जी-शॉट और ओ-शॉट! क्या ये महिलाओं में नई सेक्स क्रांति की दस्तक हैं?
भारत में महिलाएं अपनी सेक्स लाइफ की बेहतरी के लिए कुछ कम तकलीफदेह तरीकों को अपनाने में गहरी दिलचस्पी दिखा रही हैं

यह कोई बड़ी यौन क्रांति तो नहीं है लेकिन धीरे-धीरे ही सही महिलाओं का यौन स्वास्थ्य और उसके प्रति जागरूकता चर्चा का विषय बनने लगे हैं. चाहे मार्केट में महिलाओं के लिए लग्जरी इंटीमेट टॉयज/मसाजर का बढ़ना हो या फिर सेक्सुअल हेल्थ एजुकेटर और इन्फ्लुएंसर सीमा आनंद का सोशल मीडिया पर यौन संबंधी मामलों में तमाम मिथकों को तोड़ना, सेक्सुअलिटी ने एक नया रूप ले लिया है. पहले इसे टैबू माना जाता था, लेकिन आज स्थिति उससे बिल्कुल अलग है.
इसमें हैरान होने जैसी कोई बात नहीं कि महिलाओं के अंतरंग अंगों के कायाकल्प से जुड़े ट्रीटमेंट बहुत तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं. एओना के संस्थापक और एक कॉस्मेटिक सर्जन डॉ. अमित गुप्ता का अनुमान है कि ऐसे ट्रीटमेंट कराने वाले मरीजों की संख्या हर साल 15 से 20 फीसद तक बढ़ रही है.
डॉ. गुप्ता कहते हैं, “यह सब बदलते सामाजिक रवैये, महिलाओं की सेक्सुअलिटी पर खुलकर बातचीत होने और सोशल मीडिया के प्रभाव का ही नतीजा है.” आज की महिलाएं जागरूक हैं, खासकर 25-35 साल की उम्र की महिलाएं. वो सशक्त हैं और ऐसे ट्रीटमेंट आजमाने के लिए तैयार हैं जो उनकी सेक्स लाइफ को बेहतर बनाएं. सबसे ज्यादा चर्चा में ओ-शॉट और जी-शॉट हैं. डॉ. गुप्ता बता रहे हैं कि आखिर ये ट्रीटमेंट होते क्या हैं...
संतुष्टि की तलाश
ऑर्गेज्म शॉट या ओ-शॉट, एक खास तरीके का इलाज है जिसमें मरीज के खून से निकाले गए प्लेटलेट-रिच प्लाज्मा (पीआरपी) को वजाइना के खास हिस्सों में इंजेक्ट किया जाता है. डॉ. गुप्ता बताते हैं, “ये इंजेक्शन उन जगहों पर लगाए जाते हैं जहां संवेदी तंत्रिकाएं खत्म होती है-मुख्य तौर पर क्लिटोरिस और आगे वजाइना वॉल के आसपास. इससे रक्त प्रभाव और तंत्रिकाओं की संवेदनशीलता बढ़ जाती है.”
इससे क्या होता है? डॉ. गुप्ता बताते हैं, “यह वजाइनल लुब्रिकेशन बढ़ाता है, सेंसिटिविटी बढ़ती है और जल्द उत्तेजना आती है. इसके साथ ऑर्गेज्म और तेज व ज्यादा समय के लिए होता है.” उनके अनुसार, इस पूरी प्रक्रिया में आमतौर पर सिर्फ 10 मिनट लगते हैं और इस दौरान लोकल एनेस्थीसिया दिया जाता है.
डॉ. गुप्ता के मुताबिक, “यह तरीका ज्यादा दर्दनाक नहीं है, इसमें आराम की कोई जरूरत भी नहीं पड़ती और अधिकांश महिलाओं में कुछ हफ्तों में ही असर दिखने लगता है. इसका असर लगभग छह महीने तक रहता है, जिसके बाद इस शॉट को दोबारा लिया जा सकता है.”
पैशन बन रहा फैशन
ऐसा ही एक अन्य ट्रीटमेंट जी-शॉट है. डॉ. गुप्ता कहते हैं, “ये जी-स्पॉट को उत्तेजित करने के लिए होता है, जो वजाइना के अंदर करीब तीन से चार सेंटीमीटर पर होता है.” जी-स्पॉट हर महिला में अलग हो सकता है लेकिन इस प्रक्रिया में, फिलर्स जैसे हाइलूरोनिक एसिड या फैट भरकर उस जगह को बड़ा और ज्यादा सेंसटिव बनाया जाता है.
डॉ. गुप्ता के मुताबिक, “इससे इंटरकोर्स के दौरान ज्यादा फ्रिक्शन होता है और कुछ महिलाओं के लिए सेक्शुअल क्लाइमेक्स की तीव्रता बढ़ जाती है.” ओ-शॉट की तरह जी-शॉट भी एक छोटा-सा ट्रीटमेंट है, जिसे लोकल एनेस्थीसिया देने के बाद किया जाता है और इसके लिए अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होती. आमतौर पर इसमें 10 से 15 मिनट का समय लगता है.
सोच-समझकर चुनें
ये ट्रीटमेंट ज्यादा दर्द देने वाले तो नहीं हैं फिर भी कुछ हद तक शरीर में बदलाव लाते हैं. मौजूदा समय में ये सिर्फ इसलिए काफी लोकप्रिय नहीं हो रहे कि ये महिलाओं को बेहतर सेक्स संतुष्टि प्रदान करते हैं. बल्कि ये उन्हें आत्मविश्वास और अपने शरीर पर नियंत्रण का मौका भी देते हैं. डॉ. गुप्ता कहते हैं, “डिलीवरी के बाद वजाइना की सेंसेटिविटी वापस पाने वाली महिलाओं से लेकर बेहतर सेक्स लाइफ चाहने वाली युवा महिलाओं तक, सबके बीच इनकी मांग बढ़ रही है.”
हालांकि, कुछ सावधानियां बरतना जरूरी है. डॉ. गुप्ता कहते हैं, “इन ट्रीटमेंट के दौरान मरीजों को रक्त पतला करने वाली दवाएं नहीं लेनी चाहिए या हृदय रोग या कैंसर का इलाज नहीं कराना चाहिए.” वे सुरक्षा और प्रभावशीलता दोनों सुनिश्चित करने के लिए काबिल और अनुभवी डॉक्टरों की ही सेवाएं लेने की सलाह देते हैं. डॉ. गुप्ता आगे यह भी कहते हैं, “हालांकि ये ट्रीटमेंट काफी हद तक सुरक्षित हैं और इनका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता. फिर भी महिलाओं को आमतौर पर ऐसे ट्रीटमेंट के बाद कम से कम 24 से 48 घंटों तक यौन गतिविधियों से बचना चाहिए ताकि शरीर को इसके अनुकूल ढलने का समय मिल सके.”
डॉ. गुप्ता कहते हैं, “जैसे-जैसे महिलाओं का यौन स्वास्थ्य चर्चा का एक स्वीकार्य विषय बनता जा रहा है, ओ-शॉट और जी-शॉट जैसे उपचार आनंद, शारीरिक स्वायत्तता और स्वास्थ्य के बारे में संवाद को सामान्य बनाने में मदद कर रहे हैं.” वे इन ट्रीटमेंट को सिर्फ कॉस्मेटिक लिहाज से नहीं, बल्कि महिलाओं के अंतरंग स्वास्थ्य के साथ-साथ संपूर्ण देखभाल की दिशा में एक आंदोलन का हिस्सा मानते हैं.
- रिद्धि काले