किताबेंः पल-पल बदलता हत्याओं का रहस्य

पिशाच की कहानी एक नामीगिरामी साहित्यकार, जनवादी कवि की क्रूर हत्या से शुरू होती है.

पिशाच: एक फेसबुक पोस्ट, कई हाई प्रोफाइल मर्डर
पिशाच: एक फेसबुक पोस्ट, कई हाई प्रोफाइल मर्डर

किताबें

किसी भी थ्रिलर और मिस्ट्री उपन्यास की कामयाबी इस बात में है कि पलटते पन्नों के साथ आपका दिल कितना धड़कता है या कितने नए सवाल आपके जेहन में जन्म लेते हैं. अगर हर पन्ना आपको चौंका रहा है तो समझ लीजिए लेखक आप पर सवार हो गया है.

अखबारों के पन्नों और टीवी के छोटे पर्दे से होते हुए लफ्जों की जादूगरी के साथ जिस तरह संजीव पालीवाल ने थ्रिलर और मिस्ट्री में लपेट कर जुर्म की दुनिया को समेटा और परोसा है उसकी दूसरी मिसाल है उनका दूसरा उपन्यास पिशाच: एक फेसबुक पोस्ट, कई हाई-प्रोफाइल मर्डर.

नब्बे के दशक में दूरदर्शन पर सुबह सवेरे कार्यक्रम देखने वाले लोग पालीवाल को बखूबी पहचानते होंगे. समाचार चैनलों पर लंबी पारी खेलने वाले पालीवाल अब भी इंडिया टुडे समूह के डिजिटल चैनल साहित्य तक पर कहानियां पढ़ते और आज तक चैनल पर समाचारों को आवाज देते, दिखाई-सुनाई पड़ते हैं.

पर इस पत्रकारीय पहचान से हटकर उन्होंने तेजी से एक पहचान और बना ली है और वह है रोमांच-अपराध कथा लेखक की. अपने पहले उपन्यास नैना: एक मशहूर न्यूज एंकर की हत्या से कथा जगत में चर्चा में आए पालीवाल का दूसरा उपन्यास पिशाच...बाजार में है.

नैना जहां न्यूज टेलीविजन की अंदरूनी कहानी के साथ प्रेम, पॉलिटिक्स, मीडिया और क्राइम के बीच पलते मानवीय रिश्तों की दास्तान था, वहीं पिशाच एक नए तरह का थ्रिलर है. ऐसा थ्रिलर, जो हिंदी के पाठकों के लिए नया है. पालीवाल की खासियत है कि वे अपने पात्रों में जेंडर डिस्क्रिमिनेशन नहीं करते.

सभी को एक समान ऐसे गढ़ते हैं कि वे अपने कथानक को खुद आगे बढ़ाने लगते हैं. उनके यहां स्त्री और पुरुष बराबर हैं, केवल मानसिक और शारीरिक स्तर पर ही नहीं, आर्थिक, सामाजिक और संवेदना के स्तर पर भी. इन पात्रों में अधिकांश एलीट क्लास के हैं. ऐसे एलीट, जो मध्यवर्ग से अपनी योग्यता के बूते आगे बढ़े हैं.

उनमें सपने हैं, महत्वाकांक्षा है, ग्लैमर है, एक दूसरे से आगे बढ़ने की होड़ भी है, पर जब रिश्तों के बीच भावनात्मक और शारीरिक आवश्यकताओं की बात आती है, तो वे बिल्कुल हमारे, आप की तरह रिएक्ट करते हैं, और यह बताते हैं कि दिन भर कैमरा और लाइटों के बीच जीने के बावजूद वे भी आम इनसान ही हैं.

ऐसे इनसान जिनके भीतर भी दिल धड़कता है, जिनकी खुद की चाहतें और सपने हैं, जो हमसे किसी भी तरह अलग नहीं हैं. हां इतना जरूर है कि जब भी उनके जीवन में कोई साथी आता है तब प्यार और कोमल क्षणों के बीच आजाद ख्याली और वर्जना में से किसी एक को चुनना हो तो वे आजादी चुनते हैं.

पालीवाल के उपन्यासों का तेज घटनाक्रम उन्हें एक खास तरह का पाठकवर्ग मुहैया कराता है. उनके उपन्यासों की भाषा सहज और सरल है. वे गूढ़ विषयों और गंभीर प्रकृति वाले अपराधों को भी रोजमर्रा की शैली में रख देते हैं. पिशाच की कहानी एक नामीगिरामी साहित्यकार, जनवादी कवि की क्रूर हत्या से शुरू होती है.

कहानी की शुरुआत में ही सीसीटीवी फुटेज में एक लड़की की छवि दिखती है. पुलिस मान लेती है कि संदिग्ध कातिल यही हो सकती है, बावजूद इसके पुलिस उसे पकड़ नहीं पाती. इन्वेस्टिगेटिव अफसर अपनी जांच कर ही रहे होते हैं कि दूसरे राज्यों से भी हाइ प्रोफाइल मर्डर की खबरें आनी शुरू हो जाती हैं.

जांच के दौरान पुलिस को सोशल मीडिया पोस्ट से हत्याओं के संकेत भी मिलते हैं, पर वह अपनी सीमाओं में फंसी रहती है और हत्यारा उससे हरदम एक कदम आगे ही निकलता है. पुलिस की खोजबीन के बीच एक चैनल पर हत्यारा खुद ही वायस रिकॉर्डिंग और वीडियो जारी कर हत्याओं की वजह बता देता है, फिर भी एक ही पैटर्न में होने वाली हत्याओं का सिलसिला थमता नहीं है.

पिशाच क्राइम और मिस्ट्री से परे समाज, राजनीति, मीडिया और साहित्य जगत की भी एक अलग तस्वीर सामने रखता है, जिसमें पाठक हर पलटते पन्ने के साथ नई कहानी, नए पात्रों और नई हत्याओं के रहस्य में उलझता चला जाता है. पुलिस की ही तरह पाठक को जब कभी भी लगता है कि वह हत्यारे के करीब है, कहानी अलग मोड़ ले लेती है.

कुछ नए और कुछ पुराने पात्रों के साथ बदली-बदली सी पृष्ठभूमि और भूमिकाओं में पिशाच का पल-पल बदलता रोमांच दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त नीरज कुमार के इस कथन की ही पुष्टि करता है कि ‘‘अपराध-कथा जगत में एक नए लेखक का उदय हो गया है.’’

पालीवाल के उपन्यासों का तेज घटनाक्रम उन्हें एक खास तरह का पाठकवर्ग मुहैया कराता है...वे गूढ़ विषयों और गंभीर प्रकृति वाले अपराधों को भी रोजमर्रा की शैली में रख देते हैं

पिशाच: एक फेसबुक पोस्ट, कई हाई प्रोफाइल मर्डर
लेखक: संजीव पालीवाल
एका वेस्टलैंड, चेन्नै
कीमत: 250 रुपए.

Read more!