नासा ने खोजी नई 'सुपर अर्थ', इस पर जीवन की संभावना क्यों है?

नासा के मुताबिक यह सुपर अर्थ हमारी पृथ्वी से करीब 137 प्रकाश वर्ष दूर है

एक 'सुपर-अर्थ'/फोटो-नासा
'सुपर-अर्थ'/ (प्रतीकात्मक फोटो-नासा)

तकनीकी युग से पहले और इसके उभार के बाद मनुष्यों की इस ब्रह्मांड को समझने की यात्रा शताब्दियों की रही है. खगोल विज्ञान में जब तकनीक का बोलबाला हुआ तो मानव चांद पर जा पहुंचा. आज सूर्य के करीब पहुंचने की कोशिश हो रही है.

खगोल विज्ञानी धरती से इतर ऐसे ग्रहों की तलाश में हैं जहां पृथ्वी के समांतर जीवन संभव हो. इसी क्रम में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने एक ऐसे ग्रह की खोज की है जिसे 'सुपर अर्थ' कहा जा रहा है.

सुपर अर्थ इसलिए क्योंकि इस पर जीवन की संभावना जताई जा रही है. यह ग्रह धरती से 137 प्रकाश वर्ष दूर है. इस ग्रह का नाम TOI-715 b है, और यह पृथ्वी से लगभग डेढ़ गुना चौड़ा है. नासा ने अपने बयान में कहा है, "यह सुपर अर्थ हमसे 137 प्रकाश वर्ष दूर है. यह ग्रह एक रेड ड्वार्फ (बौने) तारे की परिक्रमा करता है. खगोलीय मानकों के अनुसार वहां मौजूद प्रणाली में पृथ्वी के आकार का एक दूसरा ग्रह हो सकता है." 

खगोल विज्ञान में सुपर अर्थ से आशय एक ऐसे ग्रह से है जो पृथ्वी से अधिक बड़ा होता है, लेकिन यूरेनस और नेप्चयून के मुकाबले छोटा. नासा के मुताबिक, यह ग्रह अपने मूल तारे (पैरेंट स्टार) के चारों तरफ 'कंजरवेटिव हैबिटेबल जोन' (जीवन पाए जाने लायक क्षेत्र) में चक्कर लगाता है. जो इस बात का संकेत है कि इसकी सतह पर पानी मौजूद हो सकता है. इसके अलावा यह ग्रह केवल 19 दिनों में अपनी कक्षा में पूर्ण चक्कर (एक वर्ष) पूरा कर लेता है. 

किसी भी ग्रह पर जीवन के सबसे अहम घटक के रूप में पानी की प्रमुख भूमिका होती है. जबकि पानी की मौजूदगी के लिए वहां उपयुक्त वातावरण की. इसके अलावा जीवन की संभावना के लिए अन्य कई कारक भी इसमें शामिल होते हैं. नासा के मुताबिक, इस सिलसिले में अभी तक जो गणनाएं हुई हैं, कंजरवेटिव हैबिटेबल जोन की उपस्थिति के चलते इस बात को मजबूती मिली है कि इस सुपर अर्थ पर जीवन संभव हो सकता है. 

किसी तारे के आसपास का वैसा क्षेत्र जहां पानी की मौजूदगी की अधिक संभावना होती है, कंजरवेटिव हैबिटेबल जोन कहलाता है. जिस रेड ड्वार्फ तारे के चारों ओर यह ग्रह चक्कर काट रहा है, वह सूर्य से छोटा और अपेक्षाकृत ठंडा है. नासा के मुताबिक, "चूंकि रेड ड्वार्फ तारे छोटे और ठंडे होते हैं, इसलिए ये ग्रह सूर्य की कक्षाओं की तुलना में कहीं अधिक निकट परिक्रमा करते हैं. सूर्य से उलट ये ग्रह यहां करीब आने के बावजूद हैबिटेबल जोन में सुरक्षित रह सकते हैं." 

इस ग्रह की खोज ट्रांजिटिंग एक्सोप्लैनेट सर्वे सैटेलाइट (TESS) ने की है. TESS एक अंतरिक्ष दूरबीन है जो पारगमन (ट्रांजिट) विधि का उपयोग करके एक्सोप्लैनेट की खोज करता है. एक्सोप्लैनेट, या एक्स्ट्रासोलर ग्रह का अर्थ है- हमारे सौरमंडल के बाहर स्थित कोई ग्रह, जो किसी तारे की परिक्रमा करता है. कोई ग्रह अपनी कक्षा में एक पूर्ण चक्कर लगाने में जितना कम समय लेता है, वैज्ञानिकों को उसका अध्ययन करने में उतनी ही सहूलियत रहती है.

चूंकि यह नया ग्रह केवल 19 दिनों में ही अपनी कक्षा में पूर्ण चक्कर लगा लेता है, इसलिए वैज्ञानिकों के पास मौका है कि इस पर बेहतर ढंग से आगे पड़ताल कर पाएंगे. नासा जेम्स वेब टेलीस्कोप द्वारा इस ग्रह की जांच करने की योजना बना रहा है. 

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