आवरण कथाः खाइए अपने खेत की सब्जी

शमीक आइएसबी, हैदराबाद और बिट्स पिलानी के पूर्व छात्रा हैं और एमेजन तथा याहू के साथ काम कर चुके हैं. गीतांजलि ने टीएससी में बड़े पैमाने का डिलीवरी मैनेजमेंट संभाला था और वे लैंडस्कैपिंग फर्म ग्रीनमाइलाइफ की संस्थापक और सीईओ हैं. सुदाकरन अन्ना यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएट हैं

शमीक चक्रवर्ती, सीईओ,  गीतांजलि राजमणि, सीओओ,  सुदाकरन बालसुब्रमण्यनसीटीओ
शमीक चक्रवर्ती, सीईओ, गीतांजलि राजमणि, सीओओ, सुदाकरन बालसुब्रमण्यनसीटीओ

कीटनाशकों से लदी-फदी या उन्हें ताजा दिखाने के चक्कर में रसायन छिड़की हुई सब्जियों की खौफनाक कहानियों ने लंबे वक्त से शहरों के बाशिंदों को हलकान कर रखा है. आप जैविक सब्जियों के बारे में सुनते तो बहुत हैं, पर कम ही लोग जानते हैं कि वे कैसे और कहां मिलती हैं. यही वह कमी है जिसे फार्मिजेन पूरा करती है, यानी वह कंपनी जिसे शमीक चक्रवर्ती, गीतांजलि राजमणि और सुदाकरन बालसुब्रमण्यन ने जून 2017 में शुरू किया.

फार्मिजेन ग्राहक को अपना नाम लिखवाकर मासिक शुल्क के बदले में एक खेत पर 600 वर्ग फुट का टुकड़ा किराये पर लेने का मौका देती है. खेत के हरेक टुकड़े पर 12 ऊंची उठी हुई क्यारियां बनी हैं. खेत का मालिक पहले ही फार्मिजेन के नेटवर्क से जुड़ा है और फसल की देखभाल करता है. वहीं, फार्मिजेन वितरण, मार्केटिंग, खेती में लगने वाली चीजों और तकनीकी जानकारी का जिम्मा उठाती है.

गड़बडिय़ों को रोकने के लिए भी जांच-पड़ताल के खासे इंतजाम हैं—क्राउडसोस्र्ड ऑडिट, ड्रोन के जरिए रिमोट सुपरविजन. रसायनों का इस्तेमाल न हो, यह पक्का करने के लिए खेती में लगने वाली तमाम चीजें फार्मिजेन खुद मुहैया करवाती है. दूसरी तरफ, ग्राहक एंड्रॉयड या आइओएस पर एक ऐप के जरिए अपने खेत पर खुद नियंत्रण रख सकते हैं—ठीक उसी तरह जैसे सोशल नेटवर्क गेम फार्मविले में होता है. आप किसी भी वक्त खेत पर जा सकते हैं और अपनी रसायन-मुक्त फसल की कटाई कर सकते हैं. अगर आप व्यस्त हैं तो फार्मिजेन आपकी उपज हर हफ्ते आपके घर पहुंचा सकती है.

राजमणि कहती हैं, ''हम जो देते हैं, वह भरोसेमंद है." किसानों को स्थिर आमदनी का भरोसा दिया जाता है. वे दावा करती हैं कि 600 वर्ग फुट जमीन पर पैदा होने वाली उपज चार जनों के परिवार की 70 फीसदी जरूरतें पूरी होती है. फार्मेजेन के मार्फत एक परिवार सब्जियों पर महीने में औसतन 2,000 रु. खर्च करता है.

फार्मेजेन के पास फिलहाल बेंगलूरू में 250 ग्राहक और पांच खेत हैं और 2018  में वह पांच और खेतों की शुरुआत करने जा रही है. उसकी योजना हैदराबाद और फिर चेन्नै और दिल्ली में जानेब की है. कंपनी की सालाना कमाई 75 लाख रु. है और उम्मीद है कि अगले साल के मध्य तक न नफा, न नुक्सान की स्थिति में आ जाएगी.                   

एक दिन ऐसा हुआ

कि हमने सोचा कितना अच्छा होता अगर हमारे पास असल जिंदगी में एक फार्मविले होता जहां हम रसायनों से मुक्त सब्जियां उगा पाते, ऐप के जरिए हर चीज पर नजर रख पाते और घर-घर ताजा सब्जियां पहुंचा पाते.

समाधान की तलाश

बकौल राजमणि, फिलहाल उपभोक्ताओं को सुरक्षित, उपलब्ध खाने की चीजें सुलभ नहीं हैं; किसान अपनी आमदनी घटती देख रहे हैं और रासायनिक खाद और कीटनाशक मिट्टी की ऊपरी परत की खूबियों को बर्बाद कर रहे हैं.

शानदार समाधान

फायदेमंद खेती की संभावना की तलाश. पैदावार की खेती में उपभोक्ताओं को सहभागी बनाकर किसानों को फायदा पहुंचना और उपभोक्ताओं को भी लाभ दिलाना.

मिली खुशी

जब हमारे ग्राहक फार्म पर आते हैं, खुद अपनी उपज की कटाई करते हुए उत्साह से भर जाते हैं और हमें बताते हैं कि अपने आहार के बड़े हिस्से को रसायन-मुक्त खाने से बदलकर वे किस कदर रोमांचित हैं.

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