कौन हैं 'राम के पटवारी' चंपत राय?
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय राम जन्मभूमि विवाद से लेकर राम मंदिर निर्माण तक की हर घटना के साक्षी रहे हैं

अयोध्या में रामपथ पर हनुमान गढ़ी के सामने दूसरी ओर एक संकरी सड़क डेढ़ किलोमीटर दूर कारसेवकपुरम की ओर जाती है. कारसेवकपुरम में पंडित रामकिंकर उपाध्याय के रामायणम आश्रम से सटा हुआ विश्व हिंदू परिषद का कार्यालय है जो पिछले तीन दशकों से अधिक समय से राम मंदिर आंदोलन का केंद्र बना हुआ है. समय के साथ इस कार्यालय से जुड़े लोग बदलते गए सिवाय चंपत राय बंसल (77) के जो वर्ष 1991 में संघ के क्षेत्रीय संगठन मंत्री बनकर आयोध्या आए और यहीं के होकर रह गए.
कारसेवकपुरम में विश्व हिंदू परिषद कार्यालय परिसर में प्रवेश करने के बाद बाईं ओर एक आवास इन दिनों बहुत सारी सरगर्मियों का केंद्र बना हुआ है. यह चंपत राय का आवास या यूं कहें कि उनका कार्यालय है. नवंबर, 2019 में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद से चंपत राय कारसेवकपुरम में ही रह रहे हैं. चंपत राय का कक्ष रामजन्मभूमि केस की फाइलों और साक्ष्यों से पटा पड़ा है. दशकों से उनका हर पल न्यायालयों के चक्कर काटते गुजरा.
वकीलों को साक्ष्य उपलब्ध कराना, सुबह कोर्ट जाना और सुनवाई के दौरान धैर्यपूर्वक बैठे रहना उनका नियमित काम रहा. यही वजह है कि नजदीकी लोग उन्हें प्यार से 'रामलला का पटवारी' पुकारते हैं. विहिप के चंपत राय और ओमप्रकाश सिंघल ऐसे व्यक्ति हैं जो अयोध्या मामले पर 40 दिन चली सुनवाई के दौरान लगातार सुप्रीम कोर्ट में डटे रहे. चंपत राय राम जन्मभूमि आंदोलन के अगुवा रहे विश्व हिंदू परिषद (विहिप) नेता अशोक सिंघल के बेहद करीबी लोगों में शुमार रहे.
इस तरह राम जन्मभूमि आंदोलन से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक मुकदमे की विजय और फिर राममंदिर निर्माण में चंपत राय बंसल भी प्रमुख पात्र रहे हैं. वे इकलौते शख्स हैं जो राम मंदिर आंदोलन ओर राम मंदिर निर्माण के सभी गतिविधियों के भागीदार रहे हैं. फरवरी, 2020 में जब केंद्र सरकार ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन किया तो उसमें चंपत राय को महासचिव बनाकर एक बड़ी और केंद्रीय भूमिका भी दी.
भव्य राम मंदिर के नक्शे को अंतिम रूप देने, श्री राम मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की तिथि निर्धारण कराने, हजारों अतिविशिष्ट अतिथियों को 22 जनवरी के लिए आमंत्रित करने के साथ चंपत राय प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियों पर भी सीधी नजर रख रहे हैं. पिछले कुछ दिनों तक चंपत राय श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के आधिकारिक प्रवक्ता की भूमिका भी निभा रहे थे लेकिन राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के आयोजन में व्यस्त होने के कारण चंपत राय ने यह भूमिका अपने एक करीबी को सौंप दी है.
विहिप नेता चंपत राय का जन्म 18 नवम्बर, 1946 को नगीना के मोहल्ला सरायमीर निवासी रामेश्वर प्रसाद और सावित्री देवी के साधारण परिवार में हुआ था. परिवार के 10 भाई-बहनों में चंपत राय दूसरे नंबर के हैं. नगीना स्थित पैतृक आवास पर उनके छोटे भाई बर्तन व्यापारी सुनील बंसल अपने परिवार के साथ रहते हैं. पिता रामेश्वर प्रसाद बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय कार्यकर्ता रहे. इसलिए चंपत राय को संघ की शाखा में जाने की प्रेरणा अपने पिता से ही मिली थी.
चंपत राय की प्राथमिक शिक्षा नगीना के एक प्राइमरी स्कूल से हुई. यहीं के हिंदू इंटर कॉलेज से उन्होंने इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की. वर्ष 1967 में मेरठ कॉलेज, मेरठ से बीएससी और 1969 में एमएससी वर्धमान कॉलेज, बिजनौर से करने के बाद 1970-71 में रोहतक के एक डिग्री कॉलेज में अध्यापन कार्य भी किया. वर्ष 1972 में आरएसएम कॉलेज, धामपुर में भौतिक विज्ञान के प्रवक्ता बन गए. वर्ष 1980-81 में उन्होंने प्रवक्ता पद से इस्तीफा देकर स्वयं को पूरी तरह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रति समर्पित कर दिया और प्रचारक जीवन जीने का व्रत लिया.
आपातकाल के दौरान वर्ष 1975 में चंपत राय आरएसएम कॉलेज, धामपुर में प्रवक्ता थे. पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने कॉलेज पहुंची. चंपत राय को प्राचार्य के कक्ष में बुलाया गया. वहां उन्होंने पुलिस से कहा कि घर से वे कपड़े लेकर पुलिस कोतवाली में पहुंच रहे हैं. घर से विदाई लेते समय माता-पिता ने उनका तिलक किया और कोतवाली तक साथ गए. चंपत राय करीब 18 महीने जेल में रहे. आपातकाल के खत्म होने के बाद चंपत राय संघ के कार्यों में पूरी तरह से तल्लीन हो गए.
उनका शुरुआती कार्यक्षेत्र पश्चिमी यूपी रहा. वर्ष 1980-81 में चंपत राय जिला देहरादून, सहारनपुर में प्रचारक रहे. इसके बाद 1985 में मेरठ के विभाग प्रचारक रहे. वर्ष 1986 में संघ के शीर्ष नेतृत्व ने चंपत राय को विश्व हिंदू परिषद का प्रांत संगठन मंत्री बनाया. इसके बाद 1991 में क्षेत्रीय संगठन मंत्री बनाकर अयोध्या भेजा गया. 1996 में विहिप के केंद्रीय मंत्री बने. वर्ष 2002 में संयुक्त महामंत्री और फिर अंतरराष्ट्रीय महामंत्री बनाए गए.
90 के दशक में जब राम मंदिर आंदोलन अपने चरम पर था. आंदोलन के अगुआ और विश्व हिंदू परिषद के नेता अशोक सिंघल की टीम में चंपत राय भी शामिल थे. मंदिर आंदोलन में मुख्य भूमिका निभाने वाले विहिप के दिग्गज नेता अशोक सिंघल के एलएंडटी कंपनी के डायरेक्टर अच्छे मित्र थे. अशोक सिंघल ने एलएंडटी कंपनी के डायरेक्टर से पूछा, "राम मंदिर तो बनाकर रहेंगे क्या आपका सहयोग मिलेगा. हम चाहते हैं कि ये एक ऐसी कंपनी बनाए जिसे निर्माण के क्षेत्र में अच्छा खासा अनुभव हो."
जवाब में कंपनी की तरफ से कहा गया राम का मसला है इसलिए हम ऐसा जरूर करेंगे. इस बात को दशक गुजर गए. हालात बदले. राम मंदिर निर्माण का सपना साकार होने का समय आया. राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के जरिए कई कंपनियों ने मंदिर निर्माण के लिए अपना प्रस्ताव आगे बढ़ाया. लेकिन राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने वर्षों पहले निर्माण कंपनी के साथ हुई अशोक सिंघल की बात को आगे बढ़ाते हुए इस बाबत उसी कंपनी बात की और इस तरह एलएंडटी कंपनी मंदिर निर्माण से जुड़ी.
इस तरह राम मंदिर निर्माण के साथ अशोक सिंघल की भावना को भी चंपत राय ने पूरा सम्मान दिया. अशोक सिंघल के विचारों के प्रचार प्रसार के लिए बने 'आशोक सिंघल फाउंडेशन' के न्यासी के रूप में चंपत राय अपने वरिष्ठ सहयोगी के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं.