बिहार म्यूजियम बिनाले में छह महीने तक छाए रहेंगे ग्लोबल साउथ के रंग! कब, क्या होगा?
सात अगस्त से बिहार म्यूजियम का अनूठा बिनाले शुरू हो गया है. इस बिनाले में पहली ग्लोबल साउथ के कई मुल्क भागीदारी कर रहे हैं. आइये जानते हैं, क्या-क्या होने वाला है..

गुरुवार सात अगस्त से शुरू हुआ बिहार म्यूजियम बिनाले कई लिहाज से अनूठा है. लगभग छह महीने तक चलने वाले इस म्यूजियम बिनाले में पहली बार ग्लोबल साउथ यानी दक्षिणी गोलार्ध के सात मुल्कों की विरासत के कई रंग दिखेंगे.
आप यहां आकर इंडोनेशिया, इथोपिया, श्रीलंका, मैक्सिको, पेरु, अर्जेंटीना, इक्वाडोर जैसे मुल्कों के इतिहास और उनकी संस्कृति की कला और प्रदर्शनी का लुत्फ उठा सकेंगे. उन मुल्कों के विद्वानों को सुन सकेंगे और इन देशों की भारतीय संस्कृति के साथ साम्य को भी समझ सकेंगे. इसके अलावा इस बिनाले के दौरान कजाकिस्तान और स्विटजरलैंड की कलाकृतियां भी प्रदर्शित हो रही हैं और साथ ही इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नेशनल गैलरी ऑफ मॉर्डन आर्ट के साथ मेहरानगढ़ राजधराने के संग्रहालय की वस्तुओं को भी देख सकेंगे.
गुरुवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथों बिहार म्यूजियम के तीसरे बिनाले की शुरुआत हो चुकी है. इससे पहले छह अगस्त को बिहार म्यूजियम और पटना म्यूजियम का हेरिटेज वॉक हुआ. इस म्यूजियम बिनाले का पहला चरण सात अगस्त से 31 सितंबर के बीच चलेगा. आइए जानते हैं, इस चरण में क्या-क्या होने वाला है.
मुखौटे की प्रदर्शनी : इस प्रदर्शनी के दौरान विभिन्न मुल्कों के मुखौटे प्रदर्शित किये जा रहे हैं. इन मुखौटों का रंगमंच के साथ-साथ धार्मिक और कर्मकांडीय महत्व भी है. इसके आयोजन में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की बड़ी भूमिका है.
हम और हमारी दुनिया : एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के देशों की कलाकृतियां -इस प्रदर्शनी में ग्लोबल साउथ के मुल्कों की कलाकृतियां नेशनल गैलरी ऑफ मार्डर्न आर्ट के सहयोग से लगाई गई है और इस प्रदर्शनी के जरिये इन मुल्कों की संस्कृति के बीच साम्य तलाशे गये हैं.
इंडोनेशिया और भारत के बीच सभ्यता का पुल : रामायण-महाभारत और संस्कृत के कई शब्दों के साम्य दोनों देशों के बीच हैं. इस प्रदर्शनी में इन दोनों देशों के बीच सभ्यता के साम्य को भाषा, इतिहास और सांस्कृतिक पहलुओं के साथ दिखाया जा रहा है.
इथोपिया की प्रदर्शनी : इथोपिया के कलाकार मिहिरेतु की बटन और चमड़े के टुकड़ों से बनी कलाकृतियों की प्रदर्शनी.
विश्वरूप राम : बीसवीं सदी में रामायण से जुड़ी कलाकृतियों की प्रदर्शनी और इसके अलावा श्रीलंका व मैक्सिको के कलाकारों की प्रदर्शनियां
दूसरा चरण- 17 सितंबर से 30 नवंबर
1. अर्जेंटीना के फोटोग्राफ की प्रदर्शनी
2. पटना कलम के दुर्लभ चित्रों की प्रदर्शनी
3. पेरु की कलाकृतियों की प्रदर्शनी
4. कजाखिस्तान की प्रदर्शनी
तीसरा चरण- 7 नवंबर से 31 दिसबंर
1. घर को लेकर प्रदर्शनी- इस प्रदर्शनी में कैरीबियन और भारतीय महासागर के कलाकार घर को लेकर अपनी कलाकृतियां प्रदर्शित करेंगे.
2. इक्वेडोर के ऐतिहासिक विरासतों की प्रदर्शनी
3. शक्ति- मेहरानगढ़ संग्रहालय की शाक्त संप्रदाय से जुड़ी मिनियेचर पेंटिंग्स की प्रदर्शनी
आखिरी चरण- 15 दिसंबर से 30 जून, 2026
बिहार म्यूजियम की कृतियों को दर्शक तकनीक के आधार पर जीवंत महसूस कर सकें, इसकी प्रदर्शनी. इन प्रदर्शनियों के साथ-साथ इस बिनाले के दौरान कई महत्वपूर्ण व्याख्यान भी समय-समय पर होंगे. इनमें जगत रवींद्र, शनक कुलतुंगा, पाब्लो कतीलीरेवस्की, अगेंग्हू अदान, जुआन गैरिबे, इवा मलहोत्रा, न्गीरा ब्लैंकेबर्ग, डेविड सेंटोज, शुभा बनर्जी जैसे विद्वानों को सुनने का मौका मिलेगा.