ये पांच प्वाइंट्स बता देंगे कि एनिमल देखनी चाहिए या नहीं

अर्जुन रेड्डी और कबीर सिंह जैसी फिल्में बनाने वाले संदीप रेड्डी वांगा ने अब रणबीर कपूर के साथ एनिमल बनाई है जो इन दिनों चर्चा में है

संदीप रेड्डी वांगा एनिमल का सीक्वल बनाने की तैयारी में हैं
संदीप रेड्डी वांगा एनिमल का सीक्वल बनाने की तैयारी में हैं

रिलीज होने के साथ ही एनिमल  खूब चर्चा में है. चर्चा की वजह फिल्म की कहानी, एक्टर या सिनेमेटोग्राफी नहीं बल्कि फिल्म के डायरेक्टर संदीप रेड्डी वांगा हैं. वांगा ने इससे पहले अर्जुन रेड्डी (Arjun Reddy) और कबीर सिंह (Kabir Singh) बनाई थी. इसे लेकर एक तबके ने उनकी खूब आलोचना की थी. इन दोनों फिल्मों को असंवेदनशील और हिंसक और महिला विरोधी कहा गया था.

'हिंसक' और 'महिला विरोधी' फिल्म का टैग मिलने पर फिल्म कंपेनियन की अनुपमा चोपड़ा को दिए इंटरव्यू में संदीप रेड्डी वांगा ने कहा था, "ये लोग कबीर सिंह जैसी फिल्म को हिंसक कह रहे हैं. मैं इन्हें दिखाउंगा कि हिंसा क्या होती है." ऐसा लगता है कि ये बयान ही वो गर्भ है जहां से 'एनिमल' का जन्म हुआ है. इस इंटरव्यू के वक्त तक उन्होंने एनिमल पर काम शुरू भी कर दिया था.

वांगा की ये फिल्म किसी कहानी को कहने के लिए नहीं बल्कि ये दिखाने के लिए बनाई हुई लगती है कि 'हिंसा क्या होती है.' इसे दिखाने के लिए वांगा रणविजय सिंह (एनिमल में रणबीर कपूर का किरदार) से कुल्हाड़ी से अपने दुश्मनों को कटवाते हैं, लगभग टैंक के आकार की बंदूक चलवाते हैं, किरदारों को खून से 'रंगते' हैं.

फिल्म में कई सीन और डायलॉग सीधे तौर पर भद्दे लगते हैं. एनिमल के लीड कैरेक्टर के साथ हर वो दिक्कत है जो अर्जुन रेड्डी या कबीर सिंह के लीड कैरेक्टर के साथ थी. वो महिला किरदारों पर ऐसे कॉमेंट्स करता है जिससे वो किसी सेक्स मशीन जैसी लगती हैं. उपभोग की वस्तु लगती हैं. एक सीन में रणविजय गीतांजलि (रश्मिका का किरदार) को अल्फा मेल और नॉर्मल मेल के बारे में बताता है. कहता है कि जो मर्द अल्फा नहीं बन पाता वो स्त्रियों का भोग करने के लिए चांद-सितारे तोड़ कर लाने की बात कहते हैं. एक ऐसा भी सीन है जहां रणविजय एक और फीमेल कैरेक्टर से अपने जूते चाटने की बात कहता है.

खैर, ये बतौर दर्शक अपनी राय है. इसके आधार पर दूसरे दर्शकों को फिल्म के बारे में कोई धारणा नहीं बनानी चाहिए. तो चलिए आपको 5 प्वाइंट्स बता देते हैं, जिसके आधार पर आप फिल्म देखने या नहीं देखने का फैसला कर सकते हैं.

एनिमल फिल्म के डायरेक्टर संदीप रेड्डी वांगा

प्वाइंट नंबर-1

दर्शकों की बाइनरी में अगर आप रियल स्टोरीज या रियल लगती काल्पनिक कहानी देखने के शौकीन हैं तो ये फिल्म आपके लिए नहीं बनी है. '12th फेल' या 'Three Of Us' जैसी फिल्मों के आप दर्शक हैं तो एनिमल आपके लिए नहीं बनी है. एनिमल एक टिपिकल बॉलीवुड मूवी है. इसका प्लॉट 2000 के आसपास बनने वाली फिल्मों जैसा ही है, 2023 की सिर्फ कॉस्ट्यूम, भाषा और टेक्नोलॉजी इस्तेमाल किया गया है.

प्वाइंट नंबर-2

आप फिल्म कैसी देखना चाहते हैं? ऐसी फिल्म जिसके किरदार असल ज़िंदगी जैसा ही व्यवहार करते हों या फिर जिसके किरदार आपके मन की दुनिया के सभ्य समाज के आदर्श इंसान जैसे हों? हिंदी पट्टी के अधिकांश पिताओं की ये समस्या है कि वो अपने बेटे या बेटी से प्यार नहीं जता पाते. एक टिपिकल पुरुष प्रधान समाज के मर्द कैसा व्यवहार करते हैं? वो घर से बाहर की दुनिया तक के मालिक होते हैं. औरतें उनके लिए सिर्फ बच्चे पैदा करने और घर संभालने के लिए बनी हैं. लेकिन हमारे मन की दुनिया के सभ्य समाज का आदर्श इंसान औरतों के बारे में ऐसा नहीं सोचता है. वो औरतों को अपने बराबर ही मानता है. वो एक फैमिनिस्ट भी होता है. असल ज़िंदगी में ये मवाद अभी खत्म नहीं हुआ है.

प्वाइंट नंबर-3

संदीप रेड्डी वांगा ने अपनी चालाकी दिखाई है. एनिमल से उन्होंने साबित किया है कि उनमें मसाला मूवी बनाने की काबिलियत है. फिल्म में सेकेंड हाफ के बाद रणबीर और रश्मिका वाले कुछ सीन छोड़ दें तो स्क्रीनप्ले की स्पीड ऐसी है कि कहानी पर ध्यान कम ही जाता है. बैकग्राउंड म्यूजिक बांधे रहेगी और एक्शन के दौरान खून-खराबा में ही दर्शक उलझा रहेगा.

रश्मिका का कैरेक्टर और एक्टिंग दोनों ही औसत दिखी

प्वाइंट नंबर-4

रणबीर कपूर के फैन हैं तो फिल्म देख डालिए, उनकी एक्टिंग इस फिल्म का सबसे बड़ा पॉजिटिव है. रश्मिका के फैन हैं तो फिल्म मत देखिएगा क्योंकि उनकी एक्टिंग सीधे तौर पर ख़राब है. इस हद तक कि रणबीर वाले सीन्स में उनकी एक्टिंग साफ तौर पर अझेल दिखती है. बॉबी देओल को लेकर चर्चा काफी थी कि उनका कैरेक्टर कैसा है? बॉबी फुल फॉर्म में हैं. बगैर कुछ कहे, जितना पर्दा उनके हिस्से आया उस पर उनका रंग चढ़ा है. हालांकि उन्हें बहुत कम सीन मिले हैं. अनिल कपूर सचमूच एक व्यस्त और खड़ूस बाप जैसे लगे. सेकेंड हाफ में बॉबी देओल के साथ ही सौरभ सचदेवा की भी एंट्री होती है जो गुंजाइश भर अच्छी कलाकारी करते दिखे.

प्वाइंट नंबर-5

यहां कहानी की थोड़ी झलक दिखा देते हैं. एक बाप (बलबीर सिंह) है जिसका एक बेटा (रणविजय सिंह बलबीर) है. बेटे को इस बात से दिक्कत है कि उसका बाप उसको टाइम नहीं दे रहा है. क्योंकि बाप देश का सबसे बड़ा बिजनेसमैन (स्वास्तिक स्टील कंपनी का मालिक) है. बेटा पूरी जिंदगी यही साबित करने पर तुला है कि वो अपने बाप से खूब प्यार करता है. इस बीच एक विलेन है जो स्वास्तिक स्टील कंपनी पर कब्जा कर लेना चाहता है. क्यों कब्जा कर लेना चाहता है? कब्जे के लिए वो क्या करता है? उससे बचाने के लिए रणविजय क्या करता है? इस विलेन का बलबीर सिंह से क्या रिश्ता है? इन सवालों के जवाब आपको फिल्म में मिलेंगे.

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