भाजपा सुप्रीमो नरेंद्र मोदी
देश एक बार फिर राजनैतिक शक्ति की भंगुरता की परीक्षा के करीब पहुंचता जा रहा है. इस समय की सबसे ताकतवर सियासी पार्टी भाजपा भारत के 29 में से 18 राज्यों में सीधे या परोक्ष रूप से सत्ता में है.

"एक बार आपने राजनैतिक शक्ति की एक बड़ी मशीनरी बना ली तो याद रखिए उसे चलाने वाले हमेशा आप ही अकेले नहीं होंगे.'' यह कहना था अमेरिका के मशहूर राजनैतिक व्यंगकार पी.जे. ओ' राउरके का.
भारतीय राजनीति ज्यों-ज्यों 2018 की गर्मियों की तरफ बढ़ रही है, देश एक बार फिर राजनैतिक शक्ति की भंगुरता की परीक्षा के करीब पहुंचता जा रहा है. इस समय की सबसे ताकतवर सियासी पार्टी भाजपा भारत के 29 में से 18 राज्यों में सीधे या परोक्ष रूप से सत्ता में है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह पार्टी का विस्तार इससे भी आगे करने की योजना बना रहे हैं. उन्हें पूर्वोत्तर में हेमंत बिस्व सरमा के रूप में एक ऐसा भूखा जनरल मिल गया है जिसके अंदर बदले की आग धधक रही है.
लेकिन कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में होने जा रहे विधानसभा चुनाव यह तय करेंगे कि भाजपा का साम्राज्य और भी बढ़ता जाएगा या अब उसके क्षीण होने की शुरुआत हो जाएगी. इस बीच राहुल गांधी को उम्मीद है कि कर्नाटक मोदी के लिए वाटरलू का युद्ध साबित होगा, हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष को अभी अपना घर दुरुस्त करने की जरूरत है.
राष्ट्रीय स्तर पर मोदी से मोर्चा लेने के लिए अभी ज्यादा ताकत जुटाने की जरूरत है लेकिन ममता बनर्जी उनके पीछे चलने के लिए तैयार नहीं. अखिलेश यादव और मायावती ने दिखा दिया है कि एक-दूसरे के पुराने दुश्मन भी खुद को बचाने के लिए समय आने पर आपस में हाथ मिला सकते हैं.
मोदी का करिश्मा और शाह का चुनावी शस्त्रागार, जिसे पीछे से अरुण जेटली और अच्छा प्रदर्शन करने वाले नितिन गडकरी की कुशलता की ताकत हासिल है, आपस में बंटे विपक्ष को अब भी मात दे सकता है, हालांकि उसके एक पूर्व सहयोगी—एन. चंद्रबाबू नायडू—ने 2018 के शुरू में अलग होकर एनडीए में पड़ चुकी दरार को उजागर कर दिया है. उनके अलग होने से भाजपा के अजेय होने पर सवालिया निशान लग गया है. साल भर पहले कोई इस संभावना की कल्पना तक नहीं कर सकता था.
अनंत के कप्तानक्योंकि उनकी लगातार कायम लोकप्रियता और चुनाव जिताने की क्षमता न केवल कांग्रेस बल्कि क्षेत्रीय दलों के लिए भी खतरा है. इसकी वजह से ही यूपी में धुर विरोधी सपा-बसपा एक हो गए हैं. उपचुनावों में झटके के बावजूद वे 2019 में भाजपा के सर्वश्रेष्ठ दांव हैं
क्योंकि क्योंकि करीब डेढ़ साल की अनिश्चितता के बाद अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर है, निवेशकों और रेटिंग एजेंसियों का भरोसा लौटा है
क्योंकि उनकी अमेरिका से लेकर रूस, पश्चिम एशिया से लेकर दक्षिण-पूर्व एशिया तक एक अंतरराष्ट्रीय अपील है
क्या आप जानते हैं? उन्होंने बी.आर. आंबेडकर के विभिन्न पहलुओं की जानकारी जुटाने के लिए काफी लोग लगा रखे हैं. आंबेडकर पर उनके विचारों को किशोर मकवाना ने संकलित किया है. इसका हाल में राष्ट्रपति भवन में लोकार्पण हुआ है.
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