ग्रैमी अवार्ड्स 2024 : भारतीय संगीतकारों वाले 'शक्ति बैंड' का जलवा, सभी तीन ट्रॉफियां जीती
इस बैंड के एल्बम 'दिस मोमेंट' ने ग्लोबल म्यूजिक एल्बम श्रेणी में अवार्ड जीता. इसमें जाने-माने कलाकार शंकर महादेवन, जॉन मैकलॉक्लिन, जाकिर हुसैन, वी. सेल्वागणेश और गणेश राजगोपालन साथ आए हैं

—आरती कपूर सिंह
गैमी अवॉर्ड्स में तिहरी कामयाबी के एक दिन बाद बधाई दिए जाने पर तबले के उस्ताद पद्मश्री जाकिर हुसैन ने ठठाकर कहा, "तिहाई है तिहाई!" अपनी 73वीं सालगिरह से महज एक महीने पहले लॉस एंजिलिस में हुए ग्रैमी अवॉर्ड समारोह में उन्होंने एक ही रात में तीन में से तीनों ट्रॉफियां जीतने वाला पहला भारतीय बनकर इतिहास रच दिया.
ये तीन ट्रॉफियां बेस्ट ग्लोबल म्यूजिक परफॉर्मेंस, बेस्ट कंटेंपररी इंस्ट्रूमेंटल एल्बम और बेस्ट ग्लोबल म्यूजिक एल्बम श्रेणियों में मिलीं. हुसैन की झोली में अब ऐसे पांच अवॉर्ड हैं, जिनकी बदौलत वे सितार वादक पं. रविशंकर और मास्टर कंडक्टर जुबिन मेहता के अवॉर्ड की बराबरी पर आ गए हैं.
हुसैन कहते हैं, "यह पूरी तरह प्रेम के बारे में है, पूरी तरह समरसता के बारे में, पूरी तरह अलग-अलग स्वरों के एक होने के बारे में है. जिस किस्म की प्रतिभाओं के साथ काम करने के लिए मुझे सम्मानित किया गया है, उनका साथ आना ही मुश्किल होता है, और यहां मैं उनके साथ काम करने के सौभाग्य से गौरवान्वित हूं."
'पश्तो' ने बेस्ट ग्लोबल म्यूजिक परफॉर्मेंस श्रेणी में ग्रैमी जीता. यह संगीत रचना हुसैन ने अमेरिकी बैंजो वादक बेला फ्लेक, अमेरिकी बैसिस्ट एडगर मेयर और भारतीय बांसुरी वादक राकेश चौरसिया के साथ मिलकर रची और रिकॉर्ड करवाई है. यह उन भारतीय शास्त्रीय संगीतकारों की परंपरा के प्रति आदरांजलि है जो शुरुआती 20वीं सदी के भारत में ब्रिटिश इंपीरियल बैंड के साथ गाते-बजाते थे.
यह गाना उस ताल-लय का समृद्ध तानाबाना बुनता है जो जाकिर हुसैन की पहचान है. पश्तो में 'एज वी स्पीक' भी फीचर्ड है—यह वह एल्बम है जिसने उस रात हुसैन (और फ्लेक, मेयर और चौरसिया) को बेस्ट कंटेम्पररी इंस्ट्रूमेंटल एल्बम की श्रेणी में दूसरा ग्रैमी दिलाया.
इस फतह और हुसैन के साथ काम करने के बारे में चौरसिया कहते हैं, "जाकिर भाई केवल भारतीय संगीत के लिए ही संस्था नहीं हैं, बल्कि इसलिए भी कि जिस तरह उन्होंने वैश्विक ध्वनियों को मिलाकर तबले को और ज्यादा अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई है. अपने पिता श्रद्धेय 'अब्बाजी' उस्ताद अल्लारक्खा खां की तरह, जिन्होंने वैश्विक संगीत के दिग्गजों को प्रेरित किया, जाकिर ने भारतीय संगीत को सुनने और सराहने का तौर-तरीका बदल दिया है. इसकी मुख्य वजह उनका यह विश्वास है कि संगीत सरहदों और कठघरों से कहीं ज्यादा अहम है."
उस्ताद तबला वादक को मिला तीसरा अवॉर्ड इसी प्रभाव की तस्दीक करता है. फ्यूजन बैंड शक्ति के एल्बम 'दिस मोमेंट' ने ग्लोबल म्यूजिक एल्बम श्रेणी में अवार्ड जीता. इसमें प्रतिष्ठित और जाने-माने कलाकार शंकर महादेवन, जॉन मैकलॉक्लिन, जाकिर हुसैन, वी. सेल्वागणेश और गणेश राजगोपालन साथ आए हैं.
बैंड के साथी सदस्य शंकर महादेवन कहते हैं, "मुझे अपनी संगीत यात्रा में भारी उतार-चढ़ावों के बाद एक डुबकी लगाने देने का श्रेय दो दिग्गजों को देना होगा. जॉन मैकलॉक्लिन और जाकिर हुसैन 'फ्यूजन' म्यूजिक के अग्रदूत हैं. 40 साल पहले जब उन्होंने शक्ति बैंड शुरू किया, वैश्विक संगीत का नजारा ही बदल दिया."
ग्रैमी की जीत के बारे में हुसैन कहते हैं, "यह बात बहुत अहम है कि भारतीय संगीत को उसके सभी इंप्रोवाइज्ड रूपों में सराहा जा रहा है. आपको समझना होगा कि इस किस्म का मिला-जुला संगीत विविध ताल-लयों, पैटर्नों और रागों के मिलाप के लिहाज से बहुत मुश्किल और पेचीदा भी है. फिर भी लोग इसे सराह रहे हैं. तो यह अवार्ड इसके गुणग्राहकों के लिए है."
"शक्ति की बढ़ती शक्ति" के बारे में बताते हुए जॉन मैकलॉक्लिन कहते हैं, "जब मैंने शुरुआती महाविष्णु ऑकेस्ट्रा भंग किया उसके बाद हमने एल. शंकर, जाकिर हुसैन और विक्कू विनायकराम के साथ शक्ति शुरू किया. 1978 में हम फिर तितर-बितर हो गए और शंकर, यू. श्रीनिवासन और विक्कू के बेटे सेल्वा के साथ फिर एकजुट हुए. फिर एक और अंतराल आया और 2020 में हम दोबारा जुड़े.
पिछले साल शक्ति की 50वीं वर्षगांठ थी, जो ग्लोबल टुअर के साथ शुरू हुई और उसकी शुरुआत भारत से हुई. भारतीय संगीत में जो जोड़ने वाली ताकत है, वह इसके प्रति मेरे मन में गहरा विस्मय और आदर जगाए रखती है. इसी के बूते हम सब अपने को मौजूदा सीमाओं से आगे संगीत के नए लैंडस्केप में धकेलते रहना चाहते हैं. शक्ति की यही ताकत है."
दिस मोमेंट 45 से ज्यादा सालों में शक्ति का पहला नया स्टुडियो एल्बम है. इसके सदस्यों से पूछने पर कि क्या वे जल्द और एल्बमों पर काम करने का मंसूबा बना रहे हैं, हुसैन कहते हैं, "संगीत के बिना, समरसता के बिना कुछ नहीं है. हम इस तरह का संगीत इसलिए रच पाते हैं क्योंकि हमारी अपनी-अपनी स्वतंत्र यात्राएं रही हैं. ये यात्राएं उस काम को समृद्ध बनाती हैं जो हम साथ मिलकर करते हैं."
हुसैन हमेशा ही चौकस रहते हैं—दुनिया के एक हिस्से से दूसरे हिस्से के लिए उड़ते हुए, बाधारहित संगीत रचते हुए. वैश्विक दौरे के बीचों-बीच उस्ताद भारत के सिम्फनी ऑर्केस्ट्रा के साथ तिहरे कॉन्सर्ट की तैयारी कर रहे हैं, जो जल्द ही नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स (एनसीपीए) में आयोजित किया जाएगा.
इसमें वे चौरसिया और नीलाद्रि कुमार के साथ दिखाई देंगे. हुसैन कहते हैं, "मैंने अपने वालिद को तब भी अपना हुनर निखारने की कोशिश करते देखा है जब वे 76 के थे! वह आसक्ति देखकर मैं प्रेरित हुआ था. तबला मुझे ऊर्जावान और ईंधन से भरपूर बनाए रखता है."