उन्हीं से शुरू होती है बहस

मिलिंद सोमण ओटीटी प्लेटफॉर्म पर मिल रही अभिव्यक्ति की आजादी, नई सीरीज में किन्नर के रोल और अपने अध्ययन के बारे में

मिलिंद सोमण
मिलिंद सोमण

पचीस साल पहले आपने दूरदर्शन के पहले अंग्रेजी शो अ माउथफुल ऑफ स्काइ के जरिए टीवी पर आगाज किया था. भारतीय मनोरंजन की दुनिया में तब से अब क्या बदलाव देखते हैं?
मौके बढ़ते गए हैं, दर्शकों की संख्या बढऩे से ही नहीं बल्कि ओटीटी के प्लेटफॉर्म्स पर अभिव्यक्ति की आजादी भी इसके पीछे बड़ी वजह है. आप किस्सागोई के स्वरूप और कहानियों में बदलाव देख रहे हैं, नए ऐक्टर आ रहे हैं. पर अभी तक जो कमी खल रही है वह भारतीय संस्कृति में पगी-सनी कहानियों की, जबकि महाभारत और रामायण हमारे पास रही है. अगर ऐसी कहानियां आ जाएं तो नक्शा बदल सकता है.

● अल्टबालाजी की सीरीज पौरशपुर में आपने नथुनी और बिंदी लगाई है, लंबी लहराती लटें रखी हैं. अपने किरदार बोरिस के बारे में कुछ बताइए.
वह एक किन्नर है. हम उसे मेकअप और लटके-झटकों की बजाए एक साधारण इनसान की तरह अप्रोच करना चाहते थे. उसके जरिए हम भेदभाव को, ‘हम’ और ‘वे’ की मानसिकता को रेखांकित करना चाहते थे, जो कि भय और अंदेशे को जन्म देती है. अगर हम एक-दूसरे के प्रति इनसानी नजरिए से देखें तो हम भेदभाव से निजात पा सकते हैं.

पौरशपुर के उत्तेजक दृश्यों ने पहले ही काफी विवाद पैदा कर दिया है.
किसी भी शो को बहस खड़ी करनी ही चाहिए वर्ना वह कामयाब नहीं. लोग तो फोर मोर शॉट्स के बारे में भी कह रहे थे कि यह हमारी संस्कृति नहीं है. पर आप किसी चीज से अनभिज्ञ हैं, इसका यह तो मतलब नहीं कि उस चीज का अस्तित्व ही नहीं. हिंदुस्तान में तो हम बहुत-सी चीजों को दबा-छिपा देते हैं. अब ओटीटी के उदय से उप-संस्कृतियां भी पहचानी जा रही हैं क्योंकि ओटीटी पर कोई भी कहानी छोटी या बड़ी नहीं होती.

हाल ही में आपने अपनी एक फोटो शेयर की, जिसमें आप समुद्र तट पर नग्न दौड़ रहे हैं. उस पर प्रतिक्रियाएं कितनी हैरान करने वाली थीं?
टफ शूज के विज्ञापन (1995 में छपा विज्ञापन, जिसमें सोमण और मधु सप्रे नग्न हैं) की एक फोटो मैंने कुछ महीने पहले शेयर करके पूछा था कि आज लोग इस पर कैसी प्रतिक्रिया करेंगे. कइयों ने कहा कि आज इसे कोई नोटिस भी नहीं करेगा. सोशल मीडिय पर ज्यादा लोगों को इसका बुरा नहीं लगा. कइयों की प्रतिक्रिया तो 'क्या बात है’ वाली थी.

2020 की आपकी पसंदीदा किताब कौन-सी थी?
मैं अपनी ही किताब मेड इन इंडिया लोगों को पढऩे के लिए कहूंगा.
 

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