कभी बच्चों की बीमारी रही डेंगू अब बड़ों के लिए क्यों बन गई है जानलेवा?
डेंगू पीड़ित ज्यादातर वयस्क ऐसे हैं जो अपनी युवावस्था के दौरान इससे संक्रमित हो चुके हैं. अब जब दोबारा वे किसी नए स्ट्रेन की चपेट में आते हैं तो उनका इम्यून सिस्टम बहुत जल्द जवाब दे देता है

दशकों से भारत में डेंगू को बच्चों में होने वाली बीमारी माना जाता रहा है, और अस्पतालों में बच्चों के वार्डों में ही इसके ज्यादा मरीज दिखाई देते हैं. लेकिन हाल के दिनों में एक चिंताजनक ट्रेंड दिख रहा है- ज्यादा वयस्क इसके शिकार बन रहे और गंभीर जटिलताओं की वजह से उन्हें आईसीयू में भर्ती कराने की नौबत आ रही हैं.
सी.के. बिड़ला अस्पताल, गुरुग्राम में इंटर्नल मेडिसिन चिकित्सा सलाहकार, डॉ. तुषार तायल बता रहे हैं कि ऐसे मामलों में अचानक वृद्धि जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों के बीच चिंता का विषय क्यों बन रही है.
डेंगू एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने के कारण होता है और इसके लिए वायरस के चार अलग-अलग स्ट्रेन (DEN-1 से DEN-4) जिम्मेदार होते हैं. एक बार इस बीमारी से उबरने पर सिर्फ उसी स्ट्रेन के प्रति इम्यूनिटी पैदा हो पाती है, जिससे मरीज पीड़ित रहा होता है. दोबारा किसी अन्य स्ट्रेन ने संक्रमित होने पर एंटीबॉडी-डिपेंडेंट इनहांसमेंट इम्यूनिटी प्रोसेस के कारण गंभीर डेंगू का खतरा बढ़ जाता है. चूंकि ज्यादातर भारतीय अपने बचपन में डेंगू के शिकार हो चुके होते हैं, इसलिए वयस्क होने के बाद दोबारा संक्रमण की स्थिति में उनकी ये बीमारी ज्यादा घातक साबित होती है.
बड़ी संख्या में वयस्कों के आईसीयू पहुंचने की स्थिति आने के कई कारण हैं.
दोबारा संक्रमण: डेंगू पीड़ित ज्यादातर वयस्क ऐसे हैं जो अपनी युवावस्था के दौरान इससे संक्रमित हो चुके हैं. अब जब दोबारा वे किसी नए स्ट्रेन की चपेट में आते हैं तो उनका इम्यून सिस्टम बहुत जल्द जवाब दे देता है. इससे शरीर में पानी की कमी, रक्तस्राव और कई अंगों के क्षतिग्रस्त होने की संभावना काफी ज्यादा बढ़ जाती है.
देर से पता चलना: वयस्क डेंगू के शुरुआती लक्षणों को मौसमी फ्लू समझकर नजरअंदाज कर देते हैं. और वे जब तक अस्पताल पहुंचते हैं, तब तक गंभीर डीहाइड्रेशन या बेहोशी आने जैसी गंभीर स्थितियां उत्पन्न हो चुकी होती हैं.
अन्य बीमारियां बढ़ा देती है दिक्कत: जीवनशैली से जुड़ी तमाम बीमारियां मसलन, मधुमेह, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा, किडनी या लिवर से जुड़ी समस्याएं आदि डेंगू के मरीजों की स्थिति और भी खराब कर देती हैं जिससे आईसीयू में रखने की नौबत आ जाती है.
शहरों में और घातक स्ट्रेन: अनियंत्रित शहरी मच्छर प्रजनन और कई स्ट्रेन का सह-परिसंचरण सभी आयु समूहों में संक्रमण की गंभीरता को बढ़ा रहा है.
आईसीयू ही विकल्प
आईसीयू चिकित्सकों के मुताबिक, वयस्कों में डेंगू का गंभीर संक्रमण होने पर सामान्यत: कई अंग काम करना बंद कर देते हैं, लगातार रक्तस्राव होने या प्लेटलेट्स का स्तर एकदम नीचे पहुंच जाने से भी स्थिति बेहद गंभीर हो जाती है. इन मरीजों को वेंटिलेटर और डायलिसिस जैसे उन्नत जीवन रक्षक उपकरणों की जरूरत पड़ती है, ऐसे में आईसीयू में रखना ही विकल्प होता है. अगर इलाज के लिहाज से बेहद अहम अवधि (बीमारी के 4-6 दिन) से ज्यादा इंतजार करने की नौबत आए तो मरीज की जान जाने का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है.
सावधानी ही सबसे बड़ा बचाव
कुछ वायरल बीमारियों के उलट डेंगू का कोई एंटीवायरल इलाज नहीं है. अभी तक बचाव का सबसे अच्छा तरीका मच्छरों के काटने से बचना और उनके प्रजनन स्थलों को नष्ट करना ही है. विशेषज्ञ मच्छर मारने की दवाओं के इस्तेमाल और पूरी बाजू के कपड़े पहनने की सलाह ही देते हैं, खासकर सुबह और शाम के समय.
कूलर, पौधों की ट्रे या कंटेनरों में पानी जमा न होने दें, तेज बुखार, तेज सिरदर्द, पेट में ऐंठन, उल्टी या बिना किसी कारण रक्तस्राव होने पर तुरंत चिकित्सा सहायता लें. ये बीमारी अब एक गंभीर रूप लेती जा रही है, ऐसे में जरूरी है कि स्वास्थ्य अभियान से जुड़े संदेशों को सिर्फ बच्चों पर केंद्रित रखने के बजाय वयस्कों को भी इसके खतरों के प्रति जागरूक किया जाए.