रिटेल की नई बादशाहत

रिलायंस को ऑनलाइन उद्यम जियोमार्ट में भी खासी सहायता मिलनी चाहिए. कंपनी का स्टोरों के अपने गहरे नेटवर्क का इस्तेमाल माल के स्रोत गोदामों के तौर पर करते हुए हब-ऐंड-स्पोक यानी धुरी और तीली मॉडल खड़ा करना है

अच्छा सौदा नोएडा के ग्रेट इंडिया प्लेस में बिग बाजार स्टोर
अच्छा सौदा नोएडा के ग्रेट इंडिया प्लेस में बिग बाजार स्टोर

कई वर्षों से किशोर बियाणी भारत के पारंपरिक बाजारों और गली-मोहल्ले की दुकानों पर ई-कॉमर्स के खतरे को खारिज करते रहे थे. देश में संगठित खुदरा कारोबार के अगुआ माने जाने वाले फ्यूचर ग्रुप के संस्थापक और सीईओ 59 वर्षीय बियाणी दुकान पर जाकर सीधे और आमने-सामने खरीदारी करने की भारतीय खरीदार की फितरत में पक्का यकीन करते थे. वर्षों तक उनके बिग बाजार स्टोरों पर मेगा सेल के दिनों में लोगों का जैसा जमघट लगता था, कम से कम उसे देखकर तो यही लगता था कि बियाणी सही थे.

आधुनिक रिटेल में तीन दशकों के तजुर्बे के साथ बियाणी अपने स्टोरों की तादाद में लगातार इजाफा करते रहे. परिधान, लाइफस्टाइल और किराने सहित विभिन्न फॉर्मेट में उनके स्टोरों की तादाद 1,800 पर पहुंच गई. अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए उन्होंने बीते सात वर्षों में बैंकों से भारी रकम हासिल करके पूरी छह कंपनियों का अधिग्रहण कर लिया लेकिन इससे उनके हाथ बंध गए. कुल 26,000 करोड़ रु. की बिक्री पर उनकी कंपनी के कर्ज बढ़कर 13,000 करोड़ रु. पर पहुंच गए. जब महामारी ने दस्तक दी और लॉकडाउन की वजह से कारोबार थम गए तो उनके सामने कर्ज चुकाने से चूकने की नौबत आ गई. ई-कॉमर्स शाखा नहीं होने की वजह से हालात बदतर हो गए.

भारत की निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी फर्म रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआइएल) के चेयरमैन 63 वर्षीय मुकेश अंबानी कई मायनों में उनके लिए संकटमोचन साबित हुए. अंबानी के मन में ई-टेल को लेकर बड़ी महत्वाकांक्षाएं ठाठें मार रही थीं, लेकिन ऑफलाइन रिटेल में उनके पास इलेक्ट्रॉनिक्स को छोड़कर नाज करने लायक खास कुछ नहीं था. लिहाजा अपने ऑनलाइन रिटेल को बढ़ावा देने के लिए उन्हें क्रयूचर ग्रुप में पूरक की तौर पर असल दुनिया का मुकम्मल साधन मिल गया. कई लोगों को लगता है कि 24,713 करोड़ रु. में अंबानी के लिए यह सस्ता सौदा है.

लेकिन बियाणी भी इससे बेहतर कीमत नहीं मांग सकते थे. अमेजन और वॉलमार्ट सरीखी दिग्गज कंपनियों को आकर्षित करने वाली घरेलू ई-कॉमर्स कंपनियों के मूल्य निर्धारण में तो ऊंची बढ़ोतरी हुई है, लेकिन परंपरागत स्टोरों के कारोबारों के ज्यादा ग्राहक नहीं हैं. अंबानी के पास महत्वाकांक्षा के साथ पैसा भी है और यह मायने रखता था. रिलायंस रिटेल के बोर्ड में निदेशक उनकी बेटी 28 वर्षीया ईशा अंबानी ने भी बियाणी के बारे में अच्छी राय जाहिर की. उन्होंने माना कि फ्यूचर ग्रुप ने ''भारत में आधुनिक रिटेल के विकास में अहम भूमिका निभाई'' है.


यह सौदा तीन हिस्सों में होगा. पहला, फ्यूचर ग्रुप के तमाम कारोबार फ्यूचर एंटरप्राइजेज (एफईएल) को सौंप दिए जाएंगे. आरआइएल 24,713 करोड़ रु. में एफईएल की किराना और परिधान परिसंपत्तियों का अधिग्रहण करेगा. एफईएल अपने एफएमसीजी और परिधान (प्राइवेट लेबल) ब्रांड फ्यूचर जेनेरली इंश्योरेंस जेवी और कुछ रियल एस्टेट संपत्तियां अपने पास ही रखेगा. इनमें बाद में आरआइएल कुल 2,800 करोड़ रु. में दो हिस्सों में अतिरिक्त 13 फीसद हिस्सेदारी लेगा.

इस कदम से 1.2 लाख करोड़ रु. का कारोबार निर्मित होगा, जो अपने सबसे नजदीकी प्रतिद्वंद्वी और लोकप्रिय डीमार्ट स्टोर चलाने वाले एवेन्यू सुपरमार्ट से चार गुना बड़ा होगा. रिलायंस रिटेल ने अभी परिधान और किराना सेग्मेंट में सेंध नहीं लगाई है, लिहाजा यह सौदा उसे इन दोनों क्षेत्रों में मजबूत मौजूदगी हासिल करने में मदद करेगा. अकेला किराना 737 अरब डॉलर (53 लाख करोड़ रु.) के भारतीय रिटेल सेग्मेंट का करीब 60 फीसद है. जिस दूसरे क्षेत्र में रिलायंस रिटेल अपने हाथ मजबूत करने की उम्मीद कर रहा है, वह है फैशन और लाइफस्टाइल सेग्मेंट, जिसकी इसके स्टोरों में 20 फीसद और सालाना बिक्री में 8 फीसद हिस्सेदारी है. फ्यूचर लाइफस्टाइल, सेंट्रल और ब्रांड फैक्टरी सरीखे विभिन्न फॉर्मेट में करीब 400 स्टोर और ली कूपर तथा इंडिगो नेशन सरीखे तीन दर्जन ब्रांड संभालता है. वक्त के साथ आरआइएल 70 से ज्यादा ब्रांड संभालेगा जो इसे परिधान सेग्मेंट का अगुआ बना देगा.


मोतीलाल ओसवाल इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के एक नोट के मुताबिक, आरआइएल के लिए इस सौदे की बहुत रणनीतिक अहमियत है. करीब 800 डिपार्टमेंटल ग्रोसरी स्टोरों की शक्ल में रिलायंस की पहले से ही व्यापक मौजूदगी है, जिसमें इस सौदे के बाद 34 फीसद का इजाफा होगा (फ्यूचर रिटेल के 270 डिपार्टमेंट स्टोर हैं). इसी तरह फ्यूचर लाइफस्टाइल फैशन के परिधान कारोबार के 350 से ज्यादा स्टोर हैं, जो रिलायंस के कुल करीब 2,400 स्टोर में 15 फीसद का इजाफा करेंगे. बिग बाजार पिछले दो दशकों से काम कर रहा है. नोट कहता है, 'फ्यूचर ग्रुप के लिए यह फ्लैगशिप ब्रांड है, जो ब्याज, कर, मूल्यह्रास और ऋण परिशोधन से पहले की आमदनी (ईबीआइटीडीए) देने वाली अच्छी परिसंपत्तियों के साथ बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहा है.' इसी तरह ब्रांड फैक्टरी और सेंट्रल मुनाफा देने वाली लाइफस्टाइल फैशन रिटेल चेन हैं. नोट यह भी कहता है, 'रिटेल कारोबार में पैमाना बेहद अहम है और टिकाऊ मुनाफे हासिल करना चुनौतियों से भरा साबित होता है. अगर रिलायंस रिटेल कामयाबी से दोनों को मिलाकर एक कर पाता है, तो यह (बड़ी) फायदेमंद स्थिति होनी चाहिए.'


इस सौदे की बदौलत संगठित किराना खुदरा बाजार में रिलायंस रिटेल की हिस्सेदारी 22 फीसद से बढ़कर 38 फीसद हो जाएगी. मोतीलाल ओसवाल से जुड़े विश्लेषक अलीअसगर शाकिर कहते हैं, ''संगठित किराना बाजार, एकमात्र दूसरे खिलाड़ी डीमार्ट के साथ, अब वस्तुत: दो खिलाडिय़ों के वर्चस्व में तब्दील हो गया है. रिलायंस का लक्ष्य इस क्षेत्र में गहरी पैठ बनाने का है जबकि डीमार्ट क्लस्टर तरीके पर जोर देता है. अमेजन, फ्लिपकार्ट सरीखे दिग्गजों और दूसरे ऑनलाइन खिलाडिय़ों के प्रवेश से ऑनलाइन ग्रोसरी मार्केट का आकार अब 20,000-25,000 करोड़ रु. पर पहुंच गया है.''


इस सौदे से रिलायंस को अपने ऑनलाइन उद्यम जियोमार्ट में भी खासी सहायता मिलनी चाहिए. कंपनी का मकसद इसके जरिए स्टोरों के अपने गहरे नेटवर्क का इस्तेमाल माल के स्रोत गोदामों के तौर पर करते हुए हब-ऐंड-स्पोक यानी धुरी और तीली मॉडल खड़ा करना है. हाल में पहली तिमाही के नतीजों का ऐलान करते हुए आरआइएल ने कहा कि उसके ई-किराना कारोबार के ऑर्डर एक दिन में 4,00,000 से ऊपर पहुंच गए हैं, जो उसके मुताबिक किसी भी प्रतिस्पर्धी से ज्यादा हैं.


कोविड-19 ने रिटेल सेग्मेंट को बुरी तरह चोट पहुंचाई है, वहीं ई-कॉमर्स ने अच्छा कारोबार किया. आपूर्ति शृंखला कंपनी यूनिकॉमर्स का अध्ययन कहता है कि ई-कॉमर्स के ऑर्डरों की तादाद में लॉकडाउन से पहले के मुकाबले 17 फीसद की बढ़ोतरी हुई है. डेलॉइट और रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में पिछले साल कहा गया था कि ई-कॉमर्स बाजार, जो 2017 में 24 अरब डॉलर (1.7 लाख करोड़ रुपए) का था, 2021 तक छलांग लगाकर 84 अरब डॉलर (6.1 लाख करोड़ रुपए) पर पहुंच जाएगा. इस राह पर आगे अंबानी भारी गहमागहमी के बीच बेहद व्यस्त होंगे. जहां तक बियाणी की बात है, रिटेल के साथ उनका शानदार सफर अब खत्म हुआ ही समझा जाएगा.

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