जब भारत-पाक विभाजन की वजह से धर्मेंद्र से बिछड़ गया पहला प्यार
धर्मेंद्र का जिक्र जब भी होता है, लोग उनकी शख्सियत की बात करते हैं. उनके 'हीमैन' पर्सोना की बात होती है. इस स्टोरी में उनके मासूम, अनकही मोहब्बत की दास्तान जानते हैं

बॉलीवुड के ही-मैन धर्मेंद्र नहीं रहे. एक महान अभिनेता के रूप में अपना मुकाम बना चुके धर्मेंद्र के बारे में इंटरनेट पर आज आप ढूंढेंगे तो उनकी कई कहानियां मिलेंगी - कितनी फिल्में कीं, कौनसे अवार्ड मिले… सब कुछ. हेमा मालिनी के साथ उनकी प्रेम कहानी के बारे में भी आपको काफी कुछ मिलेगा, लेकिन उनके दिल के एक कोने में एक और कहानी दबी थी—एक मासूम, अनकही मोहब्बत की दास्तान, जो 1947 के विभाजन की भेंट चढ़ गई.
धर्मेंद्र—शोले का वीरू, चुपके चुपके का सीधा-सादा प्रोफेसर, लेकिन असल ज़िंदगी में वह एक शर्मीले आशिक थे. यह किस्सा उन्होंने खुद सलमान खान के शो 'दस का दम' में अपने बेटे बॉबी देओल के सामने सुनाया था. यह प्यार तब हुआ जब सिनेमा की चकाचौंध दूर थी, जब वह पंजाब के एक छोटे से गांव 'साहनेवाल' में स्कूल जाते थे. उस मासूम उम्र में, जब धर्मेंद्र छठी कक्षा में थे, उनका दिल स्कूल टीचर की बेटी हमीदा पर आ गया था, जो उनसे दो साल बड़ी थीं और आठवीं में पढ़ती थीं.
यह सिर्फ एक क्रश नहीं था, यह पहली मासूम लगन थी जिसकी याद उन्हें ताउम्र टीस देती रही. दस का दम शो पर धर्मेंद्र कहते हैं, "वो क्या थी पता नहीं, पास जाने को जिसके, साथ बैठने को जिसके जी चाहता था. वो यूं ही मुस्कुरा देती, मैं पास चला जाता. वो खामोश रहती, मैं सिर झुका लेता."
धर्मेंद्र बताते हैं कि वह अपनी 'मन ही मन की' बातें कभी हमीदा को बता नहीं पाए, बस 'ठंडी आहें भरते रहते थे'. हमीदा उनकी पढ़ाई में मदद करती थीं, उनकी कॉपी लेकर सवाल हल कर देती थीं. यह एक ऐसा रिश्ता था जो बिना नाम लिए, बिना इज़हार किए, चुपचाप पनप रहा था. यह कहानी अगर सिर्फ स्कूल के दिनों की होती, तो शायद एक मीठी याद बनकर रह जाती. लेकिन इस मासूम प्रेम कहानी का अंत भारतीय इतिहास के सबसे दर्दनाक चैप्टर ने किया: 1947 का भारत-पाकिस्तान विभाजन.
जब देश दो हिस्सों में बंटा, तो लाखों परिवार विस्थापित हुए. हमीदा का परिवार भी उन्हीं में से एक था. 1947 में, हमीदा और उनका परिवार हमेशा के लिए पाकिस्तान चला गया. धर्मेंद्र ने अपनी एक कविता में इस दर्द को पिरोया: "वो ओझल हो जाती, मैं सोचता रहता, सवाल क्या है यार?"
धर्मेंद्र और हमीदा दोबारा कभी नहीं मिले. एक मासूम प्रेम कहानी, जो अभी शुरू भी नहीं हुई थी, इतिहास के पन्नों में अधूरी रह गई. 'ही-मैन' ने आगे चलकर प्रकाश कौर से शादी की, फिर हेमा मालिनी को अपना जीवनसाथी बनाया, लेकिन उनके दिल में हमीदा की याद एक ऐसी 'मीठी चुभन' बनकर रह गई जिसे वह आखिरी दम तक नहीं भूले.
सलमान के शो में ही हमीदा का ज़िक्र करते हुए धर्मेंद्र की आंखें नम हो गईं, और उन्होंने कहा था: "धरम तेरे मिज़ाज-ए-आशिकाना का वो पहला मासूम कदम था, और वो मासूम कदम तू जिंदगी भर नहीं भूलेगा."