आवरण कथाः भारत के अव्वल राज्य

इंडिया टुडे राज्यों की दशा-दिशा सर्वे 2020 के विजेता राज्य

आलेखः राज्यों की दशा-दिशा
आलेखः राज्यों की दशा-दिशा

बीते कुछ महीनों में कोरोना वायरस ने दुनिया भर में लाखों लोगों की जान ले ली. मगर अकेले इन मौतों की वजह से ही यह वायरल संक्रमण इतना जानलेवा नहीं है. इसने वैश्विक आर्थिक व्यवस्था की प्राणवायु भी हर ली है और कई लाख लोगों की आजीविका को मर्मांतक चोट पहुंचाई है. भारत कोविड-19 से सबसे बुरी तरह प्रभावित देशों में से है और आर्थिक मोर्चे पर उसे इसकी और भी ज्यादा मार सहनी पड़ी है. भारत में मृत्यु दर दूसरे कई देशों के मुकाबले जरूर कम है, लेकिन देश की जीडीपी वृद्धि दर बेहद निराशाजनक स्तर तक रसातल में चली गई है.

वहीं इस वायरस से जूझते हुए ढहती अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने के सामूहिक प्रयास भी किए जा रहे हैं. यही नहीं, भारत की ग्रोथ की कहानी की तरह ही, कोविड के बाद भारत की आर्थिक बहाली में भी राज्य अग्रणी भूमिका निभाएंगे. यही वह पल है जब भारत को सहकारी संघवाद की भावना की सबसे ज्यादा जरूरत है, यानी सारे राज्य भारतीय अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण की दिशा में काम करें जबकि केंद्र सरकार असरदार ढंग से और मजबूती से उनकी अगुआई करे. साथ ही, राज्यों को आपस में भी प्रतिस्पर्धा करने की जरूरत है ताकि वे आर्थिक विकास और सामाजिक कल्याण के कामों में एक दूसरे से बेहतर प्रदर्शन कर सकें.

जब भारत चुनौतियों से भरा यह सफर शुरू ही कर रहा है, हमारे राज्यों की सामाजिक-आर्थिक दशा-दिशा का लेखाजोखा करना भी बेहद जरूरी है. ठीक यहीं इंडिया टुडे का इस साल का राज्यों की दशा-दिशा सर्वेक्षण और भी ज्यादा अहम हो जाता है, ताकि कुव्वत और कमजोरियों की पहचान करने में नीति निर्माताओं और हितधारकों की मदद की जा सके. यह समूची कवायद तकरीबन दो दशक से भारतीय राज्यों के कामकाज के सटीक रिपोर्ट कार्ड का काम करती आ रही है. यह सर्वे राज्यों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति का व्यापक और विश्वसनीय मानक बने होने के साथ अपने फलक और पद्धति में लगातार विस्तार भी करता रहा है.

भारत के अव्वल राज्य़

तीन साल का वक्त हुआ जब हमने इस सर्वे की पद्धति में कुछ हद तक बदलाव किया था और कुछ रुझान अब उभरने लगे हैं. बड़े राज्यों में, सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन और सर्वाधिक सुधार दोनों श्रेणियों में, समग्र विजेताओं ने हैट ट्रिक दर्ज की है. तमिलनाडु लगातार तीन सालों से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाला राज्य बना हुआ है जबकि असम ने सर्वाधिक सुधार लाने वाले राज्यों की श्रेणी में अपना यही सम्मान कायम रखा है. छोटे राज्यों में भी गोवा लगातार पिछले तीन साल से समग्र सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाला राज्य रहा है. अलबत्ता छोटे राज्यों में पिछले दो साल से लगातार समग्र रूप से सर्वाधिक सुधार दर्शाने वाला राज्य त्रिपुरा इस साल यह स्थान मणिपुर के हाथों गंवा बैठा है.

भारत के अव्वल राज्य़

 

अन्य राज्य शीर्ष पायदानों पर भले न आए हों, लेकिन उन्होंने तमाम श्रेणियों में अच्छा-खासा सुधार दर्शाया है. मसलन, हिमाचल प्रदेश ने बड़े राज्यों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों की समग्र रैंकिंग में सबसे ऊंची छलांग लगाई है, जबकि हरियाणा ने सर्वाधिक सुधार करने वाले राज्यों में ऐसी ही छलांग लगाई है. छोटे राज्यों के मामले में मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा ने बहुत-से संकेतकों में अपनी रैंक में अच्छी बढ़ोतरी दर्ज की है.

भारत के अव्वल राज्य़

चिंता की बात अलबत्ता यह है कि बहुत कम राज्यों ने सभी 12 श्रेणियों—अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढांचा, कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, कानून और व्यवस्था, राजकाज, समावेशी विकास, उद्यमशीलता, पर्यटन, पर्यावरण और स्वच्छता—में एक समान प्रगति दिखाई है. मसलन, सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों में केरल स्वास्थ्य में नंबर 1 और शिक्षा में नंबर 2 पर है, लेकिन कृषि में 20वीं और अर्थव्यवस्था तथा उद्यमशीलता में 10वीं पायदान पर है. ओडिशा स्वास्थ्य में सर्वाधिक सुधार लाने वाला राज्य है पर शिक्षा में सबसे कम सुधार वाला. यही वजह है कि इस साल हमने राज्यों का समग्र आकलन पेश करने की गरज से सभी श्रेणियों में राज्यों के कामकाज का खाका बनाते हुए एक नई सारिणी जोड़ी है.

सभी राज्यों को इस सारणी में एक समान ऊंचे अंक हासिल करने की आकांक्षा से ओतप्रोत होना चाहिए. केवल यही उन्हें, और देश को भी, वृद्धि की राह पर वापस लाने में सहायता कर सकता है.

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