'रैंचो स्कूल' को अब मिली CBSE से मान्यता! '3 इडियट्स' ने कैसे इस स्कूल को मशहूर किया था?

फिल्म '3 इडियट्स' में रैंचो स्कूल के नाम से मशहूर ड्रुक पद्मा कार्पो स्कूल को आखिरकार 20 साल के इंतजार के बाद CBSE से मान्यता मिल गई है

फिल्म 3 इडियट्स का आइकॉनिक 'इडियोटिक वॉल', जो पर्यटकों के लिए खासा आकर्षण का केंद्र है
फिल्म 3 इडियट्स का आइकॉनिक 'इडियोटिक वॉल', जो पर्यटकों के लिए खासा आकर्षण का केंद्र है

साल 2009 में करीब पौने तीन घंटे की एक सिनेमाई क्रांति आई, जिसका नाम था - '3 इडियट्स'. इसके क्लाइमैक्स सीन की शूटिंग लद्दाख के एक स्कूल में हुई थी. आखिरी के ही एक सीन में जब 'चतुर रामलिंगम' का किरदार स्कूल के एक दीवार पर पेशाब करने की कोशिश करता है, और उसी दीवार के ऊपर एक खिड़की से दो बच्चे उसे ऐसा करने से रोकते हैं. लेकिन जब 'चतुर' नहीं मानता, फिर वे बच्चे नीचे एक बिजली का बल्ब लटकाते हैं और 'चतुर' को कंरट का एक जबरदस्त झटका लगता है.

बहरहाल, '3 इडियट्स' के जरिए इस स्कूल और इसके दीवार की कहानी अभी क्यों याद की जा रही है? जवाब है - इस स्कूल को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानी CBSE से आखिरकार मान्यता मिल गई है. इस स्कूल का असली नाम ड्रुक पद्मा कार्पो स्कूल है, जिसे 'रैंचो स्कूल' के नाम से ज्यादा जाना जाता है. इसकी स्थापना को 20 साल से ज्यादा का समय हो चुका, लेकिन कई कोशिशों के बाद भी अभी तक इसे CBSE से मान्यता नहीं मिल पाई थी. कई बार की मनाही के बाद अब जाकर इसे एफिलिएशन हासिल हुआ है.

रैंचो स्कूल को प्रसिद्धि आमिर खान अभिनीत फिल्म "3 इडियट्स" में दिखाए जाने के बाद ज्यादा हासिल हुई. CBSE से मान्यता हासिल होने से पहले तक यह स्कूल जम्मू और कश्मीर राज्य विद्यालय शिक्षा बोर्ड (JKBOSE) से संबद्ध था. ध्यान देने की बात है कि लद्दाख के जम्मू-कश्मीर से अलग होने और केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद भी कई स्कूल JKBOSE के ही अधीन हैं.

एफिलिएशन मिलने के बाद स्कूल की प्रिंसिपल, मिंगुर एंगमो ने बताया कि उन्हें कई सालों के संघर्ष के बाद आखिरकार CBSE से मान्यता मिल पाई है. उन्होंने कहा, "हमारे पास अच्छे बुनियादी ढांचे और बेहतरीन अकादमिक रिकॉर्ड होने के बावजूद हम JKBOSE से जरूरी अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) नहीं हासिल कर पा रहे थे. लेकिन अब हम खुश हैं कि हमें CBSE से मंजूरी मिल गई है."

प्रिंसिपल ने आगे कहा, "स्कूल के 10वीं क्लास के छात्रों का पहला बैच CBSE बोर्ड परीक्षा के नतीजों का इंतजार कर रहा है. अब CBSE से मान्यता मिलने के बाद ड्रुक पद्मा कार्पो स्कूल क्लास 11 और 12 तक की पढ़ाई शुरू करने की योजना बना रहा है. हम पहले से ही बुनियादी ढांचे का विस्तार कर रहे हैं और 2028 तक क्लास 11 और 12 शुरू करने की योजना है. साथ ही, हम अपने शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण भी आयोजित कर रहे हैं ताकि वे CBSE के पाठ्यक्रम के अनुसार शिक्षा प्रदान कर सकें."

CBSE के साथ एफिलिशन से जुड़े मानदंडों के मुताबिक, स्कूलों को संबंधित राज्य बोर्ड से 'अनापत्ति प्रमाण पत्र' की जरूरत होती है. विदेशी स्कूलों को भी संबंधित देश में संबंधित दूतावास या भारतीय वाणिज्य दूतावास से इसी तरह के दस्तावेज की जरूरत होती है. 'रैंचो स्कूल' लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिलने से पहले से ही CBSE से मंजूरी पाने की कोशिश कर रहा था.

ड्रुक पद्मा कार्पो स्कूल या रैंचो स्कूल की स्थापना करीब 24 साल पहले हुई थी. इसका नाम मिफाम पेमा कार्पो (1527-1592) के नाम पर रखा गया है, जिन्हें एक महान बौद्ध विद्वान माना जाता है. उनकी विद्वता की तुलना पांचवें दलाई लामा से की जाती है, जिनकी शिक्षाओं ने तिब्बती बौद्ध धर्म पर गहरा प्रभाव छोड़ा. पद्मा कार्पो का मतलब स्थानीय भाषा बोथी में 'सफेद कमल' होता है.

यह स्कूल पढ़ाई-लिखाई में आधुनिक और प्रयोगवादी नजरिए के लिए जाना जाता है, जिसने देश भर में तारीफें बटोरी हैं. '3 इडियट्स' से जुड़े होने के कारण यह स्कूल एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है. इस स्टोरी की शुरुआत में जिस 'दीवार' की चर्चा की गई है, वो भी यहां घूमने आने वालों के लिए एक आकर्षण का केंद्र है. लोगों के लिए यह 'जरूर जाने वाली' जगह बन गया है. 

इस दीवार को 'इडियोटिक वॉल' या रैंचो वॉल कहा जाता है. हजारों पर्यटक इसके सामने तस्वीरें खींचने और "रैंचो कैफे" और विजिटर सेंटर देखने आते हैं. हालांकि, पर्यटकों की भीड़ ने स्कूल के शैक्षिक माहौल को प्रभावित किया, जिसके कारण 2018 में स्कूल ने मूल दीवार को सुरक्षित रखते हुए एक डुप्लिकेट दीवार बनाई ताकि पर्यटक बिना परेशानी के वहां जा सकें.

हालांकि, डुप्लीकेट वॉल बनाने के पीछे एक और कारण है. असल में, 2010 में लद्दाख में आई विनाशकारी बाढ़ ने लेह और आसपास के क्षेत्रों में भारी तबाही मचाई, जिसमें कई इमारतें, सड़कें और बुनियादी ढांचे नष्ट हो गए. रैंचो स्कूल, जो शे गांव में लेह से लगभग 15 किमी दूर स्थित है, भी इस बाढ़ से प्रभावित हुआ. स्कूल का परिसर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गया, जिसमें कई इमारतें और संरचनाएं प्रभावित हुईं.

इडियोटिक वॉल भी उस इमारत का हिस्सा थी जो 2010 की बाढ़ में क्षतिग्रस्त हुई. बाढ़ के कारण इस इमारत का पहला तल जो पहले ईंटों से बना था, क्षतिग्रस्त हो गया. क्षति के कारण दीवार की संरचना कमजोर हो गई थी, और मूल रूप से इसे पूरी तरह ध्वस्त करने की योजना बनाई गई थी. हालांकि, दीवार का कुछ हिस्सा अभी भी परिसर में मौजूद है, और इसे प्रतीकात्मक रूप से संरक्षित रखा गया है. क्षतिग्रस्त इमारत के पहले तल को बाद में लद्दाख की पारंपरिक शैली में लकड़ी की संरचनाओं से बदल दिया गया.

2018 में, स्कूल ने 'रैंचो वॉल' को थोड़ा स्थानांतरित करने का फैसला किया, ताकि यह तय हो सके कि छात्र आने वाले विजिटरों से परेशान हुए बिना अपनी पढ़ाई पर ध्यान लगा सकें.

बहरहाल, अब जबकि स्कूल को CBSE से मान्यता मिल चुकी है, रैंचो स्कूल के बच्चे अब अपने सपनों को और उड़ान दे सकते हैं. प्रिंसिपल एंगमो ने कहा भी, "अब हमारे छात्रों के लिए देश और विदेश में उच्च शिक्षा के लिए बदलाव आसान हो जाएगा, और हम पारंपरिक कक्षा शिक्षण को अभिनव और खेल आधारित तरीकों के साथ मिलाने का उदाहरण स्थापित कर सकते हैं."

इस स्कूल की तारीफ 'थ्री इडियट्स' के रैंचो आमिर खान भी कर चुके हैं. सितंबर 2008 में जब फिल्म की शूटिंग के लिए 3 दिवसीय दौरे पर 130 लोगों का एक क्रू स्कूल में आया, तो इस दौरे के दौरान आमिर खान ने स्कूल विजिटर बुक में लिखा: "क्या शानदार स्कूल है. बच्चे बहुत खुश लग रहे हैं, और यह जगह बहुत बढ़िया है. अच्छा काम करते रहो."

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