क्या-क्या हुआ था उस 1 अक्टूबर 1998 की रात, जब सलमान पर काले हिरणों के शिकार का आरोप लगा?
इंडिया टुडे के 1 अक्टूबर 1998 के अंक में सलमान खान के कथित काले हिरणों के शिकार की घटना को काफी जीवंत रूप में दर्ज किया गया था

साल 1998 के सितंबर की बात है. फिल्म 'हम साथ साथ हैं' की शूटिंग के लिए सितारों का जमावड़ा राजस्थान के 'ब्लू सिटी' यानी जोधपुर पहुंचा हुआ था. इनमें सलमान खान से लेकर सैफ अली खान, अभिनेत्री तब्बू, सोनाली बेंद्रे और नीलम कोठारी जैसे प्रमुख नाम शामिल थे. उस समय खान का रौला तो था ही, उनकी फिल्में भी बॉक्स ऑफिस पर काफी अच्छा प्रदर्शन कर रही थीं. लेकिन शायद जोधपुर उन्हें रास नहीं आया. काले हिरण के विवाद ने सलमान का ऐसा दामन थामा कि उसके बाद वे कभी वहां फिल्म की शूटिंग के लिए नहीं गए.
बहरहाल, क्या-क्या हुआ था उस एक अक्टूबर 1998 की रात, जब सलमान पर काले हिरण के शिकार के आरोप लगे. उनके साथ और कौन-कौन लोग मौजूद थे वहां राजस्थान के उस रेगिस्तानी इलाके में. और कैसे कथित तौर पर काले हिरण पर गोली चलाने के बाद बिश्नोइ समुदाय के लोगों ने सलमान की जिप्सी का पीछा किया और उसकी तोड़फोड़ की. इन सब बातों का दस्तावेजीकरण तब इंडिया टुडे के संवाददाता रोहित परिहार ने अपनी रिपोर्ट में किया था. आइए उसी के हवाले से समझते हैं कि क्या था असल में पूरा माजरा?
28 अक्टूबर 1998 में छपी अपनी रिपोर्ट में रोहित लिखते हैं, "इस रेगिस्तानी इलाके में तूफान तो उसी दिन उमड़ने लगा था जब सलमान राजश्री प्रोडक्शंस की फिल्म हम साथ साथ हैं की शूटिंग के लिए जोधपुर पहुंचे. आलीशान उम्मेद पैलेस होटल में सलमान ने सुइट की मांग की, जो पूरी कर दी गई. लोगों का चहेता नायक खलनायकों की-सी हरकतों पर उतर आया था. होटल कर्मचारियों के साथ उनका व्यवहार रूखा था. होटल के गलियारे में वे नंगे बदन घूमते रहते थे."
जाहिर है तब 33 वर्षीय सलमान का पूरा रौला हुआ करता था. परदे पर भी उनकी फिल्में अच्छा प्रदर्शन कर रही थीं. खैर, वह 26 सितंबर, 1998 की शाम थी. उम्मेद पैलेस में ड्राइवर हरीश कुमार दुलानी के पास ट्रैवलएड कंपनी के दुष्यंत सिंह का संदेश आया कि वे होटल में ठहरे मेहमानों को घुमाने की व्यवस्था करें. इधर, सलमान ने इसे शिकार खेलने के मौके के रूप में देखा. रात के दस बजते ही वे अपने अन्य साथियों के साथ इसके लिए निकल पड़े.
उस दिन मारुति जिप्सी में सलमान के साथ मशहूर कॉमेडियन सतीश शाह भी थे जो ड्राइवर की सीट पर बैठे हुए थे. इसके अलावा दुलानी और अन्य चार लोग थे जो पीछे बैठे हुए थे. उनमें से एक यशपाल ने खान को बावड़ गांव का रास्ता बताया. यह पैलेस से करीब 40 किमी. दूर नागौरी रोड के नजदीक था. वहां चिंकारा का एक झुंड बैठा था.
इस पूरे किस्से को बाद में ड्राइवर हरीश दुलानी ने बयान किया था. उनके मुताबिक, चिंकारा के उस झुंड पर सलमान ने दो बार गोली दागी, जो चूक गई. सतीश शाह ने उनका उत्साह बढ़ाया, "जमा के लगाओ." और तीसरा शॉट शिकार के लिए जानलेवा साबित हुआ. सलमान गाड़ी से उतरे और उन्होंने हिरण का गला काट डाला, हाथ साफ किए और दूसरे लोगों ने खून के धब्बों को रेत से ढक दिया. एक और चिंकारा का शिकार कर वे लोग होटल लौट आए.
परिहार अपनी रिपोर्ट में बताते हैं कि अगले दिन 27 सितंबर को शिकार फिर शुरू हुआ लेकिन कोई हिरण हाथ नहीं लगा. अगले दिन फिर सैफ अली खान और दुष्यंत के साथ सलमान निकले. उसी रात जब यह शिकारी दल लौटा तो एक चिंकारा का शिकार साथ लाया था.
लेकिन सलमान को अगर पहले से पता रहता कि एक अक्टूबर 1998 की वह मनहूस रात उनकी जिंदगी के लिए एक बुरा सपना बनकर रह जाएगी, तो वे शायद ही उस रोज शिकार के लिए निकलते. इस बार तो हम साथ साथ हैं के सारे स्टार कलाकार, जिनमें सैफ, तब्बू, सोनाली बेंद्रे और नीलम कोठारी आदि शिकार पर उनके साथ थे.
शिकारी दल ने उस रात भी दो हिरणों को अपना शिकार बनाया. लेकिन उनके लिए दुर्भाग्य की बात ये थी कि शिकार के तौर पर मारे गए ये काले हिरण थे, और जले पर नमक की बात ये कि वे लोग बिश्नोइयों के घर के बहुत पास थे.
परिहार अपनी रिपोर्ट में लिखते हैं, "शिकारी दल ने गुढ़ा बिश्नोइयान में बिश्नोइयों के सामने ही कथित रूप से दो काले हिरणों को मारा. समुदाय के लोगों ने सलमान पर हमला बोला, उनका पीछा किया, उनकी जिप्सी की तोड़फोड़ की और वन अधिकारियों से शिकायत की."
बहरहाल, इसके पहले तक चिंकारा को मारते वक्त किसी ने भी यह शिकायत नहीं की थी कि ये लुप्तप्राय प्राणी हैं, और उन्हें मारना गैर-कानूनी है. लेकिन बिश्नोई समुदाय के लिए ऐसा नहीं था. रिपोर्ट में परिहार काले हिरणों और बिश्नोई समुदाय के बीच के रिश्ते की एक बानगी देते हुए लिखते हैं कि बिश्नोई समुदाय के लिए इन हिरणों के साथ साहचर्य इतना पुराना और अनूठा है कि एम.के. रणजीत सिंह की पुस्तक बियोंड द टाइगर में छपे एक चित्र में एक युवा बिश्नोई महिला एक काले हिरण के शावक को स्तनपान करा रही है.
जाहिर है कि उस एक अक्टूबर की रात सलमान गलत जगह शिकार के लिए आ गए थे. अब, इधर अधिकारियों की भी लीला देखिए. रिपोर्ट के मुताबिक, जब बिश्नोइयों ने वन अधिकारियों से इस अवैध शिकार की घटना की शिकायत की तो शुरू में उन्होंने इसे मजाक में टाल दिया. वे तभी हरकत में आए जब एक स्थानीय अखबार ने यह खबर छापी.
परिहार लिखते हैं, "नौ दिन बाद अधिकारी सारे फिल्म कलाकारों से पूछताछ के लिए उम्मेद पैलेस आए. पूछताछ के समय तीनों अभिनेत्रियां रो पड़ीं और बताया कि 'हमने एक भी गोली नहीं चलाई. हमने तो बस तालियां बजाईं थीं.' यह जवाब खुद को बेकसूर साबित करने के लिए काफी था. सैफ को भी जमानत मिल गई और चारों मुंबई रवाना हो गए. सलमान अकेले रह गए इस नाटक के केंद्रीय पात्र के रूप में."
रिपोर्ट में वे आगे लिखते हैं कि बिश्नोई समुदाय से टकराव के बावजूद अभिनेताओं को अपनी हैसियत पर भरोसा था कि बड़े आदमी होने के नाते उन्हें कोई कुछ नहीं कहेगा. कथित तौर पर इन लोगों ने फिर भी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस कदर छेड़छाड़ की कि रिपोर्ट एक मजाक बनकर रह गई. इसके मुताबिक, डीयर (हिरण) की जगह डियर (प्रिय) लिखवाया गया और मौत की वजह 'जरूरत से ज्यादा खाना' बताई गई. इसके बावजूद 12 अक्टूबर को तीन चिंकाराओं के शिकार के आरोप में सलमान गिरफ्तार किए गए.
16 अक्टूबर को जोधपुर के अतिरिक्त न्यायिक मजिस्ट्रेट ने सलमान की जमानत की अर्जी खारिज करते हुए 26 अक्टूबर तक उन्हें न्यायिक हिरासत में केंद्रीय जेल भेज दिया. लेकिन 17 अक्टूबर को जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने 1 लाख रुपये का बॉन्ड भरवाने के बाद उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया. ऐशो-आराम के आदी सितारे को इन पांच दिनों में वन विभाग और पुलिस की चार हवालातों की हवा खानी पड़ी.
तो ये थी 1 अक्टूबर 1998 की सलमान के काले हिरण के शिकार की पूरी कहानी, जो आज तक उनका पीछा नहीं छोड़ रही है. सलमान को इसके लिए जोधपुर कोर्ट ने पांच साल की सजा भी सुनाई थी, हालांकि बाद में उन्हें इस मामले में बेल मिल गई. अब लॉरेंस बिश्नोई गैंग काले हिरण के शिकार मामले में इस 'दबंग' अभिनेता को लगातार जान से मारने की धमकियां दे रहा है.