न रूठा फूफा, न कोई बंधन! कैसे 'फेक वेडिंग' Gen Z का नया शगल बन रहीं?
इन 'फेक वेडिंग' में सजावट के नाम पर भव्यता में कोई कमी नहीं रहती, बैंड-बाजा-बारात का पूरा इंतजाम होता है. हल्दी, मेहंदी और संगीत की रस्में भी बाकायदा पूरे उल्लास के साथ निभाई जाती हैं. बस, विवाह बंधन को निभाने की कोई कानूनी या धार्मिक बाध्यता नहीं रहती

शहरी भारत में फेक वेडिंग का एक अनोखा और अपरंपरागत ट्रेंड तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. ये नकली शादियां सिर्फ मौज-मस्ती के लिए की जाती हैं, जिनमें जुटे बाराती-घराती सिर्फ नाच-गाने और खाने-पीने के लिए शरीक होते हैं.
सजावट से लेकर हल्दी, मेहंदी और संगीत की रस्मों तक ये आयोजन हर तरह से एकदम असली शादियों की तरह ही होते हैं और इन्हें देखकर कतई नहीं कहा जा सकता कि नया जोड़ा जीवनभर के लिए एक-दूसरे का साथ निभाने वाला नहीं है.
फिर, इनका मक़सद क्या है? विशुद्ध रूप से मनोरंजन, और किसी तरह के सामाजिक जुड़ाव और प्रतिबद्धता जताने के दबाव के बिना विवाह समारोह का लुत्फ उठाने की आजादी.
ये नकली शादियां आमतौर पर दोस्तों के समूह या इवेंट कंपनियां आयोजित करती हैं और अक्सर हल्के-फुल्के माहौल में सब अपनी-अपनी तय भूमिका निभा रहे होते हैं. दो दोस्त परस्पर सहमति से इस समारोह के लिए ‘दूल्हा-दुल्हन’ बन जाते हैं, जबकि बाकी लोग मेहमान या रिश्तेदार बनकर पार्टी में शामिल होते हैं. आयोजन अक्सर भव्य होते हैं, जिनमें डीजे, कैटरर, फोटो बूथ और यहां तक कि वेडिंग प्लानर भी शामिल होते हैं. कभी-कभी 'दुल्हन' और 'दूल्हे' अपना इंस्टाग्राम हैशटैग भी बनाते हैं.
बेंगलुरू की 22 वर्षीय मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव प्रिया मेहता बताती हैं, “मैंने कई सालों से इतना डांस नहीं किया था. ऐसी शादी का हिस्सा बनना बहुत सुकून देने वाला था, जहां कोई मेरे पहनावे पर टीका-टिप्पणी नहीं कर रहा था और न ही ये पूछ रहा था कि मैं कब शादी करने वाली हूं. हम बस खुलकर मस्ती कर रहे थे.” यह चलन खासकर मिलेनियल्स और जेन जी के बीच खासा लोकप्रिय हो रहा है. यह पीढ़ी पारंपरिक शादियों को लेकर तो कन्फ्यूजन में रहती है लेकिन परंपरागत भारतीय शादियों के जीवंत माहौल का पूरा लुत्फ उठाना पसंद करती है. नकली शादियां वैसे ही मनमोहक माहौल में जीने का मौका देती हैं लेकिन किसी तरह के भावनात्मक या आर्थिक बोझ का कोई झंझट नहीं रहता.
दिल्ली के 26 वर्षीय फ्रीलांस डिजाइनर रोहित बंसल ने अपने दोस्तों की तरफ से आयोजित एक फेक वेडिंग में ‘दूल्हे’ की भूमिका निभाई थी. वे इसे “पूरे साल का सबसे मजेदार अनुभव” बताते हैं. रोहित कहते हैं, “वहां रिश्तेदार कोई अजीब सवाल नहीं पूछ रहे थे. बस हंसी-मजाक, नाच-गाना था और एकदम अजनबी लोग पुराने दोस्तों की तरह घुल-मिल रहे थे. यह उन ज्यादातर असली शादियों से बेहतर था जिनमें मैं शामिल रहा हूं.”
मजेदार होने के अलावा, ऐसे आयोजन सामाजिक मेलजोल बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं. इनका हिस्सा बने कई लोगों का कहना है कि उन्होंने ऐसी शादियों में नए दोस्त बनाए. यहां तक, रोमांटिक रिश्ते भी बने. चूंकि यहां किसी तरह की बाध्यता नहीं होती और हर कोई सिर्फ और सिर्फ मौज-मस्ती करने के लिए जुटता है. इसलिए, माहौल काफी सुकून भरा होता है. मुंबई की 26 वर्षीय फोटोग्राफर निशा राव कहती हैं, “अपनी दोस्त की नकली शादी में मैंने हर वर्ग के लोगों से बातचीत की. ऐसा लग रहा था कि हम एक बड़े खुशहाल परिवार के बीच हैं, जहां न तो लोगों के बीच कोई खींचतान थी और न ही कोई दिखावा ही कर रहा था.”
हालांकि, छोटे पैमाने पर ही सही लेकिन फेक वेडिंग धीरे-धीरे प्रयोग से मुख्यधारा की ओर बढ़ रही हैं, खासकर महानगरों में. इवेंट प्लानर “सिर्फ मनोरंजन के लिए शादी के पैकेज” पेश करने लगे हैं, और कुछ ने तो कॉर्पोरेट टीम-बिल्डिंग के लिए भी इनका आयोजन शुरू कर दिया है.