"मेरे लिए राष्ट्र पहले है, फैसले इसी नजरिए से करता हूं" - पीएम मोदी से एक्सक्लूसिव बातचीत
इंडिया टुडे से एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2024 के चुनाव से लेकर उनके विजन तक बात की. यहां पढ़िए उनका पूरा इंटरव्यू -

अरुण पुरी, कली पुरी और राज चेंगप्पा
जब से नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री के सरकारी आवास 7, लोक कल्याण मार्ग में पहुंचे हैं, उसकी रूपरेखा काफी बदल गई है. बड़े स्तंभों वाले प्रवेश-द्वार से खुलते एक लंबे गलियारे में कई कमरे हैं, जो बैठकों के लिए हैं. मोर और पक्षियों की दो पेंटिंग प्रधानमंत्री की स्टडी की शोभा बढ़ा रही हैं. उनकी विशाल-सी मेज कागजों से खाली है और बगल की एक टेबल पर कंप्यूटर रखा है. यहीं 26 दिसंबर को फौजियों जैसे हरे रंग की ब्रास-बटन वाली जैकेट पहने हुए उन्होंने इंडिया टुडे के एडिटर-इन-चीफ तथा चेयरपर्सन अरुण पुरी, वाइस-चेयरपर्सन कली पुरी और ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर राज चेंगप्पा से खास बातचीत की. घंटे भर की बातचीत में प्रधानमंत्री ने विभिन्न घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों के साथ-साथ अपनी अनोखी प्रबंधन शैली की विस्तार से चर्चा की. उन्होंने पहले भेजे गए सवालों के लिखित जवाब भी दिए. यह बातचीत मौखिक और लिखित जवाबों का मिला-जुला रूप है.
प्र. बधाई प्रधानमंत्री जी, आप इंडिया टुडे के 2023 के सुर्खियों के सरताज हैं. आपको कैसा लग रहा है?
2023 के सुर्खियों के सरताज सम्मान के लिए धन्यवाद. मेरे लिए इस साल कई न्यूजमेकर रहे—हमारे किसान जो रिकॉर्ड कृषि पैदावार की अगुआई कर रहे हैं और दुनिया भर में मिलेट क्रांति ला रहे हैं; हमारे लोग जिन्होंने जी20 को देश भर में बेहद कामयाब बनाया; हमारे विश्वकर्मा जो अपने कौशल से सफलता की राह गढ़ रहे हैं; हमारे एथलीट जिन्होंने हमें एशियाई खेलों, एशियाई पैरा खेलों और दूसरे कई टूर्नामेंट में गौरवान्वित किया; हमारे युवा जो नए रिकॉर्ड बना रहे हैं, चाहे स्टार्ट-अप के क्षेत्र में हों या विज्ञान के; हमारी नारी शक्ति जो सभी क्षेत्रों में नई ऊंचाइयां छू रही है, खासकर अब जब महिलाओं की अगुआई में विकास के माध्यम से सशक्तीकरण की नई कहानी लिखी जा रही है. मेरा सौभाग्य है कि कई वर्षों से देश के लोगों की सेवा कर रहा हूं. इस दौरान हमने कई सफलताएं और साथ ही चुनौतियां भी देखीं.
• ये चुनौतियां क्या थीं?
2023 में भारत का तेज उभार बहुत महत्वपूर्ण रहा है, क्योंकि इसने विकसित भारत के हमारे प्रारूप को तय किया. हमने देश की छिपी हुई क्षमताओं को उजागर किया. अब वैश्विक मंचों पर भारत की उपस्थिति और योगदान की मांग की जाती है. ऐसे देश से जो पीछे छूट गया महसूस करता था, अब हम ऐसा देश बन गए हैं जो आगे बढ़कर नेतृत्व कर रहा है. ऐसे देश से जो विभिन्न मंचों पर अपनी आवाज खोजा करता था, हम ऐसा देश बन गए हैं जो नए वैश्विक मंच बनाता है. आज दुनिया की सर्वसम्मत राय स्पष्ट है—यह भारत का वक्त है.
• मुड़कर 2023 की तरफ देखें, क्या आप अब तक की यात्रा से और चीजंस जिस तरह घटित हुईं उससे संतुष्ट हैं? क्या यह साल आपके और देश के लिए निर्णायक मोड़ है?
एक वर्ष के दौरान मेरी यात्रा का मूल्यांकन करने से सही तस्वीर शायद न मिले क्योंकि मेरा विजन और योजनाएं उत्तरोत्तर सामने आती गई हैं. जब मैं शुरू करता हूं तो मुझे समापन बिंदु पता होता है. लेकिन मैं शुरुआत में अंतिम मंजिल या ब्लूप्रिंट की घोषणा नहीं करता. इसलिए आज आप जो देख रहे हैं, वह वह नहीं है जिस पर मैंने काम किया है. कहीं ज्यादा बड़ी तस्वीर अंतत: सामने आएगी. मैं बड़े कैनवस पर काम करता हूं. कलाकार की तरह मैं एक बिंदु से शुरू करता हूं, पर उस समय अंतिम तस्वीर नहीं देखी जा सकती.
• इस अनोखे रवैए की कुछ मिसालें बताएं?
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (गुजरात में) की ही मिसाल लीजिए. जब मैंने घोषणा की थी कि हम 182 फुट के स्टैच्यू का निर्माण करेंगे, कइयों को लगा कि इसका संबंध गुजरात विधानसभा की 182 सीटों से है. कुछ तबकों को लगा कि यह चुनाव से पहले एक समुदाय को खुश करने के लिए किया जा रहा था. लेकिन देखिए, किस तरह यह पूरे टूरिज्म ईकोसिस्टम के रूप में विकसित हो गया है, जिसमें सभी आयु समूहों और रुचियों के लोगों के लिए कुछ न कुछ है. कुछ ही दिन पहले वहां एक दिन में 80,000 विजिटर पहुंचे, यह स्तर है इसकी लोकप्रियता का. मैंने केवल एक चीज का वादा किया था, लेकिन वहां मैंने दर्जनों चीजें डिलिवर कीं. यह मेरी कार्यशैली है. जब भारत मंडपम का काम शुरू हुआ, किसी ने नहीं सोचा कि यहां जी20 होगा. लेकिन मैं योजनापूर्वक काम कर रहा था. अगर मैं नई पार्लियामेंट बिल्डिंग या गरीबों के लिए 4 करोड़ घरों की दिशा में काम करता हूं, तो यह भी इतनी ही योजना बनाकर और समर्पण के साथ करता हूं.
• भारत 2023 में भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में बना रहा. अर्थव्यवस्था से निबटते समय वे क्या गाइडिंग फैक्टर थे जिन्होंने आपकी नीतियों को गढ़ा?
अनुभव के मामले में मेरे करियर की यात्रा अनूठी रही है. मैंने सरकार के प्रमुख के रूप में 23 साल सेवा की है (गुजरात और केंद्र में), लेकिन उससे पहले 30 साल मैंने देश के विभिन्न हिस्सों की यात्रा की और लोगों के बीच रहा था. जीवन भर मैं अपने को छात्र ही मानता आया हूं और दूसरों के अनुभव और बुद्धिमता से सीखने में विश्वास करता हूं. इसलिए मैं धन्य हूं कि मेरा जमीनी हकीकतों से मजबूत जुड़ाव है.
• तो आपकी प्रबंधन शैली क्या है?
नीति बनाने का मेरा तरीका थोड़ा अलग है. मैं सभी अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों को सुनता हूं और उनकी सलाह, मेरे 'जमीनी जुड़ाव' और देश की 'जी गई वास्तविकता' को मिला-जुलाकर अपनी नीतियां और रणनीतियां बनाता हूं. मेरे जमीनी संबंध के परिणामस्वरूप मेरे कन्विक्शन (भीतरी विश्वास) भी मजबूत हैं. मैं, कुछ भी अच्छा लगे इसलिए नहीं करता, बल्कि अच्छा हो, इसलिए करता हूं. गरीबी में पले-बढ़े होने और जमीनी स्तर पर लोगों से जुड़े होने के मेरे सौभाग्य ने मुझे अंतर्दृष्टि दी कि कैसे तमाम तरह के सुधारों का फोकस लोगों के जीवन में सुधार लाने पर होना चाहिए, न कि सिर्फ सुर्खियां बनाने के लिए. दर्जनों ऐसे ही सुधार जिन्होंने लोगों के जीवन, उनके जीवनयापन की आसानी, उनके व्यवसाय करने की सुविधा पर जोर दिया, उन्हीं का परिणाम है कि भारत की वृद्धि की यात्रा ने तेज गति पकड़ ली है. हम संसाधनों के अभीष्टतम उपयोग और परिणाम-उन्मुख निगरानी में विश्वास करते हैं. हम जन आंदोलनों के माध्यम से राष्ट्रीय लक्ष्य प्राप्त करने में विश्वास करते हैं.
• आप स्वच्छता, साफ-सफाई जैसे मुश्किल सेक्टर वाले विषय क्यों उठाते हैं और यहां तक कि स्वतंत्रता दिवस के भाषण में भी उनके बारे में बोलते हैं?
मक्खन पर लकीर तो सब खींचते हैं. खींचनी है तो पत्थर पर लकीर खींचो. कठिन है तो क्या हुआ, शुरुआत तो करें. मैं इसी में विश्वास करता हूं, जो मुझे कठिन और असुविधाजनक कामों को हाथ में लेने का गहरा और भीतरी विश्वास देता है.
• आप कैसे आश्वस्त कर रहे हैं कि भारत 50 खरब डॉलर की और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बने?
हमारा ट्रैक-रिकॉर्ड खुद-ब-खुद बोलता है. जब 2001 में गुजरात का मुख्यमंत्री बना, उसकी अर्थव्यवस्था का आकार लगभग 26 अरब डॉलर (2.17 लाख करोड़ रुपए) था. जब प्रधानमंत्री बनने के लिए मैंने गुजरात छोड़ा, गुजरात की अर्थव्यवस्था का आकार 133.5 अरब डॉलर (11.1 लाख करोड़ रुपए) हो गया था. और जो कई नीतियां और सुधार किए गए, उनके परिणामस्वरूप आज गुजरात की अर्थव्यवस्था लगभग 260 अरब डॉलर (21.6 लाख करोड़ रुपए) की है. इसी तरह जब 2014 में मैं प्रधानमंत्री बना, भारत की अर्थव्यवस्था 20 खरब डॉलर (167 लाख करोड़ रुपए) की थी और 2023-24 के अंत में भारत का जीडीपी 37.5 खरब डॉलर (312 लाख करोड़ रुपए) से अधिक होगा. 23 वर्ष का यह ट्रैक रिकॉर्ड दिखाता है कि यह रियलिस्टिक टारगेट है.
• विपक्ष का कहना है कि महंगाई और नौकरियां नहीं होने से गरीब परेशान हैं. इन आलोचकों को आप क्या कहेंगे?
चलिए आरोपों को एक तरफ रख देते हैं और तथ्यों की बात करते हैं. सदी में एक बार आने वाली महामारी के दो वर्षों और वैश्विक टकरावों से वैश्विक सप्लाइ चेन के तहस-नहस हो जाने और यहां तक कि दुनिया भर में मंदी का दबाव पैदा होने के बावजूद भारत ने अच्छा लचीलापन दिखाया है. भारी मुश्किलों, वैश्विक संकटों, सप्लाइ चेन के टूटने और भू-राजनैतिक तनावों का दुनिया भर में कीमतों पर असर पड़ा. इसके बावजूद 2014-15 और 2023-24 (नवंबर तक) के बीच औसत मुद्रास्फीति मात्र 5.1 फीसद थी, जबकि इससे पहले के 10 वर्षों (2004-14) के दौरान यह 8.2 फीसद थी. कौन-सी ज्यादा है, 5.1 फीसद महंगाई या 8.2 फीसद महंगाई?
• रोजगार और नौकरियों के सृजन के बारे में क्या कहेंगे?
जहां तक नौकरियों के सृजन की बात है, यह सरकार की सबसे शीर्ष प्राथमिकता रही है. हमारे सभी प्रयास इसी दिशा में हैं. सब जानते हैं कि बुनियादी ढांचे में निवेश का वृद्धि और रोजगार पर कई प्रकार से असर पड़ता है. इसलिए हमने पूंजी निवेश पर खर्च लगातार बढ़ाया है. 2023-24 के बजट में इसे बहुत अधिक बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपए कर दिया गया, जबकि 2013-14 में यह 1.9 लाख करोड़ रुपए था. मेरा मानना है कि आपको अपने पाठकों को बताना चाहिए कि यह खर्च कैसे उत्पादक है और कैसे आम आदमी के लिए इतने सारे अवसर पैदा करता है. फिर हमारे चारों तरफ जो हो रहा है, उसे देखिए. बुनियादी ढांचे का निर्माण जिस तेजी से हो रहा है, वह पहले नहीं देखा गया, और सभी क्षेत्र 10 वर्ष पहले की तुलना में बहुत बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं.
• इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण का नतीजा क्या है जिसका जिक्र आप नौकरियों के मद्देनजर कर रहे हैं?
जब भारत 10 वर्षों से भी कम समय में मेट्रो लाइन की लंबाई को 248 किमी से 905 किमी पर ले गया, क्या इससे अधिक नौकरियां पैदा नहीं हुई होंगी? जब भारत 10 वर्षों से भी कम समय में हवाई अड्डों की संख्या 74 से 149 पर ले गया, क्या इससे अधिक नौकरियां नहीं पैदा हुई होंगी? जब मेडिकल कॉलेजों की संख्या 10 वर्षों से भी कम समय में 387 से बढ़कर 706 हो गई, क्या इससे और अधिक नौकरियों का सृजन नहीं हुआ होगा? 2014 की स्थिति की तुलना में अगर सड़कों का निर्माण दोगुना हो गया, क्या इससे और अधिक नौकरियां पैदा नहीं हुई होंगी? अगर पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है, तो क्या इससे और अधिक नौकरियां पैदा नहीं हुई होंगी? अगर कृषि पैदावार में काफी बढ़ोतरी हुई है, क्या इससे आजीविका के अधिक अवसर पैदा नहीं हुए? यही कारण है कि हाल के वर्षों में श्रम बाजारों में रोजगार दरें गिरती देखी गईं, जो 2018-19 में 5.8 फीसद से घटकर 2022-23 में 3.2 फीसद पर आ गईं. इसके साथ ही श्रम बल भागीदारी दर बढ़ी है, जो 2018-19 में 50.2 फीसद से 2022-23 में 57.2 फीसद पर पहुंच गई. 31 मार्च, 2022 को ईपीएफओ के 27.74 करोड़ सदस्य थे, जबकि 31 मार्च 2014 को 11.78 करोड़ ही थे.
• भाजपा ने हाल में जीते हिंदी पट्टी के तीन राज्यों के लिए नए चेहरे चुने. यह ट्रेंड आपने तभी शुरू किया जब से आप प्रधानमंत्री बने हैं. इसके पीछे सोच क्या है?
यह नया ट्रेंड नहीं है. वास्तव में भाजपा के भीतर इस प्रैक्टिस की सबसे बड़ी मिसाल तो मैं हूं. जब मुझे गुजरात का मुख्यमंत्री चुना गया, मुझे पहले का कोई प्रशासनिक अनुभव नहीं था और विधानसभा में चुना तक नहीं गया था. हां, यह नए ट्रेंड की तरह दिखाई दे सकता है, क्योंकि आज दूसरी ज्यादातर पार्टियां परिवारवादी पार्टियां हैं.
• भाजपा इन तथाकथित परिवारवादी पार्टियों से कैसे अलग है?
परिवारवादी पार्टियों को यह लोकतांत्रिक मंथन कठिन लगता है. भाजपा में एक ही समय नेतृत्व की कई पीढ़ियों को एक साथ पोषित करने की क्षमता है. भाजपा के अध्यक्षों को देखिए और आप हर कुछ वर्षों में नए चेहरे देखेंगे. हमारी काडर आधारित पार्टी है, जो स्पष्ट मिशन लेकर चलती है. हम सबने जमीनी कार्यकर्ता के रूप में शुरुआत की और समर्पण तथा कड़ी मेहनत के बूते ऊपर उठते गए. इसी प्रतिबद्धता के कारण विशेष रूप से युवा भाजपा के साथ मजबूती से जुड़ा महसूस करते हैं. लोकतंत्र में नई पीढ़ियों और नए खून को अवसर देना बहुत जरूरी है. यह लोकतांत्रिक मंथन ही लोकतंत्र को जीवंत बनाता है. यह लोकतांत्रिक मंथन ही हमारी पार्टी को जीवंत बनाता है और हमारे कार्यकर्ताओं में आकांक्षा और उम्मीदों की लौ जगाए रखता है. उन्हें लगता है कि कड़ी मेहनत के बल पर वे भी पार्टी में ऊपर उठ सकते हैं. हमारी पार्टी अलग-अलग प्रयोग करने की अभ्यस्त है. गुजरात में हमने मंत्रिमंडल में सभी नए चेहरों का विकल्प चुना. दिल्ली में हमने स्थानीय निकाय चुनावों में सभी नए चेहरों का विकल्प चुना.
• भाजपा किसी भी दक्षिण या पूरब के बड़े राज्यों में सत्ता में नहीं है. इनमें से ज्यादातर राज्यों में मजबूत क्षेत्रीय नेता हैं. सच्ची अखिल भारतीय पार्टी बनने का भाजपा का गेमप्लान क्या है?
यह गलत आकलन है, आप चीजों को अति सरल बनाकर रख रहे हैं. भाजपा के बनने के समय से ही हम ऐसी मिथ्या बातें सुनते आ रहे हैं कि हम कौन हैं और किसका प्रतिनिधित्व करते हैं. कभी हमें ब्राह्मण-बनिया पार्टी कह दिया गया, तो कभी ऐसी पार्टी जो केवल हिंदी पट्टी की बात करती है. यहां तक कि हमें ऐसी पार्टी भी कह दिया गया, जिसे केवल शहरों में समर्थन मिलता है. मगर एक के बाद एक चुनावों में हमने ऐसे सभी लेबल को गलत साबित कर दिया.
• यह निष्कर्ष कैसे गलत है?
आज देश का कोई कोना ऐसा नहीं है जहां हमारी पार्टी को समर्थन न मिलता हो. केरल के स्थानीय निकायों से लेकर कई राज्यों में प्रमुख विपक्ष होने तक हमारी पार्टी लोगों के बीच जोरदार काम कर रही है. बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और झारखंड में हम प्रमुख विपक्षी दल हैं. बिहार में लोगों ने अपना प्रबल समर्थन और जनादेश वास्तव में हमें दिया था. छह महीने बाद कर्नाटक में हमारी सरकार थी. यहां तक कि आज भी पुदुच्चेरी में हमारी सरकार है. फिलहाल हम 16 राज्यों में शासन कर रहे हैं और आठ में प्रमुख विपक्षी दल हैं. 2014 में जहां हमारी कोई उपस्थिति नहीं थी, अब पूर्वोत्तर के छह राज्यों में हम सरकार में हैं, जिनमें नगालैंड और मेघालय जैसे ईसाई बहुल राज्य भी हैं. यही नहीं, जहां तक दक्षिण भारत की बात है, लोकसभा सीटों की दृष्टि से हम सबसे बड़ी पार्टी हैं. दो लोकसभा सीटों की विनम्र शुरुआत (1984 में) से अब 303 तक की हमारी यात्रा पर विचार कीजिए. क्या हम देश के सभी हिस्सों के लोगों के समर्थन और शक्ति के बिना राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण ताकत बनकर उभर सकते थे?
• हाल के विधानसभा चुनावों में लीड कैंपेनर होने के नाते आपकी रैलियों ने निर्णायक फर्क पैदा किया...
यहां आपका आकलन अधूरा है. भाजपा काडर आधारित पार्टी है. ठेठ पोलिंग बूथ तक भाजपा के पास प्रतिबद्ध कार्यकर्ताओं का विशाल नेटवर्क है. हर स्तर पर उसके पास नेतृत्व है जिसकी लोगों के बीच गूंज सुनाई देती है. जीत सबके मिले-जुले प्रयासों से आती है. इसलिए मुझे श्रेय देना अनुचित होगा. श्रेय हमारे कार्यकर्ताओं और उनकी कड़ी मेहनत को जाता है.
• 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए 'मोदी गारंटी' क्या है?
मेरे लिए गारंटी केवल शब्द या चुनावी वादे नहीं हैं, यह मेरी दशकों की कड़ी मेहनत है. यह समाज के प्रति संवेदनशीलता की अभिव्यक्ति है. मैं जब 'गारंटी' की बात करता हूं, तो मैं अपने को इसके साथ बांधता हूं. यह मुझे सोने नहीं देती, यह मुझे कड़ी मेहनत करने को प्रेरित करती है, यह मुझे अपना सब कुछ देश के लोगों को दे देने की तरफ ले जाती है. कृपा करके गारंटी शब्द के शब्दकोश वाले अर्थ की तलाश मत करिए.
• तो, आपकी गारंटी की परिभाषा क्या है?
जिस व्यक्ति को गरीबी के जीवन का अनुभव है, केवल वही समझता है कि गरीब व्यक्ति को जीवन में आगे बढ़ाने वाली सबसे बड़ी शक्ति उसका विश्वास, उसकी आशा है. गरीबों की यही आस्था मुझे आगे बढ़ाती रहती है. मोदी अपना सब कुछ न्योछावर कर देगा, पर अपने गरीब भाइयों और बहनों का यह विश्वास टूटने नहीं देगा. मोदी की गारंटी चुनाव जीतने के लिए तैयार कोई फॉर्मूला नहीं है, मोदी की गारंटी गरीबों का यही विश्वास है. आज देश का हर गरीब व्यक्ति जानता है कि मोदी अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटेगा. आज देश के हर गरीब व्यक्ति को पता है कि पहले राजनैतिक दलों ने किस तरह उनका विश्वास तोड़ा. लेकिन उन्हें यह भी पता है कि मोदी की गारंटी पर विश्वास किया जा सकता है. गरीबों के इस विश्वास से ही मुझे ऊर्जा मिलती है—भले ही मुझे अपने को पूरी तरह थकाना पड़े या अपने पर सीमा से अधिक जोर डालना पड़े, मैं इस विश्वास को भंग नहीं होने दूंगा.
• क्या आपको 2024 में हैट-ट्रिक करने का यकीन है? कौन-से बड़े मुद्दे आम चुनाव के नतीजों को प्रभावित करेंगे?
जहां तक 2024 की बात है, सवाल मेरे आत्मविश्वास का नहीं. मेरे हाथ में तो बस यही है कि लोगों की सेवा में अपना सब कुछ लगा दूं. मैं पूरी ईमानदारी और प्रतिबद्धता से यह करने का प्रयास कर रहा हूं. लेकिन आज लोगों, विशेषज्ञों, जनमत बनाने वालों और मीडिया के मित्रों के बीच भी आम राय है कि हमारे देश को मिली-जुली सरकार की जरूरत नहीं है. मिली-जुली सरकारों से उत्पन्न अस्थिरता के कारण हमने 30 वर्ष गंवा दिए. लोग मिली-जुली सरकारों के युग में सुशासन का अभाव, तुष्टीकरण की राजनीति, भ्रष्टाचार देख चुके हैं. इसका परिणाम यह हुआ कि लोग आशावाद और आत्मविश्वास से हाथ धो बैठे, और दुनिया में भारत की छवि खराब हुई. इसलिए स्वाभाविक रूप से लोगों की पसंद भाजपा है.
• सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 को रद्द करने के निर्णय को बरकरार रखते हुए कानूनी तौर पर इसका समापन कर दिया. अब राजनैतिक समापन के लिए चुनाव करवाने और राज्य का दर्जा बहाल करने समेत किन कदमों की जरूरत है?
देश के सामने मुद्दा सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कानूनी समापन करने का नहीं है. लोगों को दिक्कत एक अस्थायी प्रावधान को खत्म करने में हुई देरी से है. संसद में नेहरू जी के यह कहने के बावजूद कि यह ''घिसते-घिसते घिस जाएगी'', सात दशकों तक जम्मू-कश्मीर के लोगों को और विशेष रूप से महिलाओं और साधनहीन समुदायों के लोगों को उनके अधिकारों से वंचित रखा गया. अनुच्छेद 370 के हमेशा के लिए खत्म होने के साथ जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोग पहली बार अपने हाथों से अपनी नियति गढऩे के लिए स्वतंत्र हैं. भारत का संविधान, जो सामाजिक रूप से कमजोर समूहों के अधिकारों की रक्षा करता है, उन पर भी पूरी तरह लागू है. जम्मू-कश्मीर की महिलाएं आज खेलों से लेकर उद्यमिता तक विभिन्न क्षेत्रों में उभरकर आ रही हैं. नए उद्योग खुल रहे हैं. आतंकवाद रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है, जबकि पर्यटन रिकॉर्ड ऊंचाइयां छू रहा है. जी20 की बैठक सरीखे अंतरराष्ट्रीय आयोजन हुए और दुनिया ने इस इलाके का आतिथ्य और मौलिक सौंदर्य देखा.
• आप जम्मू-कश्मीर में स्थायी शांति के लिए क्या कर रहे हैं?
सरकार ने बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाया है जिसका जोर सुरक्षा, विकास, बुनियादी ढांचे में निवेश और मानव पूंजी तथा सरकारी प्रक्रियाओं के संपूर्ण पुनर्गठन पर है. हम इस इलाके के लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाकर, आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देकर और रोजगार के अवसर पैदा करके शांति, स्थिरता और समृद्धि आश्वस्त करने के रास्ते पर हैं. राष्ट्रीय स्तर पर संसद में जम्मू-कश्मीर का पहले से प्रतिनिधित्व है. स्थानीय स्तर पर हम पहली बार लोकतंत्र को ठेठ जमीन तक ले जाने में सफल हुए हैं. राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत राज व्यवस्था स्थापित की गई है और जमीनी स्तर पर 35,000 नेता चुने गए हैं. इन चुनावों की अहमियत को हम कम करके क्यों आंकते हैं? डेमोक्रेसी हो, डेवलपमेंट हो या डायनैमिज्म, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोग आज चौतरफा प्रगति देख रहे हैं.
• अंतरिक्ष अन्वेषण के अलावा सेमीकंडक्टर चिप निर्माण और दूसरी महत्वपूर्ण तथा उभरती टेक्नोलॉजी को भारी प्रोत्साहन दिया गया है. देश को इन क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनाने और टेक्नोलॉजी महाशक्ति बनाने के लिए हमें और क्या करने की जरूरत है?
मुझे खुशी है कि आपने इन क्षेत्रों में हमारी कोशिशों पर गौर किया. दुर्भाग्यपूर्ण है कि 30 वर्षों तक सत्ता में बैठे लोग सिर्फ सरकारें चला रहे थे, देश नहीं. सेमीकंडक्टर मिशन 30 साल पहले शुरू हो जाना चाहिए था. हमें पहले ही देर हो चुकी है. वे हमारे लोगों की क्षमता और उनकी काबिलियत पर संदेह करते रहे. अनुसंधान या डिजाइन के मामले में हमारे लोगों में जबरदस्त क्षमताएं हैं. हमने परमाणु ऊर्जा से लेकर अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी बड़ी कामयाबी हासिल की है. दुनिया अब ब्रह्मोस मिसाइल जैसी तमाम दूसरी चीजों के जरिए रक्षा मैन्युफैक्चरिंग में हमारी सक्रियता देख रही है. मेरा मानना है कि सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में कामयाबी के लिए भारत के पास सभी आवश्यक शर्तें मौजूद हैं. इसके लिए हम नीतियों, प्रोत्साहनों और कौशल के सही मिश्रण पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. हमने अपने सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग मिशन में बड़ी छलांग लगाई है. हमारा जोर अब इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन का पूरा ढांचा भारत में लाने पर है, जिसमें उसकी समूची शृंखला शामिल है. हम इसके लिए अनूकूल और सक्षम वातावरण बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं.
• एआइ के बारे में क्या विचार है?
हम यह भी चाहते हैं कि भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) के क्षेत्र में अग्रणी बने. हम भारतीय भाषाओं की विविधता और हमारी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बड़े स्वदेशी भाषा मॉडल में अपनी कंप्यूटिंग शक्ति पर काम करेंगे. टेक्नोलॉजी के प्रति मानसिकता में बदलाव की जरूरत है. आज कक्षाओं से लेकर बोर्डरूम तक, हम प्रगतिशील और स्थिर नीतियों के साथ इनोवेशन और पूंजी की आसान उपलब्धता पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. याद रखें, आज का इनोवेशन कल की इंडस्ट्री है. और इंडस्ट्री ही निवेश और आय में बढ़ोतरी लाती है.
• अंतरराष्ट्रीय मुद्दों की बात करें तो जी20 की सफल अध्यक्षता और दक्षिणी गोलार्ध के मुद्दों को सामने लाकर आपने दुनिया में प्रशंसा हासिल की. 2023 में दिल्ली से मिली बढ़त बरकरार रखने के लिए देशों को अब क्या करना होगा?
हमें जी20 की अध्यक्षता कई तथा परस्पर जुड़ी वैश्विक चुनौतियों के समय में मिली. मुझे खुशी है कि हम वैश्विक एजेंडे में मानव-केंद्रित विकास की ओर ध्यान खींचने में कामयाब हुए. हमने विकसित और विकासशील दुनिया को आम सहमति बनाने के लिए प्रेरित किया. हमने बहुपक्षवाद को पुनर्जीवित किया. विकासशील देशों पर खासकर धीमी वैश्विक वृद्धि, बढ़ते कर्ज, जलवायु परिवर्तन और भू-राजनैतिक टकरावों से काफी असर पड़ा है. हमारी अध्यक्षता दुनिया के नैरेटिव में ग्लोबल साउथ को उचित जगह दिलाने का मंच बन गई. नई दिल्ली में जी20 के स्थायी सदस्य के रूप में अफ्रीकी संघ को शामिल करना ऐतिहासिक निर्णय था, जिससे 55 अफ्रीकी देशों को मुखर आवाज हासिल हुई है. भारत की अध्यक्षता के दौरान जी20 अधिक मजबूत और उद्देश्यपूर्ण बनकर उभरा है, जिसने वैश्विक एजेंडे को अधिक प्रभावी ढंग से आकार दिया है. यह सामने आए अहम नतीजों से जाहिर होता है, जिनमें टिकाऊ विकास लक्ष्य, लाइफ (पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली), डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा, खाद्य सुरक्षा और पोषण, अक्षय ऊर्जा, महत्वपूर्ण खनिज, वैश्विक स्वास्थ्य, हुनरमंदों के लिए प्रवास मार्ग, जलवायु और विकास वित्त, एमडीबी (बहुपक्षीय विकास बैंक) सुधार और भी बहुत कुछ शामिल है. मुझे खुशी हो रही है कि जी20 शिखर सम्मेलन में हमारे कई निर्णयों और पहल को आगे बढ़ाया जा रहा है. इसी उद्देश्य से हमने अपनी जी20 अध्यक्षता की समाप्ति से पहले वर्चुअल मोड में दूसरा जी20 नेताओं का शिखर सम्मेलन आयोजित किया. हमने नवंबर 2023 में सेकंड वॉएस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन भी आयोजित किया.
• इन बैठकों में समीक्षा का क्या नतीजा निकला?
यह देखना सुखद है कि नई दिल्ली में ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर जी20 की कई उपलब्धियां, जैसे वैश्विक अक्षय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करना (2030 तक), हाइड्रोजन (ईंधन के रूप में ) का विकास, और जलवायु तथा ऊर्जा वित्त के मामले पर दुबई में सीओपी28 में विचार किया गया और आगे बढ़ाया गया. जी20 के प्रो-इनोवेशन गवर्नेंस और रेगुलेशन में एआइ पर संदेश को बाद की अंतरराष्ट्रीय बैठकों में पुख्ता किया गया है, जिसमें एआइ सम्मेलन पर वैश्विक भागीदारी भी शामिल है, जिसे हमने इस महीने की शुरुआत में आयोजित किया था. जलवायु और विकासात्मक वित्त को बढ़ाने में मदद करने और एमडीबी को अधिक प्रतिनिधित्व वाला बनाने के लिए एमडीबी सुधार अब अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के एजेंडे के केंद्र में है. हमारी अध्यक्षता के दौरान बनाए गए महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास, आपदा जोखिम कम करने और स्टार्ट-अप पर व्यवस्था को अब ब्राजील अपनी जी20 अध्यक्षता में आगे बढ़ा रहा है. भारत, जी20 तिकड़ी के सदस्य के रूप में पिछले वर्ष के लाभों को आगे बढ़ाने के लिए रचनात्मक योगदान देना जारी रखेगा. वह हमारे लोगों और हमारी धरती की शांति और समृद्धि के लिए सामूहिक कदम उठाएगा.
• आपने कहा कि यह युद्ध का दौर नहीं. यूक्रेन के अलावा गजा और दूसरे कई छोटे टकराव तेज हुए हैं. भारत ने इन संकटों के दौरान चतुराई से संतुलन बनाने की भूमिका निभाई. क्या यह वैश्विक अराजकता से निकलने की 'मोदी राह' है?
मेरा हमेशा से मानना रहा है कि भय और दबाव से मुक्त माहौल में ईमानदार बातचीत और ईमानदार कूटनीति से मतभेदों को सुलझाया जाना चाहिए. चाहे यूक्रेन हो या गजा, हमारा रुख इसी के इर्दगिर्द रहा है. हम आतंकवादियों या हिंसा को एजेंडा तय नहीं करने दे सकते. जिन लोगों की टकराव में कोई भूमिका नहीं, वे ही अक्सर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं. कूटनीति को प्रधानता देने का मतलब यह नहीं है कि आतंकवाद और क्षेत्रीय संप्रभुता के मामले में हम समझौता कर लें.
• हमारे पड़ोसियों, खासकर चीन और पाकिस्तान पर क्या रुख है?
पड़ोसियों के साथ व्यवहार की 'मोदी राह' यही है कि रिश्ते रचनात्मक और सहयोगात्मक हों, लेकिन जरूरत पड़ने पर दो-टूक और ठोस हों. पहल और चुनौतियों दोनों में आप पहले से अंतर देख सकते हैं.
• आपकी सरकार यह तय करने के लिए किन प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगी कि 2047 तक विकसित भारत बन जाए?
आप बारीकी से देखें तो आज का जो समय है, उसमें एक ऐतिहासिक समानता है. सौ साल पहले आजादी को लेकर एक उम्मीद थी. 1922 से लेकर 1947 तक के कालखंड में हर कोई स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान देना चाहता था. किसी ने खादी कातकर योगदान दिया, तो कोई विभिन्न आंदोलनों में भाग लेकर, लोग जैसे भी योगदान दे सकते थे, उन्होंने दिया. अगले 25 वर्ष देश के लिए महत्वपूर्ण हैं. मैं लोगों में आजादी के 100 साल पूरे होने तक भारत को विकसित देश बनाने के प्रति उसी तरह की उम्मीद और आशा देखता हूं. यही ऊर्जा मेरी प्रेरणा है. हम ज्ञान (जीवाइएएन) पे ध्यान देंगे, ज्ञान को सम्मान देंगे, तो विकसित भारत बनेगा. ज्ञान यानी जीवाइएएन में जी से गरीब, वाइ से युवा, ए से अन्नदाता, एन से नारीशक्ति है. आज भारत में जनसंख्या का लाभ है. इस लाभ को उत्पादकता और आर्थिक विकास में बदला जाना चाहिए.
• इन लाभों को आगे बढ़ाने के लिए आपके प्रस्ताव क्या हैं?
देश को 2047 तक विकसित बनाने के लिए मेरी सबसे बड़ी प्राथमिकता हमारे युवाओं के लिए अच्छा स्वास्थ्य और फिटनेस और उन्हें उचित हुनर से लैस करना होगा. कौशल विकास हमारे स्कूलों से ही शुरू होता है, जहां प्रत्येक कक्षा में युवा दिमागों को नए ढंग से सोचने और समस्याओं का हल ढूंढने के लिए तैयार करने की क्षमता होती है. इस प्रकार हम एनईपी के माध्यम से एक ऐसी शिक्षा प्रणाली विकसित कर रहे हैं जो हमारे बच्चों को 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करती है, एक ऐसी प्रणाली जो उन्हें बाधाओं को अवसरों में बदलना सिखाती है.
• उद्योग और निवेश के मामले में आपका रुख क्या होगा?
हमारी प्राथमिकता छोटे और मझोले उद्योग-धंधों को मदद तथा शह देना और उनकी उत्पादकता में सुधार करना है. बड़े पैमाने पर उच्च उत्पादकता और उच्च वेतन वाली नौकरियां पैदा करने के लिए इन उद्यमों में बढ़ोतरी जरूरी है. हम उन्हें आसान शर्तों पर पूंजी, टेक्नोलॉजी तक पहुंच, अधिक अवसर और नियम-कायदों में ढील देने की दिशा में काम कर रहे हैं. 2047 तक 'विकसित देश' का दर्जा हासिल करने का लक्ष्य रखने वाले बढ़ते भारत को विविध और नवीन स्रोतों के माध्यम से निवेश के वित्त-पोषण की आवश्यकता होगी. देश के वित्तीय क्षेत्र और पूंजी बाजारों को कौशल, क्षमता और नियामक ढांचे के संदर्भ में तैयार करना है, ताकि वे देश की निवेश जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हो सकें, मेरे लिए यह अहम प्राथमिकता है. देश में कारोबारी सहूलत की जरूरतों के अलावा, हम देश के निर्यात को प्रतिस्पर्धी बनाने पर ध्यान केंद्रित करेंगे. इससे इनोवेशन और आर्थिक रूप से परिष्कृत उत्पादन को प्रोत्साहन मिलेगा. राजकाज में सुधार मेरे दिल के करीब है. प्रदर्शन की जवाबदेही और क्षमता निर्माण कारगर राजकाज के दो स्तंभ हैं जिन्हें हम मजबूत करेंगे.
• एक निजी सवाल, आप तकरीबन 22 वर्षों से मुख्यमंत्री और अब प्रधानमंत्री के रूप में प्रमुख नेतृत्व पदों पर हैं. इस दौरान आपके प्रमुख सबक क्या रहे, आपकी सफलता के मंत्र क्या हैं?
मेरी सफलताएं और मेरे प्रयास दोनों सार्वजनिक दायरे में सबके सामने हैं. लोग मेरे आचरण और कामकाज के गवाह हैं और मीडिया के मित्र सफलता के मंत्र के अपने निष्कर्ष निकालने के लिए स्वतंत्र हैं. एक बात जिसका मैंने हमेशा पालन किया है वह है: सबसे पहले राष्ट्र. मैंने जो कुछ भी किया है, एक कार्यकर्ता के रूप में किया, चाहे मुख्यमंत्री के रूप में और प्रधानमंत्री के रूप में मैंने हमेशा देश को सबसे आगे रखा है. मैंने जो भी निर्णय लिए, राष्ट्रहित को ध्यान में रखकर लिए. अक्सर लोग मुझसे पूछते हैं कि मैंने कठिन निर्णय कैसे लिए. मेरे लिए यह मुश्किल नहीं लगता क्योंकि मैं अपने सभी फैसले राष्ट्र को आगे रखकर लेता हूं.
• आने वाले नए साल के लिए आपकी चाहत-सूची क्या है?
मैं ऐसा व्यक्ति नहीं हूं जो चाहतों की सूची में विश्वास करे, बल्कि मैं अपनी कार्य-सूची में विश्वास करता हूं.