आंध्र प्रदेश-दूरदर्शी नजरिया

मंत्रिमंडल में सभी जातियों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करके जगन रेड्डी ने अपनी पार्टी के सामाजिक आधार को मजबूत करने का लक्ष्य रखा

विजयवाड़ा में शपथग्रहण समारोह में जगनमोहन रेड्डी
विजयवाड़ा में शपथग्रहण समारोह में जगनमोहन रेड्डी

वाइ. एस. जगन मोहन रेड्डी ने 30 मई को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद अपने मंत्रिमंडल के गठन में करीब एक पखवाड़े का वक्त लिया. लेकिन उन्होंने इसके जरिये ऐसा व्यापक सामाजिक गठबंधन खड़ा करने की कोशिश की है जो विधानसभा चुनावों में भारी जीत के बाद उनकी युवजन श्रमिक रायथु कांग्रेस (वाइएसआरसी) पार्टी को और सुदृढ़ ही करेगा. अपनी टीम में राज्य के सभी जिलों और सभी प्रमुख जातियों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करके जगन ने इस धारणा को भी बदलने की कोशिश की है कि वाइएसआरसी मुख्यतया अगड़ी जाति रेड्डी की पार्टी है.

लिहाजा, जगन की 25 सदस्यों की कैबिनेट में पांच उप-मुख्यमंत्री हैं जो अलग-अलग सामाजिक समूहों का प्रतिनिधित्व करते हैं: के. नारायण स्वामी (अनुसूचित जाति), पामुला पुष्पा श्रीवणी (अनुसूचित जनजाति), पिल्लि सुभाष चंद्र बोस (पिछड़ी जाति), अमजद बाशा शाइक (मुसलमान) और अल्ला काली कृष्णा श्रीनिवास (कापु जाति). उपमुख्यमंत्री केवल नाम का ओहदा होता है और उसकी कोई संवैधानिक जिम्मेदारी या दायित्व नहीं होते, पर जगन इन नियुक्तियों का इस्तेमाल इस दलील के लिए तो कर ही सकते हैं कि उन्होंने अपने चुनावी वादे को पूरा किया है. वे यह उम्मीद भी कर सकते हैं कि दीर्घकाल में इससे सत्ता-विरोधी लहर का प्रभाव भी खत्म हो जाएगा.

जगन की कैबिनेट में सात मंत्री पिछड़ी जातियों से हैं जो आबादी के लिहाज से राज्य का सबसे बड़ा समुदाय है. चार-चार लोग कापु और रेड्डी समुदायों से हैं. कुल मिलाकर 14 पद अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यकों को गए हैं तथा 11 अगड़ी जातियों को मिले हैं. टीम में 19 लोग पहली बार मंत्री बने हैं. जगन ने कोना रघुपति को विधानसभा उपाध्यक्ष चुनकर ब्राह्मणों को भी जगह दे दी है. श्रीकाकुलम जिले से पिछड़े वर्गों के नेता तम्मीनेनी सीताराम को स्पीकर चुना गया है.

जो विधायक सरकार में जगह न बना पाने से दुखी होंगे, उनके लिए भी जगन ने उम्मीद छोड़ रखी है और ऐलान किया है कि सरकार के कार्यकाल की मध्यावधि में मंत्रियों के प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जाएगा. वाइएसआरसी प्रमुख का इरादा यह संकेत देने का रहा है कि उनकी सरकार में विभिन्न समूहों के लिए बराबर की अहमियत है. कैबिनेट में व्यापक सामाजिक और भौगोलिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करके जगन एक तरह से अपने दिवंगत पिता और पूर्व मुख्यमंत्री वाइ.एस. राजशेखर रेड्डी के ही पदचिन्हों पर चल रहे हैं जिन्होंने राज्य में दो कार्यकाल में कांग्रेस का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया था. जगन ने भी उन्हीं की तरह एक दलित महिला मेकाथोट्टी सुचरिता को गृह मंत्री नियुक्त किया है.

लोकसभा और विधानसभा चुनावों की तैयारी में अपनी प्रजा संकल्प यात्रा के दौरान जगन ने वादा किया था कि वे अपनी सरकार में कम से कम आधे पद वंचित तबकों के लोगों को देंगे. हाइकोर्ट के रिटायर्ड जज और पिछड़ी जातियों के राष्ट्रीय आयोग के पूर्व चेयरमैन वी. ईश्वरैया कहते हैं, ''इन वर्गों को 60 फीसदी पद देकर जगन एक राजनैतिक और सामाजिक क्रांति की शुरुआत कर रहे हैं. कई पीढिय़ों से चले आ रहे राजनैतिक भेदभाव को खत्म करने के ऐतिहासिक फैसले ने उन्हें एक राष्ट्रीय नेता में बदल दिया है.''

आलोचकों का कहना है कि सामाजिक न्याय और बहुलता के नाम पर जगन ने तुष्टीकरण की राजनीति को निम्न स्तर पर पहुंचा दिया है. वे इसे एक ऐसे नेता की सियासी सुविधा के तौर पर देख रहे हैं जिसके पास शासन का कोई अनुभव नहीं है.

हालांकि जगन ने अपनी पारी का आगाज काफी कायदे से किया है और रोजगार सृजन तथा शासन सुधारने के लिए दो योजनाओं की घोषणा की है. इन दोनों के लिए उन्होंने 15 अगस्त और 2 अक्तूबर की बड़ी सख्त समय-सीमा रखी है. उन्होंने तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव से भी मुलाकात की है और अपनी प्राथमिकताएं सामने रखी हैं: वंचित तबकों का कल्याण, स्वास्थ्य सुविधाएं और नौकरियां. अब उनकी चुनौती यह है कि वे इन लक्ष्यों को कैसे तय अवधि में उपलब्धियों के रूप में बदलेंगे.

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