ज्यादातर बड़ी हस्तियां रही हैं ओट्रोवर्ट, क्या है पर्सनैलिटी का यह नया टाइप?
अंतर्मुखी यानी इंट्रोवर्ट या फिर बहिर्मुखी यानी एक्स्ट्रोवर्ट, अब तक किसी इंसान का व्यक्तित्व इन दो खांचों में ही माना जाता रहा है लेकिन अब एक तीसरा शब्द भी चर्चा में है - ओट्रोवर्ट

‘ओट्रोवर्ट’ अचानक चर्चा का विषय क्यों बन गए? अब तक, हम सामान्यत: लोगों के व्यवहार को इंट्रोवर्ट या एक्ट्रोवर्ट के तौर पर ही परिभाषित करते रहे हैं. लेकिन नया गढ़ा गया शब्द ओट्रोवर्ट लोगों के कम बोलने या ज्यादा बतूनी होने से थोड़ा अलग है. ओट्रोवर्ट (Outrovert) मिलनसार होते हुए भी भावनात्मक रूप से खुद को अलग रखने में स्वतंत्र होते हैं, उन पर इसका ज्यादा फर्क नहीं पड़ता कि लोग क्या कहेंगे. इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि भीड़ का हिस्सा होने के साथ ही ये कभी भी उससे बाहर होने की क्षमता रखते हैं.
न्यूयॉर्क के मनोचिकित्सक डॉ. रामी कामिंस्की के गढ़े शब्द ओट्रोवर्ट को कई बार आउटोवर्ट भी समझ लिया जाता है. डॉ. कामिस्की का तर्क है कि कुछ लोग हमेशा भीड़ का बाहरी घेरा रहने के लिए बने होते हैं. ये मिलनसार होते हैं और लोगों से सहानुभूति भी रखते हैं लेकिन भावनात्मक रूप से स्वतंत्र होते हैं और किसी तरह के बंधन से ज्यादा प्रभावित नहीं होते. उनके मुताबिक, एक ओट्रोवर्ट अपने आसपास के परिवेश से उस हद तक प्रभावित नहीं होता, जितना इंट्रोवर्ट या एक्ट्रोवर्ट होते हैं. उसकी प्रतिक्रिया अक्सर ऐसी दिशा में होती है, जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं रहा होता.
कामिंस्की ने विभिन्न इंटरव्यू और अपनी नई किताब The Gift of Not Belonging में इस विचार को लोकप्रिय बनाया और ओट्रोवर्ट को मौलिक विचारक बताया जो उनके मुताबिक ‘ब्लूटूथ फिनॉमिना’ का विरोध करते हैं- यानी समूह की भावनाओं के साथ खुद-ब-खुद जुड़ जाने की प्रवृत्ति. उनका मानना है कि समूह-संचालित परिस्थितियों (जैसे स्कूली गुट या कॉर्पोरेट संस्कृति) में इस तरह का प्रतिरोध भारी पड़ सकता है लेकिन ये प्रवृत्ति स्वतंत्र निर्णय और रचनात्मकता की भी रक्षा करती है. तमाम ऐतिहासिक हस्तियों को आदर्श रूप में ओट्रोवर्ट माना जाता है, जैसे—फ्रिडा काहलो, फ्रांज काफ्का, अल्बर्ट आइंस्टीन और जॉर्ज ऑरवेल.
सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि ऐसा व्यवहार न तो कोई विकार है और न ही इसके इलाज की जरूरत है. कामिंस्की इस बात पर जोर देते हैं कि ये खुद को व्यक्त करने की एक शैली है, कोई विकृति नहीं. तमाम ओट्रोवर्ट लोग लोकप्रिय और सहयोगी हो सकते हैं, लेकिन खुद को किसी तरह के जुड़ाव से मुक्त रखने की मूल भावना रखते हैं. विभिन्न साक्षात्कारों में वे इस पर जोर देते हैं, “इसका कोई इलाज नहीं है”, और उनकी राय में ओट्रोवर्ट स्वभाव कोई खामी नहीं बल्कि समूहों से जुड़ने की एक प्राथमिकता से संबंधित है.
आखिरकार, एक ओट्रोवर्ट का रोजमर्रा के जीवन में कैसा होता है? वे अक्सर अकेले रहने में सहज होते हैं, बड़े समूहों में अक्सर वन-टू-वन गहरे व्यक्तिगत संबंधों को पसंद करते हैं, स्वीकार्यता से ज्यादा प्रामाणिकता की परवाह करते हैं, और किसी तरह के ट्रेंड के दबाव का असामान्य रूप से प्रतिरोध करते हैं. वे अकेले काम करते हुए फल-फूल सकते हैं, दिखावे वाली नेटवर्किंग नापसंद होती हैं और ऊपरी तौर पर जुड़ाव दिखाने में उनकी कोई रुचि नहीं होती- फिर भी वे असामाजिक नहीं होते.
मनोविज्ञान लंबे समय से कार्ल युंग के अंतर्मुखता-बहिर्मुखता नजरिये के इर्द-गिर्द ही मानव स्वभाव का विश्लेषण करते रहे हैं, जिसे बाद में आधुनिक विशेषता मॉडल के बदला गया. ‘ओट्रोवर्ट’ लोकप्रिय शब्दावली में एक नए शब्द के तौर पर जुड़ तो गया है लेकिन अकादमिक स्तर पर इसे फिलहाल अभी तक कोई मान्यता हासिल नहीं हुई है. फिर भी, एक सांस्कृतिक अवधारणा के तौर पर यह पहचान और समूह ध्रुवीकरण से जुड़ता है.
अगर आपने कभी किसी भीड़ का हिस्सा होने का एहसास नहीं किया है तो कामिंस्की का संदेश आपको कोई बंधन नहीं बल्कि एक स्वीकार्यता जैसा लग सकता है. भीड़ के साथ होकर भी भीड़ से अलग रहना पसंद होना आपकी किसी खामी को नहीं दिखाता. बल्कि आप समूह-विचार के खतरों को समझने और उस दृष्टिकोण से इतर कुछ नया रचने की बेहतर स्थिति में हो सकते हैं.