पृथ्वी को मिला नया चंद्रमा! इसका नाम महाभारत के अर्जुन के साथ कैसे जुड़ गया?

वैज्ञानिकों के अनुसार 2025 PN7 एक छोटा, 18-36 मीटर चौड़ा अंतरिक्षीय पिंड है जिसे इसकी अनोखी कक्षा के कारण पृथ्वी का "दूसरा चंद्रमा" कहा जा रहा है

second quasi moon earth
सांकेतिक तस्वीर

सोशल मीडिया पर इस खबर की बाढ़ सी आ गई है कि पृथ्वी के अब दो चंद्रमा हो गए हैं. यह खबर कुछ हद तक सही भी है क्योंकि इस कथित दूसरे ‘चंद्रमा’ की चर्चा एक छोटे से एस्टेरॉयड या अंतरिक्ष पिंड 2025 PN7 से जुड़ी है. इसे Quasi Moon यानी ‘अर्ध-चंद्रमा’  कहा जाता है.

इसे सबसे पहले हवाई विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के एक समूह ने एक रूटीन टेलीस्कोप सर्वे दौरान देखा था. हवाई के हलेकाला पहाड़ी पर स्थित पैन-स्टार्स ऑब्जर्वेटरी ने 2 अगस्त, 2025 को इसकी खोज की थी. अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अब इसकी पुष्टि कर दी है और माना है कि यह पृथ्वी Quasi Moon यानी ‘अर्ध-चंद्रमा’ है.

इन्हें चंद्रमा सरीखा इसलिए माना जाता है कि ये पृथ्वी से देखने पर ऐसे लगते हैं कि मानो चंद्रमा की तरह उसके चारों ओर चक्कर काट रहे हों. हालांकि ऐसा है नहीं. दरअसल 2025 PN7 सूर्य की ही परिक्रमा कर रहा है लेकिन इसकी कक्षा पृथ्वी की कक्षा जैसी ही है और यह भी करीब-करीब हमारे ग्रह जितने वक्त में ही सूर्य का एक चक्कर लगाता है. 

शोधकर्ताओं के अनुसार, 2025 PN7 एक छोटा, 18-36 मीटर चौड़ा अंतरिक्षीय पिंड है जिसे इसकी अनोखी कक्षा के कारण पृथ्वी का "दूसरा चंद्रमा" कहा गया है. यह नया खोजा गया क्षुद्रग्रह (छोटा सा ग्रह) लगभग 40 लाख किलोमीटर दूर है. यह पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी से दस गुना ज्यादा है. यह पिंड इतनी ज्यादा दूर है कि इस पर पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का कोई असर नहीं पड़ सकता यानी धरती को इससे कोई खतरा नहीं है. 2025 PN7 बहुत लंबे समय तक हमारे साथ रहेगा. शोधकर्ताओं के मुताबिक यह साल 2083 तक पृथ्वी के आगे-पीछे चलता रहेगा. संभावना है कि इसके बाद यह खुले अंतरिक्ष में विलुप्त हो जाएगा.

1960 के दशक से ही यह पिंड अपनी कक्षा में मौजूद है, लेकिन बहुत छोटा होने के कारण टेलीस्कोपों से अब तक बचा रहा. शोधकर्ताओं में शामिल रहे कार्लोस डे ला फुएंते मार्कोस CNN से बातचीत में कहते हैं, "अभी हमारे पास जो टेलिस्कोप हैं, इनके जरिए इसका पता तभी लगाया जा सकता है जब यह हमारे ग्रह के करीब पहुंचे, जैसा कि इस गर्मी में हुआ था." मार्कोस स्पेन में  मैड्रिड के कॉम्प्लूटेंस विश्वविद्यालय में रिसर्च कर रहे हैं. उन्होंने 2025 PN7 पर एक शोध पत्र लिखा है, जो 2 सितंबर को अमेरिकन एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी के रिसर्च नोट्स जर्नल में प्रकाशित हुआ है.

मार्कोस मानते हैं कि 2025 PN7 अर्जुन एस्टेरॉयड बेल्ट से निकला. यह बेल्ट छोटी-छोटी चट्टानों के समूह से बनी है और इसकी कक्षा पृथ्वी की कक्षा सरीखी ही है. इस बेल्ट का नाम महाभारत के केंद्रीय किरदार अर्जुन के नाम पर रखा गया है. 2025 PN7 की खोज से जुड़े शोधपत्र का टाइटल भी यही है – Meet Arjuna 2025 PN7, the Newest Quasi-satellite of Earth (मिलिए अर्जुन 2025 PN7 से, पृथ्वी का सबसे नया अर्ध उपग्रह)

हालांकि यह पहली बार नहीं है जब 2025 PN7 जैसा कोई पिंड खोजा गया हो. इसके पहले 2004, 2016 और 2023 में भी ऐसे पिंड खोजे गए थे.

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