नाम में क्या रखा है?

क्या भारत को एकसूत्र में बांधने की भूमिका सबसे ज्यादा निभाने वाली फिल्मों और संगीत ने कभी एक के बदले दूसरे नाम को चमकाया, सोचिए मदर इंडिया, या राजा हिंदुस्तानी या भारत एक खोज का क्या बनेगा? 

इलस्ट्रेशन : तन्मय चक्रवर्ती
इलस्ट्रेशन : तन्मय चक्रवर्ती

- बरद्वाज रंगन

आप अमर, अकबर,  और एंथोनी (या तमिल में शंकर, सलीम और साइमन) के इस देश को क्या कहेंगे. फिल्म निर्देशक शंकर से पूछिए, और वे कहेंगे...क्या रखा है नाम में! उनकी 1996 की ब्लॉकबस्टर फिल्म का नाम तमिल में इंडियन, हिंदी में हिंदुस्तानी और तेलुगु में भारतीयुडु बन गया. भारतीय सिनेमा के ज्यादातर लोग शंकर की इस बात से सहमत होंगे कि देश मायने रखता है, नाम नहीं. शहरुख खान ने चक दे! इंडिया (2007) बनाई. उन्होंने फिर भी दिल है हिंदुस्तानी (2000) भी बनाई. आमिर खान राजा हिंदुस्तानी (1996) बने, और उनके लगान (2001) का एक और शीर्षक 'वन्स अपॉन अ टाइम इन इंडिया' था. और दूसरी पिरियॉडिक फिल्म ठग्स ऑफ हिंदोस्तान (2018) थी.

अनिल कपूर के अदृश्य सुपरहीरो को मिस्टर इंडिया (1987) कहा गया, जबकि लगभग उसी समय टेलीविजन पर श्याम बेनेगल के धारावाहिक का नाम पुस्तक के अंग्रेजी शीर्षक (द डिस्कवरी ऑफ इंडिया) की जगह भारत एक खोज रखा गया. और उसके पहले एपिसोड  का शीर्षक? 'लाँग लिव मदर इंडिया' था. नरगिस ने हमारी महिलाओं के धैर्य और संयम को प्रतिष्ठित मदर इंडिया (1957) में दर्शाया था. सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने के बाद मलयालम अभिनेता गोपी का नाम बदलकर भारत गोपी कर दिया गया क्योंकि लोग उसे 'भारत' पुरस्कार कहते थे. अमिताभ बच्चन ने शुरुआत फिल्म सात हिंदुस्तानी (1969) से की.

शिवाजी गणेशन की 1973 में एक इमारत के बारे में बनी फिल्म का शीर्षक भारत विलास था, जिसमें सभी राज्यों के लोग रहते थे, और उसका लोकप्रिय गीत था 'इंडिया नाडु एन वीडु, इंडियन एनबधु एन पेरु...' (इंडिया मेरा घर है, और मैं खुद को इंडियन कहता हूं). फिर भारत विलास नाम क्यों? शायद इसलिए क्योंकि उस गाने के बावजूद 'इंडिया' शब्द स्थानीय भाषा में आसानी से फिट नहीं बैठता. तमिल राष्ट्रवादी कवि सुब्रह्मण्यम भारती अपनी कविता 'वेल्ली पनिमालयिन...' (हिमालय का जिक्र करते हुए) में, कहते हैं, ''हमें इसे अपने 'भारत देशम' का हिस्सा कहने पर गर्व होगा.''

आइए, फिल्मी गानों में थोड़ा और गहराई से उतरें. सन ऑफ इंडिया (1962) में एक लोकप्रिय गीत का कोरस 'जय हिंद' था. हमारे सामने बार-बार इंडिया और हिंद/हिंदुस्तानी तथा भारत का यह मिश्रण मौजूद होता है. पूरब और पश्चिम (1970) में मिस्टर भारत उर्फ मनोज कुमार ने सबसे प्रसिद्ध गीत में कहा, 'भारत का रहने वाला हूं, भारत की बात सुनाता हूं.' इसलिए, कम से कम सांस्कृतिक दृष्टिकोण से हम मान सकते हैं कि देश का नाम कोई मायने नहीं रखता, क्योंकि हमारी एकता की सबसे बड़ी पैरोकार फिल्मों, फिल्म संगीत में कभी भी विभिन्न नामों के बीच भेदभाव नहीं किया गया.

जाहिर है कि यह सदियों से चला आ रहा है. पोरस और अलेक्जेंडर की कहानी सिकंदर-ए-आजम (1965) में हिट गीत 'जहां डाल-डाल पर सोने की चिड़िया' के कोरस में 'वो भारत देश है मेरा' है. भारतीय सिनेमा वास्तव में ऐतिहासिक सटीकता के लिए नहीं जाना जाता, लेकिन आइए इस गीत के शब्दों पर गौर करें. 326 ईसा पूर्व में देश को 'भारत' कहा जाता था. सुभाष घई की एनआरआइ गाथा परदेस (1997) में समय को आधुनिक कंप्यूटर युग तक खींचें, और हमें 'आइ लव माइ इंडिया' का कोरस मिलता है.

लेकिन शायद हाल में चीजें बदल रही हैं. तेलुगु राज्यों में अच्छे दिन की शुरुआत के बारे में कोराटाला शिवा की 2018 की फिल्म में महेश बाबू को देखें. उनका नाम भारत राम (देश और सबसे प्रतिष्ठित देव का नाम) रखा गया है, और फिल्म का नाम ही भारत अने नेनु (मैं, भारत) है. हिंदी में सलमान खान की भारत (2019) 2014 के बाद पहली बड़ी फिल्म है जिसका उपयोग यह दावा करने के लिए किया जा सकता है कि 'भारत' अन्य नामों से ऊपर है. शुरुआती दृश्य में उसी नाम का नायक एक दलाल से मिलता है जो चाहता है कि वह अपनी छोटी दुकान 'विदेशी' हितों वाले डेवलपर को बेच दे. आदमी सचमुच फंदे से लटका हुआ है, और जब आप दुकान का नाम देखते हैं, तो आपको वजह समझ आ जाती है. भारत का कोई भी स्वाभिमानी पुत्र देश के नाम पर रखे 'हिंद राशन स्टोर' को बेचना कैसे बर्दाश्त कर सकता है?

फिर, ऊरी- द सर्जिकल स्ट्राइक (2019) पर भी गौर करें. परेश रावल का पात्र नए बहादुर राष्ट्र का जिक्र करते समय (जाहिरा तौर पर पुराने दब्बू राष्ट्र के विपरीत), 'भारत' नहीं कहता है, लेकिन 'इंडिया' भी नहीं कहता. इसके बजाय, वह कहता है, ''ये नया हिंदुस्तान है. ये हिंदुस्तान घर में घुसेगा और मारेगा भी.'' और आधुनिक मिस्टर भारत यानी अक्षय कुमार भला कैसे पीछे रहते? उनके आगामी मिशन रानीगंज—द ग्रेट इंडियन रेस्क्यू का नाम बदलकर मिशन रानीगंज—द ग्रेट भारत रेस्क्यू कर दिया गया है. समय का संकेत? समय ही बताएगा.

बरद्वाज रंगन भारतीय फिल्म समीक्षक और लेखक हैं.

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