क्यों भारत में रिलीज नहीं हो रही ऑस्कर नॉमिनेटेड फिल्म 'संतोष'?
पुलिस तंत्र में पनपी सांप्रदायिकता, जातिवाद और मर्दवाद की कलई खोलती, ऑस्कर के लिए नॉमिनेटेड ठेठ हिंदी फिल्म 'संतोष' को भारत में रिलीज होने का इंतजार है

संतोष फिल्म के एक दृश्य में कॉन्स्टेबल संतोष (शहाना गोस्वामी) सिविल ड्रेस में मेरठ के एक चालू किस्म के रेस्तरां में खाना खा रही है. दूर सामने एक अभद्र अधेड़ उसको देर से घूर रहा है. वह रोटी-शोरबा लगभग भकोसते हुए पूरा मुंह भरती है और अपने ही आगे लंबी-गाढ़ी उल्टी कर देती है. ऐसे आक्रामक जवाब से सकपकाया वह बंदा निगाहें घुमा लेता है.
लेकिन उत्तरार्ध के एक दृश्य के दो सवालिया डॉयलॉग कहानी के मर्म के साथ सिनेमाई क्राफ्ट के कौशल की भी कथा कह देते हैं. सवर्ण प्रधानपति के घर इन्क्वायरी को पहुंची संतोष पूछती है: ''तुमने करा?’’ वह सवालों में ही जवाब देता है: ''अगर मैंने किया तो?...तूने किया? सुनने में तो यही आ रहा है!’’ इसमें पलड़े के एक तरफ है बलात्कार और मर्डर; दूसरी तरफ हिरासत में एक संदिग्ध की टॉर्चर के बाद मौत. ऐंठे सवालों ने जैसे दोनों को सम पे ला खड़ा किया.
भारतीय मूल की ब्रिटिश डॉक्युमेंट्री फिल्मकार संध्या सूरी (55) की यह पहली फीचर फिल्म है. पिछले साल दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित कान फिल्म फेस्टिवल में दिखाए जाने के बाद से ही यह समीक्षाओं और चर्चाओं में कायम है. ब्रिटेन ने इसे ऑस्कर (2025) के लिए बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्म श्रेणी में अपने देश की आधिकारिक प्रविष्टि बनाया.
कान के अलावा टोरंटो (कनाडा), बीएफआइ (लंदन) और मामी (मुंबई) तथा धर्मशाला जैसे फेस्टिवल्स में भी इसे दिखाया जा चुका है. अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और कुछ दूसरे देशों में यह रिलीज होकर कई अवार्ड भी ले चुकी है. लेकिन खालिस हिंदी में बनी और 2023 की गर्मियों में ठेठ लखनऊ के आसपास शूट हुई संतोष का हिंदुस्तान के सिनेमाघर अब भी इंतजार कर रहे हैं.
जनवरी में यहां रिलीज प्रस्तावित थी लेकिन केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) की ओर से कई दृश्य हटाने को कहने और प्रोडक्शन टीम के इससे साफ इनकार कर देने पर यह लटक गई. अभी इसी 17 अक्तूबर को इसे लायंसगेट प्ले ओटीटी प्लेटफॉर्म पर आना था लेकिन ऐन वक्त पर भी वहां भी रोड़ा अटक गया. वैसे इंटरनेट पर ट्रेलर के अलावा फिल्म के दर्जनों दृश्य शेयर हो रहे हैं. इसी रुझान को देखकर सूरी ने कहा कि फिल्म रिलीज न होने से पाइरेसी को बढ़ावा मिलेगा.
दरअसल भारतीय पुलिस तंत्र में नासूर बने भ्रष्टाचार, सांप्रदायिकता, जातिवाद और मर्दवाद को संतोष शोध की पूरी तैयारी से इतनी प्रामाणिकता के साथ पकड़ती है कि उससे तिलमिला उठना लाजिमी है. मेरठ के दंगों में मारे गए पति रतन सैनी की जगह आश्रित कोटे से नौकरी पाने वाली संतोष (बल्यान) को उसकी थानेदार गीता शर्मा (सुनीता रजवार) एक दलित के कत्ल की जांच में लगाती है.
यहीं से दृश्यवार परतें खुलती हैं पुलिसकर्मियों के एक बड़े तबके में मुसलमानों के प्रति द्वेष, 'अछूतों’ से नफरत और 'मर्दानगी’ की; पति की मौत के ''बदले’’ और आंखों के सामने धोए जाते सच को देख दुविधा में झूलती संतोष की. प्रस्तुति ऐसी कि कहानी और स्क्रीन अक्सर एक हो जाते हैं. शहाना और सुनीता करिअर में इससे बेहतर किरदार के लिए बस कामना ही कर सकती हैं. हां, प्रधानपति की छोटी-सी बेटी के दो-तीन सादा दृश्यों में खौफ का जो घटाटोप रचा गया है उसकी रस्सी पकड़कर आप लुसिल हाजीइलीलोविच की इयरविग (2021) तक जा सकते हैं.
इस फिल्म के जरिए संध्या सूरी समकालीन विश्व सिनेमा की ऐसी निर्देशकों में शुमार हो गई हैं जो सब्र के साथ इंतजार करती हैं और मौका मिलते ही आज की आगे बढ़ती, मुश्किलों में फंसती और रास्ता निकालती स्त्री का किस्सा शिद्दत से कहती हैं. इवा विक्टर (सॉरी, बेबी—2025), इंडिया डोनाल्डसन (गुड वन—2024) और एलिजा हिटमैन (नेवर रेयरली समटाइम्स ऑल्वेज—2020) इसकी गवाह हैं. इनके हौसले को देखकर मिलता है संतोष! ठ्ठ
सिने-सुझाव: गजेंद्र सिंह भाटी
स्लो हॉर्सेज 2022-25*
आला दर्जे की कमाल स्पाय थ्रिलर सीरीज. कहानी ब्रिटेन की एलीट एजेंसी एमआई-5 के कुछ एजेंट्स की जिन्हें नालायक पाए जाने पर एक बदनाम डिपार्टमेंट 'स्लो हाउस’ में फेंक दिया जाता है. यहीं से स्लो हॉर्सेज नाम आया. वहां उनका बॉस है जैक्सन लैंब (गैरी ओल्डमैन) जो सड़ियल लेकिन तेज-तर्राट है.
वह उन्हें बेकार मिशनों के बहाने जासूसी के असली खेल में डाल देता है और इंग्लैंड को साजिशों से बचाता है. महीन गुणवत्ता का मनोरंजन. स्मार्ट, असरदार, हंसाने वाला, थ्रिल बनाए रखने वाला. इसका पांचवां सीजन जारी है.
कहां देखें: एप्पल टीवी.
तुडरुम 2025
टैक्सी ड्राइवर बेंज केरेला के एक सुंदर, शांत कस्बे पेरुनाड में रहता है. ब्लैक एंबेसेडर कार चलाता है. घर में पत्नी, बेटा, बेटी हैं. एक दिन वह किसी काम से शहर जाता है और पीछे से पुलिस उसकी कार उठा लेती है.
लौटता है तो ऐसी घटनाओं की शृंखला में फंस जाता है कि दर्शक एक के बाद एक शॉकिंग चीजें जानता चला जाता है. एक छोटी घटना बहुत बड़ी चीज में तब्दील हो जाती है. आपको दृश्यम पसंद आई हो तो यह कुछ-कुछ वैसी ही कमाल की मलयालम फिल्म है. दिख कुछ रहा, हो कुछ रहा.
कहां देखें: जियोहॉटस्टार.
पुष्पक विमान 1987
यह ब्लैक कॉमेडी एक पढ़े-लिखे बेरोजगार की कहानी है. किराए के कमरे में रहता है. टूथपेस्ट के आखिरी कण तक को निकालता है. चौथाई गिलास चाय ही खरीद पाता है. पब्लिक टॉयलट की लंबी लाइन ही उसका सत्य है.
एक दिन, एक शराबी रईस उसे नाली में पड़ा मिलता है. अब वह बेरोजगार उसकी लाइफ जीने लगता है. आलीशान. पर फिर जान पर बन आती है. कमल हासन ने यह अनुपम रोल किया. फिल्म में किसी पात्र का कोई नाम नहीं. न कोई डायलॉग न भाषा.
कहां देखें: यूट्यूब.
स्ट्रेंजर, 2020
यह एक ग्रिपिंग कोरियन सीरीज है. अलग-सी. कोरिया का एक कट्टर ईमानदार प्रोसीक्यूटर है: इमोशनलेस. इसलिए अजीब-सा. एक मर्डर होता है. वह और एक ईमानदार महिला पुलिस ऑफिसर जांच करते हैं.
इसमें शॉकिंग सच सामने आते हैं. सोल की पूरी राजनीतिक और कानून व्यवस्था में भ्रष्टाचार फैला है. अब ये क्या करेंगे? पर प्रोसीक्यूटर पागल-सा है. क्या-क्या नहीं होता पर वो रुकता नहीं. बेहद इंगेजिंग, ताजा और कामयाब क्राइम ड्रामा.
कहां देखें: नेटफ्लिक्स.