ऑस्ट्रेलिया में बनेगा दुनिया का सबसे ऊंचा राम मंदिर, इसकी और क्या होंगी खासियतें?
ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में बनने वाले इस मंदिर की ऊंचाई 721 फीट होगी, जबकि लागत करीब 600 करोड़ रुपये. अयोध्या राम मंदिर की बात करें तो इसकी ऊंचाई 161 फीट है, और लागत करीब 1800 करोड़ रुपये

अयोध्या में जहां एक तरफ राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां चल रही हैं. वहीं, दूसरी तरफ भारत से हजारों किलोमीटर दूर हिंद-प्रशांत महासागर में बसे ऑस्ट्रेलिया से भी राम भक्तों के लिए एक खबर सामने आई है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, यहां दुनिया का सबसे ऊंचा राम मंदिर बनेगा. यह मंदिर पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के पर्थ शहर में बनाया जाएगा. पर्थ, हिंद महासागर के तट पर स्थित आबादी के लिहाज से ऑस्ट्रेलिया का चौथा सबसे बड़ा शहर है.
यहां बनने वाले राम मंदिर की ऊंचाई 721 फीट होगी. यह एक स्मारकीय परियोजना होगी, जिसका निर्माण श्रीराम वैदिक और सांस्कृतिक ट्रस्ट (इक्ष्वाकु) करेगा. करीब 150 एकड़ में फैली इस परियोजना की अनुमानित लागत 600 करोड़ रुपये बताई जा रही है. ट्रस्ट के उप प्रमुख डॉ. हरेंद्र राणा के मुताबिक, यह परियोजना मंदिरों की पुरानी शैली से अलग होगी. यहां सिर्फ पूजा-अर्चना ही नहीं होगी, बल्कि यह मंदिर सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और सामुदायिक गतिविधियों वाला एक बहुआयामी केंद्र होगा.
इस मंदिर के डिजाइन की बात की जाए, तो इसके परिसर में एक कैंडल पोर्च (मोमबत्ती जलाने की जगह), चित्रकूट वाटिका और पंचवटी वाटिका उद्यान समेत एक राम निवास होटल होगा. इसके अलावा यहां सीता रसोई रेस्तरां, रामायण सदन पुस्तकालय और तुलसीदास हॉल जैसे कल्चरल स्पेस (सांस्कृतिक जगह) भी होंगे. मंदिर परिसर के 55 एकड़ भू-भाग पर सनातन वैदिक विश्वविद्यालय का निर्माण किया जाएगा.
इसके अलावा हनुमान वाटिका में हनुमान की 108 फुट उंची मूर्ति की स्थापना की जाएगी. शिव सप्त सागर नाम का कुंड बनाया जाएगा, जिसमें शिव की 51 फुट प्रतिमा होगी. यहां वैदिक पुस्तकों के अध्ययन व प्रचार प्रसार के लिए वाल्मीकि केंद्र भी बनाया जाएगा. इस मंदिर तक रिवर रोड के जरिए आसानी से पहुंचा जा सकेगा.
सांस्कृतिक जगहों के अलावा इस मंदिर में कई आध्यात्मिक जगहें भी होंगी. यहां एक योगा कोर्ट, एक मेडिटेशन कोर्ट, एक वेद शिक्षण केंद्र, एक रिसर्च सेंटर और एक संग्रहालय की व्यवस्था होगी. इसके अलावा इस मंदिर में तकनीकी उद्यान (टेक्नोलॉजी गार्डेन) जैसे क्षेत्रों के साथ कुछ तकनीकी पहलुओं को भी शामिल किया जाएगा.
इस मंदिर के निर्माण में पर्यावरणीय स्थिरता (एनवायरनमेंटल सस्टेनेबिलिटी) का ख्याल रखा जाएगा. बायो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और सोलर पॉवर प्लांट के जरिए 'शून्य कार्बन फुटप्रिंट' को सुनिश्चित किया जाएगा. शून्य कार्बन फुटप्रिंट से आशय है कि इससे कार्बन का उत्सर्जन शून्य के बराबर होता है.
ट्रस्ट के मुताबिक, यह मंदिर परिसर आध्यात्मिक केंद्र के अलावा एक जीवंत सांस्कृतिक स्थान होगा. यहां समुदायों के मेल-मिलाप और समावेशिता को बढ़ावा देने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. इसके अलावा यह विभिन्न त्योहारों, और कल्याण से जुड़े कार्यक्रमों की मेजबानी के लिए भी खुला रहेगा. ट्रस्ट के बारे में बात की जाए, तो इसके अध्यक्ष दिलावर सिंह हैं, जो पिछले 35 वर्षों से ऑस्ट्रेलिया में रह रहे हैं.
वहीं, अयोध्या के राममंदिर की बात की जाए तो पारंपरिक नागर शैली में निर्मित इस मंदिर की ऊंचाई 161 फीट है. जबकि मंदिर के निर्माण की देखरेख कर रहे श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने शुरुआत में इसकी लागत 1,800 करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया था. 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा संपन्न होने के बाद 23 जनवरी से लोग यहां दर्शन कर सकेंगे.