राजस्थान चुनाव : भाजपा को मिल सकता है मतदान में मामूली बढ़त का फायदा
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विधानसभा क्षेत्र सरदारपुरा में 61.30 और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के विधानसभा क्षेत्र झालरापाटन में 76.67 प्रतिशत मतदान हुआ है

राजस्थान विधानसभा चुनाव में 1863 उम्मीदवारों का भाग्य शनिवार को मतपेटियों के हवाले हो गया. चुनाव आयोग की ओर से रविवार सुबह 8 बजे तक प्राप्त आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में इस बार मतदान 74.13 प्रतिशत रहा है. इसमें पोस्टल वोट और बुजुर्ग व दिव्यांग मतदाताओं की ओर से घरों से की गई वोटिंग को शामिल कर लिया जाए तो कुल मतदान 74.96 फीसदी तक पहुंचता है.
प्रदेश में 2018 में पोस्टल वोट को शामिल करने पर मतदान 74.72 प्रतिशत रहा था. चुनाव आयोग की ओर से अभी भी मतदान के आंकड़े अपडेट किए जा रहे हैं. अंतिम 17सी डेटा रविवार दोपहर तक जारी होने की उम्मीद है. जैसलमेर, प्रतापगढ़, झालावाड़, बांसवाड़ा और हनुमानगढ़ जिले मतदान के लिहाज से प्रदेश में सबसे अव्वल रहे जबकि सिरोही और पाली जिलों में सबसे कम मतदान हुआ.
जैसमलेर में 82.37, प्रतापगढ़ में 82.07, झालावाड़ में 80.24 और हनुमानगढ़ में 81.35 प्रतिशत मत डाले गए जबकि पाली में 65.12 और सिरोही में 66.62 फीसदी मतदाताओं ने मताधिकार का उपयोग किया. राजस्थान में कुछ मतदान केंद्रों पर रात 8 बजे तक मतदान चलता रहा. विधानसभा क्षेत्रों के लिहाज से देखें तो जैसलमेर जिले के पोकरण विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा 87.79 फीसदी और पाली जिले के मारवाड़-जंक्शन विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम 57.36 प्रतिशत मतदान हुआ है. अलवर जिले का तिजारा विधानसभा क्षेत्र मतदान प्रतिशत (85.15) के लिहाज से दूसरे नंबर पर रहा.
राजस्थान में मतदान प्रतिशत में इस मामूली बढ़ोतरी का फायदा विपक्षी पार्टी भाजपा को मिलता नजर आ रहा है. पिछले 25 साल को मतदान ट्रेंड कुछ ऐसा ही इशारा करता है. इन ढाई दशकों के मतदान का विश्लेषण करें तो यह सामने आता है कि मतदान प्रतिशत बढ़ने का फायदा विपक्षी दल को मिलता है जबकि मतदान प्रतिशत घटने का फायदा सत्तारूढ़ पार्टी को होता है. मसलन, 1993 के मुकाबले 1998 में राजस्थान में मतदान प्रतिशत में ढाई 2.8 फीसदी की बढ़ोतरी हुई जिसके परिणामस्वरूप कांग्रेस को 153 सीटों पर जीत मिली और भाजपा 33 सीटों पर सिमट गई. 1998 के मुकाबले 2003 में मतदान प्रतिशत में 3.79 फीसदी की बढ़ोतरी हुई और भाजपा को 120 सीटों पर जीत मिली और कांग्रेस 56 सीटें जीत पाई.
2003 की तुलना में 2008 में मतदान प्रतिशत में 0.93 फीसदी की कमी आई. नतीजतन, राजस्थान में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला. 96 सीटों पर जीत मिलने के बाद कांग्रेस ने बसपा के साथ गठजोड़ की सरकार बनाई. 2008 के मुकाबले 2013 में मतदान प्रतिशत में 8.79 फीसदी की बढ़ोतरी हुई तब राजस्थान में भाजपा को बंपर 163 सीटों पर जीत मिली और कांग्रेस को सिर्फ 21 सीटों से संतोष करना पड़ा. 2018 में भी राजस्थान में मतदान प्रतिशत में 0.98 फीसदी गिरावट दर्ज हुई. नतीजतन, किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला. कांग्रेस ने 100 सीटें जीतने के बाद एक बार फिर बसपा व निर्दलीयों के सहयोग से सरकार बनाई. राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार इस बार मतदान प्रतिशत में 0.24 फीसदी की मामूली बढ़त का फायदा विपक्षी भाजपा को मिल सकता है. राजनीतिक विश्लेषक त्रिभुवन कहते हैं, "शहरी क्षेत्रों में ज्यादा मतदान होना भाजपा को फायदा मिलने का संकेत है जबकि मुस्लिम बहुल इलाकों में मतदान प्रतिशत अधिक रहना कांग्रेस के लिए संतोष की बात है.’’
अल्पसंख्यक और हॉट सीटों पर बंपर मतदान
राजस्थान में इस बार अल्पसंख्यक बहुल सीटों पर मतदान प्रतिशत ज्यादा रहा है. जैसलमेर जिले की पोकरण सीट पर सबसे ज्यादा 87.79 फीसदी मतदान हुआ है. इसके बाद अलवर जिले की तिजारा सीट ऐसी है जहां सबसे ज्यादा 85.15 प्रतिशत मतदान हुआ है. ये दोनों अल्पसंख्यक बहुल सीटें हैं तथा दोनों जगह दो महंत भी चुनाव लड़ रहे हैं. पोकरण में भाजपा के टिकट पर महंत प्रतापपुरी और तिजारा में भाजपा के अलवर सांसद बाबा बालकनाथ चुनाव लड़ रहे हैं. इन दोनों सीटों पर कांग्रेस के अल्पसंख्यक उम्मीदवार हैं. पोकरण में कांग्रेस के सालेह मोहम्मद और तिजारा में इमरान खान प्रत्याशी हैं.
राजस्थान में सबसे हॉट सीट मानी जा रही बाड़मेर जिले की शिव विधानसभा सीट पर 80.66 प्रतिशत मतदान हुआ है. भाजपा और कांग्रेस के तीन बागियों समेत यहां पंचकोणीय मुकाबला है. टिकट नहीं मिलने पर एक दिन बाद ही भाजपा छोड़कर बागी चुनाव लड़ने वाले रविंद्र सिंह भाटी, कांग्रेस के बागी फतेह खान और भाजपा के पूर्व विधायक व रालोपा उम्मीदवार जालमसिंह रावलोद यहां कांग्रेस के अमीन खान और भाजपा के स्वरूप सिंह खारा को कड़ी चुनौती दे रहे हैं.
मुस्लिम बहुल भरतपुर जिले की नगर सीट पर 80.07 प्रतिशत, भरतपुर की ही कामां सीट पर 77.80, अलवर जिले की रामगढ़ सीट पर 77.41 और जैसलमेर जिले की पोकरण सीट पर 81.12 फीसदी मतदान हुआ है. राजस्थान की एक और हॉट सीट चूरू जिले की तारानगर पर भी इस बार 82.30 प्रतिशत मतदान हुआ है. यहां से भाजपा के नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ और कांग्रेस के मौजूदा विधायक नरेंद्र बुडानिया के बीच मुकाबला है.
राजस्थान में 25 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान 80 फीसदी से ऊपर रहा है. वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विधानसभा क्षेत्र सरदारपुरा में 61.30 और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के विधानसभा क्षेत्र झालरापाटन में 76.67 प्रतिशत मतदान हुआ.
सुबह से देर रात तक यूं परवान चढ़ा मतदान
समय मतदान प्रतिशत
9 9.77
11 24.63
1 40.27
3 55.63
5 68.25
8 70.24
12 74.13