सिनेमाः अंतरंग होना हुआ आसान
सेक्स वाले सीन करना अभिनेताओं के लिए हमेशा एक चुनौती रहा है. उनसे सहज अंदाज में अब ये दृश्य करवाने के प्रयासों के तहत हिंदी फिल्म उद्योग में इंटीमेसी कंसल्टेंट यानी.

पिछले साल एमएक्स प्लेयर पर आई सीरीज मस्तराम के निर्माताओं ने फिल्मिंग के दौरान कनाडाई अंतरंगता (इंटीमेसी) कोऑर्डिनेटर अमांडा कटिंग की सेवा ली. कामुक लेखन करने वाले मस्तराम के जीवन से प्रेरित मस्तराम में कई सेक्सी दृश्य रखे गए हैं. इसमें कटिंग का काम यह देखना था कि वे दृश्य अधिक से अधिक वास्तविक और सहज लगें. इसके बाद पिछले साल सितंबर में भारत को आस्था खन्ना के रूप में अपनी पहली प्रामाणिक इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर मिलीं जो इंटीमेसी प्रोफेशनल्स एसोसिएशन से
16 हफ्ते का ट्रेनिंग कोर्स करके निकली थीं. सहायक निर्देशक खन्ना को एहसास हुआ कि यहां इस काम के लिए अलग से कोई पेशेवर लोग ही नहीं है. वे कहती हैं, ‘‘हमारा काम यह देखना है कि अंतरंग दृश्यों में हम निर्देशक की सहायता करें कि कलाकारों की अपनी सीमाएं बरकरार रहें और किसी भी तरह अभिनेता-अभिनेत्री की सहमति की सीमा का उल्लंघन न हो.’’ इस समय उनके पास नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम और धर्मा प्रोडक्शंस की कई फिल्में हैं.
भारतीय सिनेमा अंतरंग दृश्यों के मामले में अब प्रतीकात्मकता तक सीमित न रहकर वास्तविकता के बेहद करीब पहुंच गया है. इसकी मिसाल मेड इन हेवन, फोर मोर शॉट्स प्लीज और सैक्रेड गेम्स में देखी जा सकती है. फिल्म उद्योग में इन हिचकिचाहटों और निषेधों को पीछे छोडऩे के साथ ही ऐसे दृश्यों की शूटिंग की संस्कृति में भी बहुत बदलाव आ गया है. ऐसे अंतरंग दृश्यों की शूटिंग के लिए निर्देशक इंटीमेसी स्पेशलिस्टों की सेवाएं लेने और वर्कशॉप करने से लेकर शूटिंग के समय सुरक्षित शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि कलाकारों को किसी तरह की असहजता महसूस न हो और वे स्वाभाविक ढंग से ये दृश्य कर सकें.
खन्ना कहती हैं, ‘‘तीन साल पहले पश्चिम तक में भी इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर की कोई भूमिका नहीं होती थी.’’ मीटू आंदोलन के आने और हॉलीवुड के अहम अभिनेत्रियों के बड़े खुलासे करने के बाद 2018 में एचबीओ के पहले शो ड्यूस के लिए इंटीमेसी कंसल्टेंट की सेवा ली गई थी. एचबीओ की फिल्मों के लिए इस तरह के पेशेवर अब जरूरी हिस्सा बन गए हैं.
खन्ना का काम फिल्म के कलाकारों के साथ वर्कशॉप करना, शूटिंग के लिए कुछ नियम तैयार करना, कलाकारों के लिए सहजता की सीमा का पता लगाना और सुरक्षा वस्त्रों का इंतजाम करना है. अंतरंग दृश्यों को तकनीकी रूप से कई हिस्सों में बांटकर बड़ी सावधानी से उनकी कोरियोग्राफी की जाती है. उन्हें एक ही झोंके में शूट नहीं किया जाता है.
वे बताती हैं, ''कलाकारों के बीच एक केमिस्ट्री बनाई जाती है और वह तभी बनती है जब कलाकारों के बीच एक-दूसरे के प्रति विश्वास हो.’’ डांस की कोरियोग्राफरों और स्टंट डायरेक्टरों के विपरीत कलाकारों को अक्सर यह नहीं पता होता है कि सेक्स दृश्यों के लिए भी अलग से स्पेशलिस्ट निर्देशक होते हैं. अभिनेत्री, प्रोड्यूसर और इंटीमेसी डिजाइनर नेहा व्यास कहती हैं, ‘‘मैंने महसूस किया कि सेट पर कलाकारों के लिए सुरक्षित माहौल बनाने के लिए कुछ खास प्रयास नहीं किया जा रहा था.
हम (कलाकार) जिस तरह से प्रशिक्षित किए जाते हैं, उसी तरह से व्यवहार करते हैं. हमें एहसास ही नहीं होता कि हमारी सहमति का सम्मान भी होना चाहिए.’’ नेहा व्यास फिल्म बॉडीज़ ऑफ डिज़ायर के लिए इंटीमेसी डिज़ाइनर का काम कर चुकी हैं और कलाकारों के लिए वर्कशॉप आयोजित कर चुकी हैं. वे कहती हैं, ‘‘हमारी कोशिश यह होती है कि कलाकार शरीर को कोई वस्तु समझना छोड़कर उसे एक उपकरण के तौर पर समझें.’’
कभी-कभी कलाकार निर्देशक की उम्मीद से आगे आगे निकल जाते हैं तो कई बार वे हिचक रहे होते हैं. इसलिए इस तरह के दृश्यों के लिए खास तरह का माहौल बनाने की जरूरत होती है—क्लोज़-अप शूट करना, क्रिएटिव कोणों का इस्तेमाल या नकली कलाकारों का सहारा लेना. कलाकार खन्ना को बता चुके हैं कि उन्हें साथी कलाकार के प्रति विश्वास का भाव पैदा हो जाता है तो उन्हें इस तरह के दृश्य करने में आसानी होती है.
निर्देशक भी अब अतिरिक्त कदम उठा रहे हैं. फिल्म निर्माता अलंकृता श्रीवास्तव और सिनेमाटोग्राफर जय ओझा ने फिल्म मेड इन हीवेन की शूटिंग के दौरान कलाकारों के बीच विश्वास का भाव पैदा करने और बार-बार रीटेक से बचने के बारे में विस्तार से बताया. मार्गरीटा विद ए स्ट्रा की शूटिंग से पहले निर्देशक शोनाली बोस ने तय कर लिया था कि उनके कलाकार खुद को सुरक्षित महसूस करें. इसलिए कल्कि केकलैं और सयानी गुप्ता ने बोस के साथ इंटीमेसी वर्कशॉप की जहां उन्होंने आराम से अपनी सीमाओं की थाह ली.
जिस दिन गुप्ता को अपनी शर्ट उतारनी थी, उस समय सेट पर कुछ महिलाएं ही थीं. बोस ने भी शर्ट उतार दी और कमर पर एक तौलिया बांधा. वे कहती हैं, ''अगर आप अकेली ही नग्न हों तो आपको झेंप महसूस होती है. कमरे में सबसे ताकतवर व्यन्न्ति निर्देशक जब खुद नग्न हो तो तनाव कम हो जाता है.’’
सेक्स के सीन के बाद बोस ने तुरंत कलाकारों को गाउन पहनने के लिए दे दिए. कलाकारों के बीच जब खुलकर बातचीत होती है तो उससे भी हिचक दूर होती है और एक अनुकूल माहौल बन जाता है जिससे दृश्यों में जान आ जाती है. बोस मार्गरीटा की फोटोग्राफी के लिए कोई महिला कैमरापर्सन चाहती थीं ताकि महिलाओं की तरफ कोई गंदी नजर से न देखे.
‘‘सोच यही है कि निर्देशक अपने नजरिए को परदे पर उतार पाए और साथ ही सीन के लिए अभिनेता की सम्मति का सम्मान बना रहे’’
आस्था खन्ना, इंटीमेसी कंसल्टेंट.