़ते बादलों से लदे, रात के घुप अंधेरे से ढके आसमान की तरह है जिसने तमाम आश्चर्य अपने भीतर छिपा रखे हैं. कथक का एक बीज बोएं और फिर उसे कथक की संवेदना से सींचें, कथक का वृक्ष पनपने लगेगा. समकालीन संवेदनाओं से सींचने पर एक अलग वृक्ष आकार लेगा, हालांकि उसकी जड़ें क्लासिकल कथक में ही होंगी.

● आपकी अगली प्रस्तुति क्या होने वाली है?

मेरा अगला काम है वीपिंग रेड! यह दुनिया भर के युद्धग्रस्त इलाकों के बच्चों की पीड़ा और त्रासदी को सामने लाने का प्रयास है. यह एक पूरा लंबा प्रोडक्शन होगा जिसे मुंबई के नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स और सिंफनी ऑर्केस्ट्रा ऑफ इंडिया के साथ मिलकर पेश किया जाएगा. नवंबर 2026 में इसकी पहली प्रस्तुति होगी.

—नेहा किरपाल.

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