नाम पर बस नोकझोंक या कुछ और?
सत्तारूढ़ भाजपा की पहल 'भारत’ और विपक्ष के 'इंडिया’ गठबंधन के बीच तलवारें खिंच गई हैं. ऐसे में अब सबकी नजरें 2024 के आम चुनाव के बड़े इनाम पर लग गई हैं

जी 20 शिखर सक्वमेलन के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से आयोजित आधिकारिक रात्रिभोज का अंग्रेजी निमंत्रण पत्र 5 सितंबर को भेजा गया. इसमें उन्हें 'प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ के बजाए 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ बताया गया. उसी दिन जकार्ता में एसोसिएशन ऑफ साउथईस्ट एशियन नेशंस (आसियान) के 20वें शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा से जुड़े एक अंग्रेजी सूचनापत्र में उन्हें भारत का प्राइम मिनिस्टर कहा गया. वहां बात भी उन्होंने एशिया के साथ भारत के जुड़ाव के बारे में की.
और तो और, जी20 शिखर सम्मेलन में मोदी के सामने रखे प्लेकार्ड पर भी भारत लिखा था. आयोजन के लिए छपी सरकारी पुस्तिका भारत: द मदर ऑफ डेमोक्रेसी में लिखा था, ''भारत अर्थात् इंडिया में सबसे पहले दर्ज किए गए इतिहास के समय से ही राजकाज में लोगों की इच्छा जीवन का केंद्रीय अंग रही है.’’ इस वर्णन में संविधान के अनुच्छेद 1 में कही गई बात को उलट दिया गया, जो कहता है, 'इंडिया, दैट इज भारत, शैल बी अ यूनियन ऑफ स्टेट्स’ (इंडिया अर्थात् भारत राज्यों का संघ होगा).
इन घटनाक्रमों ने सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी दलों के बीच जबानी जंग छेड़ दी. कयास लगाए जाने लगे कि क्या केंद्र देश का आधिकारिक नाम इंडिया से बदलकर भारत करने का मंसूबा बना रहा है? कयासों को और बल मिला जब सरकार ने एजेंडे की घोषणा किए बगैर संसद का विशेष सत्र (18-22 सितंबर) बुला लिया. सरकारी सूत्रों ने हालांकि ऐसी 'अफवाहों’ को खारिज कर दिया. मगर इन अफवाहों की जड़ें उस नैरेटिव में हैं जो भाजपा और उसकी विचारधारा के स्रोत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेताओं ने तय किया है. संघ ने अपने से जुड़े कई संगठनों के नाम में भारत शब्द जोड़ा है. राष्ट्रपति के रात्रिभोज के निमंत्रण से दो दिन पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत ने गुवाहाटी की एक बैठक में लोगों से इंडिया नाम का इस्तेमाल बंद करके भारत नाम अपनाने का आह्वान किया.
विपक्षी नेता दावा करते हैं कि देश को भारत कहने पर भगवा खेमे का हालिया जोर 26 पार्टियों के भाजपा-विरोधी गठबंधन आइएनडीआइए या इंडिया (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस) के गठन से उपजा है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर डाले गए एक वीडियो में कहा, ''मुमकिन है, हमने सरकार को कुछ चिढ़ा दिया हो क्योंकि हमने अपने गठबंधन का नाम इंडिया रख लिया और इससे वे सब ताव खा गए. सो, अब उन्होंने देश का नाम बदलने का फैसला किया है.’’
विपक्षी दलों का मानना है कि किसी भी संदेश की पैकेजिंग और प्रचार की अपनी क्षमता के साथ भाजपा खेमे ने राष्ट्रवाद की भावनात्मक अपील का कामयाब इस्तेमाल एक ऐसा नैरेटिव गढ़ने में किया है जिसमें भगवा खेमा राष्ट्रीय हितों का एकमात्र रखवाला बना रहता है और उसके विरोधियों पर राष्ट्र-विरोधी होने का तमगा चस्पां कर दिया जाता है. गठबंधन का नाम इंडिया रखने का प्रस्ताव ऐसे ही नैरेटिव का जवाब था.
जब असम के मुख्यमंत्री और भाजपा नेता हेमंत बिस्व सरमा ने पहले अक्षरों से मिलकर बने इस नाम को यह कहकर सिरे से खारिज कर दिया कि इंडिया अंग्रेजों का दिया नाम है, तो टीम इंडिया ने इस हमले की धार को कुंद करने के लिए टैगलाइन 'जीतेगा भारत’ जोड़ दी. वे भाजपा को यह याद दिलाना भी नहीं भूले कि कन्याकुमारी से कश्मीर तक राहुल की पांच महीने लंबी पैदल यात्रा को 'भारत जोड़ो यात्रा’ कहा गया था.
विपक्षी खेमे ने भारत को लेकर हो रही टीका-टिप्पणियों पर विरोधी रुख अपनाने से बहुत एहतियात के साथ परहेज किया है, पर वह अपने छोटे नाम इंडिया के फायदों को भी हाथ से नहीं जाने देना चाहता. यह कहते हुए कि संविधान में दोनों नामों का उल्लेख है और पूरी तरह स्वीकार्य है, राहुल ने इंडिया बनाम भारत की बहस को 'ध्यान भटकाने की तरकीब’ और 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के 'डर’ के संकेत बताया. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी 'भारत के नैरेटिव’ को राजनीति से प्रेरित करार दिया.
भाजपा के नेता इन आरोपों से इनकार करते हुए 'इंडिया’ को देश के औपनिवेशिक अतीत की निशानी बताते हैं. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भारत रूपी बदलाव को 'गुलामी की मानसिकता के लिए एक और झटका’ कहकर इसका अभिनंदन करते हैं, तो केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान इसे 'औपनिवेशिक मानसिकता’ के लिए सबसे बड़ा झटका बताते हैं.
भारत और इंडिया का इस्तेमाल अक्सर भारत के दो रूपों के बारे में बताने के लिए भी किया जाता रहा है- एक जो अंग्रेजियत में ढला नहीं है, गरीब है और गांवों में रहता है; दूसरा तरक्की की सीढ़ियां चढ़ती शहरी आबादी. जहां 65 फीसद आबादी गांवों में रहती हो, इंडिया बनाम भारत के इस विमर्श का मकसद निश्चित तौर पर भाजपा के राष्ट्रवादी विमर्श में एक और मोर्चा खोलना है. विदेश मामलों के मंत्री एस. जयशंकर ने एक इंटरव्यू में कहा, ''जब आप भारत कहते हैं, यह एक एहसास, एक मतलब और एक निहितार्थ जगाता है.’’
भाजपा उम्मीद कर रही है कि विपक्षी पार्टियां इंडिया नाम से 2024 में जो फायदा हासिल करने की कोशिश कर रही हैं, इस बहस से वह कुंद हो जाएगी. जब द्रविड़ मुनेत्र कलगम (डीएमके) प्रमुख और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्तालिन के बेटे उदयनिधि समेत पार्टी के दो नेताओं ने सनातन धर्म (हिंदू धर्म का पर्यायवाची) के बारे में अभद्र बातें कहीं, तो हिंदू पौराणिक ग्रंथों में उल्लिखित संस्कृत शब्द 'भारत’ के प्रवक्ताओं ने इंडिया गठबंधन को हिंदू विरोधी करार देने में वक्त नहीं गंवाया. भाजपा के बड़े नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा, ''इंडिया हिंदू धर्म पर हमला करने के लिए बनाया गया है.’’
इंडिया गठबंधन के लिए चीजें इस बात से और मुश्किल हो जाती हैं कि इसके कुछ सदस्यों ने पहले देश का नाम बदलकर भारत रखने की मांग की थी. गोवा से कांग्रेस के पूर्व सांसद शांताराम नाइक ने 2012 में इस तरह के नाम परिवर्तन का विधेयक राज्यसभा में पेश किया था. 2004 में समाजवादी पार्टी के मुखिया और यूपी के सीएम दिवंगत मुलायम सिंह यादव ने 'इंडिया दैट इज भारत’ मुहावरे को 'भारत दैट इज इंडिया’ से बदलने का प्रस्ताव विधानसभा से पारित करवाया था.
भाजपा सूत्रों की मानें तो नाम बदलकर भारत रखने का कदम शायद फौरन न उठाया जाए. 11 सितंबर को जब केंद्र सरकार ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की मेजबानी की तो विज्ञप्ति में फिर 'रिपब्लिक ऑफ इंडिया’ ही लिखा. फिर भी कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि नाम में बदलाव संवैधानिक संशोधन के जरिए किया जा सकता है, जिसे संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से पारित करवाने की जरूरत होगी.
जहां दोनों पक्षों की तरफ से बातों को घुमा-फिराकर नए अर्थ देने में माहिर लोग इस बहस को लेकर हंगामा बरपा रहे हैं, सरकारें किसी भी विवाद और टकराव से बचकर इंडिया और भारत दोनों नामों का इस्तेमाल बदल-बदलकर करती रही हैं. शायद यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2016 और 2020 में देश का नाम बदलने के लिए दो अलग-अलग व्यक्तियों की तरफ से दाखिल याचिकाएं खारिज कर दीं. सो संभावना यही है कि मौजूदा टकराव महज बेजा विवाद भर हो, जो शायद चुनावी मकसद से छेड़ा गया है.