कथित 'दिव्यांग' सर्टिफिकेट वाले पूर्व IAS के नाचने, बॉडी बिल्डिंग के वीडियो दिखे, UPSC को लोगों ने निशाने पर लिया
पूजा खेड़कर के बाद विवादों में घिरे अफसर से अभिनेता बने अभिषेक सिंह सवालों से कन्नी काट रहे हैं

नीम अंधेरे आसमान से दिख रही सड़क. हूटर और पुलिस लाइट्स से लैस तीन गाड़ियां नमूदार होती हैं. इस सीन को लीड करने वाला किरदार बीच की गाड़ी में को-ड्राइवर सीट लिए हुए है. आगे-पीछे अतिरिक्त मुस्तैद दिखाई देते हथियारबंद पुलिसवाले देखकर ज़ाहिर होता है कि वीआईपी के पहले सुविधानुसार दो चार ‘वी’ और जोड़े जा सकते हैं.
काफिला रुकते ही एनएसजी और एलीट फ़ोर्सेज़ के इस्तेमाल में आने वाले हथियार एचएंडके एमपी5 ऑटोमेटिक को एक हाथ में लिए दूसरे हाथ से वर्दीधारी बीच की गाड़ी का एक दरवाज़ा खोलता है...नब्बे के दशक का क्लासिक सिक्स बटन कोट पहने लीड कैरेक्टर ‘लो एंगल शॉट’ में गाड़ी से बाहर आता है.
ये वो सीन है जो हिंदी फिल्मों में दशकों पुराना होते हुए भी उतना ही अमर है जितना महाभारत में अश्वत्थामा. कम-औ-बेश हर ऐक्टर जिंदगी में एक बार ऐसा ग्रैंड एंट्री सीन ज़रूर करना चाहता है. लेकिन ऊपर जो सीन आपने पढ़ा उसमें फ़िल्मी कुछ भी नहीं, सिवाय इरादों के. ये वीडियो क्लिप 2011 बैच के आईएएस अधिकारी अभिषेक सिंह के इन्स्टाग्राम अकाउंट पर पिन करके रखा गया है. 2 अप्रैल 2022 को पोस्ट किए गए इस वीडियो में अभिषेक सिंह इतनी चाक चौबंद व्यवस्था में ‘लैक्मे फैशन वीक’ देखने पहुंचे थे जहां टॉप के फैशन डिज़ायनर मनीष मल्होत्रा ने अभिषेक का इस्तकबाल किया था.
सितंबर 2023 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफ़ा देने से पहले अभिषेक कई बार ख़बरों में रहे हैं. आरोप हमेशा यही रहे कि ये ‘दफ्तर से ज्यादा सुर्खियों में रहते हैं.’ सोशल मीडिया पर ये सबसे ताज़ा मौका है जब अभिषेक सिंह का नाम ख़बरों में आया है, लेकिन इस बार वजह बिल्कुल अलग है.
क्या है वजह?
हाल ही में 2023 बैच की ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेड़कर पर पद के दुरूपयोग सहित UPSC में नकली सर्टिफिकेट लगाने के आरोप लगे. महाराष्ट्र में तैनात आईएएस पूजा खेड़कर सबसे पहले अपनी निजी लग्जरी कार पर हूटर और पुलिस लाइट्स लगाने की वजह से विवाद में आईं और उसके बाद उनके नाम पर करोड़ों की संपत्ति होने के बावजूद ओबीसी सर्टिफिकेट का मामला उछला और आखिर में पूजा खेड़कर के लगाए दिव्यांग सर्टिफिकेट पर आरोप लगे.
इंटरनेट पर UPSC को घेरा जाने लगा कि सर्विस अलोकेट करने से पहले अगर कैंडिडेट का सर्टिफिकेट भी चेक नहीं किया जा रहा तो कैसे इस संस्थान पर भरोसा किया जाए. इसी बीच सोशल मीडिया यूजर्स एक नाम और सामने ले आए, ये नाम था 2011 बैच के आईएएस अधिकारी अभिषेक सिंह का. सोशल मीडिया पर एक लिस्ट पोस्ट की गई जिसमें अभिषेक सिंह के नाम के आगे PH कैटेगरी (दिव्यांगता कैटेगरी) में ‘LD’ लिखा हुआ है. यहीं से बवाल की शुरुआत हुई. लोग कहने लगे कि अभिषेक सिंह के जिम में वर्कआउट करते हुए और म्यूजिक वीडियो में डांस करते हुए वीडियो देखकर कहीं से नहीं लगता कि ये LD कैटेगरी में फिट होते होंगे. सोशल मीडिया यूजर्स अभिषेक सिंह पर फर्जी सर्टिफिकेट से आईएएस बनने का आरोप लगाने लगे.
क्या है ‘LD’ और क्यों लग रहे आरोप ?
LD का रेफरेंस है ‘Locomotor Disability’. UPSC में दिव्यांगता की कैटेगरी में चार प्रतिशत आरक्षण मिलने का नियम है. नियमावली में इसे पांच पॉइंट्स में लिखा गया है. इनमें से ही एक पॉइंट है ‘Locomotor Disability’. जिसमें मांसपेशियों का असामान्य होना या हड्डियों और जोड़ों में समस्या की वजह से चलने फिरने में समस्या आदि होती है. इसी कैटेगरी में बौनेपन और एसिड अटैक सर्वाइवर को भी जगह मिलती है.
जौनपुर के रहने वाले अभिषेक सिंह के सोशल मीडिया पर लाखों की संख्या में फ़ॉलोवर हैं. इसमें अकेले इन्स्टाग्राम पर ही ये संख्या पचास लाख के पार है. अभिषेक सिंह के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर पिछले कई बरसों से रील्स और वीडियो बनाकर पोस्ट की जाती रही हैं. इसमें कई म्यूजिक वीडियो और जिम में वर्कआउट करने के वीडियो भी हैं. अब सोशल मीडिया यूजर्स ये वीडियो जिनमें अभिषेक सिंह किसी भी शारीरिक तौर पर स्वस्थ व्यक्ति की तरह नाचते और वर्कआउट करते दिखाई दे रहे हैं, लगाकर ये सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर किस आधार पर UPSC ने इन्हें LD कैटेगरी में उपयुक्त पाया.
विवादों से रिश्ता नया नहीं :
जौनपुर के रहने वाले अभिषेक सिंह का UPSC सिलेक्शन 2011 में हुआ. बतौर आईएएस उत्तर प्रदेश कैडर मिला. हालांकि उनकी इमेज कम से कम सोशल मीडिया पर तो हमेशा एक शो-मैन की रही है. हालांकि इसके पीछे खुद अभिषेक की कोशिशें भी काफी रही हैं.
सोशल मीडिया पर अभिषेक के हैंडल्स इस बात की मुनादी करते हैं कि खुद को फॉलो करने वालों के बीच उन्होंने एक अधिकारी की इमेज पर एक एक्टर, परफ़ॉर्मर और शो-मैन की इमेज को ही तरजीह दी है. इसी पहचान को दुरुस्त रखने के लिए की गई एक कोशिश इन्हें पहली बार ट्रोल्स के निशाने पर लाई थी. 17 नवंबर 2022 को गुजरात इलेक्शन में ऑब्ज़र्वर के तौर पर अभिषेक सिंह की ड्यूटी लगी. और उन्होंने उसी दिन इन्स्टाग्राम पर गाड़ी पर आब्जर्वर की बड़ी सी नेम प्लेट के साथ पोज़ देते हुए तस्वीर पोस्ट कर दी.
ट्रोल्स ने तो इसके लिए अभिषेक सिंह को ट्रोल किया तो किया, चुनाव आयोग ने भी इस तस्वीर को ‘पब्लिसिटी स्टंट’ बताते हुए अभिषेक को नोटिस भेज दिया. हालांकि अभिषेक सिंह ने इस मामले पर ट्वीट करके कहा कि एक पब्लिक सर्वेंट अगर पब्लिक के पैसे से खरीदी हुई गाड़ी से पब्लिक ड्यूटी करते हुए पब्लिक से कम्युनिकेट कर रहा है तो ना ये पब्लिसिटी है और ना ही स्टंट.
रिपोर्ट्स के मुताबिक़ अभिषेक सिंह को साल 2015 में दिल्ली सरकार के साथ काम करने के लिए डेप्युटेशन पर भेज दिया गया. तीन साल बाद साल 2018 में ये डेप्युटेशन दो साल के लिए बढ़ाया गया और 2020 में उन्हें लंबी छुट्टी की वजह से उनके होम कैडर उत्तर प्रदेश वापस भेज दिया गया.
उत्तर प्रदेश में अभिषेक सिंह ने काफी समय तक ड्यूटी जॉइन नहीं की. रिपोर्ट्स ये भी बताती हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार ने 2022 के फरवरी महीने में बिना किसी जानकारी के लंबे समय तक रिपोर्ट ना करने की वजह से अभिषेक को नोटिस भेजा था. लेकिन गुजरात चुनाव के दौरान हुए मामले के बाद अभिषेक ने वापस ड्यूटी जॉइन नहीं की. सितंबर 2023 में उन्होंने सर्विस से इस्तीफ़ा दे दिया जिसे केंद्र सरकार ने फरवरी 2024 में मंजूर कर लिया. तब ख़बरें चली थीं कि अभिषेक सिंह अब पूरी तरह फिल्म इंडस्ट्री या पॉलिटिक्स में जाने का मन बना चुके हैं.
फिल्म इंडस्ट्री और पॉलिटिक्स दोनों जगह हाथ आज़माए :
अभिषेक सिंह ने सर्विस में रहने के दौरान ही कई म्युज़िक वीडियो, शॉर्ट फिल्मों और कुछेक फिल्मों में भी काम किया. इनमें से नेटफ्लिक्स की सीरीज डेल्ही क्राइम, शॉर्ट फिल्म चार पंद्रह, बी-प्राक का म्यूजिक वीडियो ‘दिल तोड़ के’ और नवंबर 2023 में सनी लियोन के साथ ‘थर्ड पार्टी’ वीडियो चर्चा में रहे.
उधर दूसरी तरफ इस साल के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले जौनपुर में इनकी गंभीर सक्रियता दिखाई दी. जिसके बाद लोगों ने अंदाजा लगाया कि अभिषेक जौनपुर से लोकसभा टिकट की दौड़ में हैं. इनके कामों में एक काम जौनपुर से अयोध्या धाम के दर्शन के लिए मुफ्त बस सर्विस भी एक थी. इसके अलावा अभिषेक सिंह ने मुफ्त कोचिंग और रक्तदान शिविर जैसे कई समाजसेवा के काम करते हुए भी सोशल मीडिया पर धुंआधार पोस्ट किए.
हालांकि जब लोगों ने टिकट का समीकरण बताना शुरू किया तब अभिषेक सिंह ने कहा कि ये सारे काम वो चुनाव से पहले भी करते आए हैं. आखिरकार लोकसभा चुनाव में अभिषेक सिंह का दांव बैठ नहीं पाया (अगर ये वाकई टिकट के लिए ही खेला गया थ!). अभिषेक सिंह के पिता प्रांतीय पुलिस सेवा (पीपीएस) से प्रमोट होकर भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) से रिटायर हुए. लखीमपुर खीरी की जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल (2010 बैच) और अभिषेक सिंह ने साल 2011 में शादी की थी. दुर्गा शक्ति नागपाल की इमेज एक तेज तर्रार और निडर आईएएस अधिकारी की है. दुर्गा शक्ति नागपाल इससे पहले बांदा की जिलाधिकारी रही हैं.
घर के पहले और इकलौते आईएएस :
अभिषेक सिंह से छोटे इनके एक भाई और एक बहन हैं. तीनों ने ही UPSC की तैयारी की लेकिन सिलेक्शन हुआ अभिषेक का. बकौल अभिषेक (एक ट्वीट में दी गई जानकारी) उनके पूरे खानदान में वही इकलौते आईएएस अधिकारी हैं. उनके सात और कजिन भाई बहनों ने तैयारी की लेकिन किसी का सिलेक्शन हुआ नहीं.
अभी ताज़ा विवाद पर इंडिया टुडे हिंदी की टीम ने अभिषेक से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी. हमारी कोशिश है कि अभिषेक सिंह से बात हो सके, जब भी इनका जवाब हमें मिलेगा उसे स्टोरी में अपडेट कर दिया जाएगा. हालांकि अभिषेक ने शनिवार 13 जुलाई को खुद पर लग रहे आरोपों और रिज़र्वेशन के दुरूपयोग की बात पर एक लंबा जवाब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है. जिसमें उन्होंने कहा है कि ...मैं आपसे बड़ी विनम्रता पूर्वक एक बात कहना चाहता हूं। अभिषेक सिंह अपने पुरुषार्थ, कर्मठता और साहस के लिए जाना जाता है। किसी की कृपा के लिए नहीं। मैंने अपने जीवन में जो कुछ हासिल किया है अपने दम पर हासिल किया है, किसी आरक्षण के दम पर नहीं।
देश की सर्वोच्च सेवा में सेलेक्शन लेना, उसमें निर्भीक निडर बिना किसी का दबाव माने ईमानदारी से कार्य करना, और अपनी मर्ज़ी से उसे छोड़ दोबारा शून्य से शुरुआत करना। जब भविष्य अंधकार में छुपा हो तब भी उसमें सूरज ढँढने का हौसला लिए, आँखों में अनगिनत सपने लिए, अपने दम पर आगे बढ़ जाना, साहब इसके लिए चट्टान का कलेजा चाहिए...’
सर्टिफिकेट के मसले पर अभिषेक लिखते हैं कि ‘...आपको ये भी बता दूँ कि UPSC में कोई डोमिसाइल certificate नहीं लगता। जिसने भी UPSC दिया है उसको पता होगा। तो ये फ़र्ज़ी प्रॉपगैंडा बंद करें। जिसको जो भी पूछना है मैं जवाब देने के लिए तैयार हूँ। मुझे जो ठीक लगता है मैं करता हूँ, और आगे भी करता रहूँगा। कला और समाज सेवा मेरी रुचि है और मैं इसमें लगातार प्रयासरत हूँ। हाँ मैं ये मानता हूँ कि दोनों ही फील्ड में मैं ज़्यादा कुछ नहीं कर पाया हूँ, पर मैं हारा नहीं हूँ। रोज़ सुबह उठकर मैं पूरी निष्ठा से मेहनत करता हूँ, और तब तक करता रहूँगा जब तक सफल नहीं हो जाता। मैं कभी मैदान छोड़कर नहीं भागूँगा...’
हालांकि इस लंबे चौड़े जवाब के बाद सोशल मीडिया पर लोग पूछ रहे हैं कि आपने अपना संघर्ष और सपने सबके बारे में लिखा है, लेकिन मूल प्रश्न गायब कर दिया. आप तो सिर्फ इतना बताइए कि आपको UPSC ने किस आधार पर Locomotor Disability का रिज़र्वेशन दिया. और अगर अब आप ठीक हो गए हैं तो उन तमाम दिव्यांग लोगों से वो तरीका शेयर कीजिए जिससे उन्हें भी आपकी तरह आम जीवन जीने का मौका मिले.
हालांकि कहा ये भी जा रहा है कि ये सारा विवाद ठीक उस समय सामने आया है जब अभिषेक सिंह तमाम क्षेत्रों में तमाम कोशिशों के बाद सर्विस में दोबारा लौटना चाहते हैं. ऐसे में ये विवाद अभिषेक सिंह का आख़िरी रास्ता भी बंद न कर दे.