देश का मिजाजः राहुल में नई चमक मोदी का जादू फीका
टीम मोदी के कुछ कर पाने की क्षमता से लोगों का मोहभंग राहुल गांधी की छवि मजबूत कर रहा है. प्रधानमंत्री मोदी के प्रबल प्रतिद्वंद्वी के रूप में कांग्रेस उपाध्यक्ष की लोकप्रियता बढ़ रही है. इंडिया टुडे का पिछला सर्वेक्षण मोदी के लिए अगर चेतावनी था तो हालिया सर्वेक्षण के नतीजे कह रहे हैं कि बहुत देर हो जाए, इससे पहले उन्हें अपनी खोई हुई जमीन वापस पानी होगी.

नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी की छवि की अदला-बदली जितनी स्पष्ट आज है, कभी नहीं थी. प्रचारक मोदी 60 साल के सुस्त कांग्रेसी राज को पलटने का वादा करके सुधारों का प्रतीक बने थे. उन्होंने अपनी भाषण कला, चमकदार नारों, 3डी पाइरो-तकनीक वगैरह से देश को चमत्कृत कर दिया था और देश की आकांक्षाओं को आकाश में पहुंचा दिया था. नतीजाः देश की जनता ने उन्हें निर्णायक बहुमत दिलाया-25 साल में पहली बार-जिससे बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए को लोकसभा में मई 2014 के आम चुनावों में 335 सीटें हासिल हुईं.
अब तक हालांकि बतौर प्रधानमंत्री मोदी ने अभी तक सिर्फ बहलाया है. उन्होंने संरक्षणवादी जामे के भीतर आर्थिक निरंतरतावाद की एक ऐसी नीति अपनाई जिससे उनकी चाल घिसती गई और जमीन विपक्ष की ओर खिसक चुकी है. पिछले साल बिहार और दिल्ली में उनकी पार्टी की चुनावी हार के बाद उनकी अपराजेयता जाती रही और यह छवि भी धूमिल हो गई. अब धीरे-धीरे उनके बारे में भी यह धारणा पनप रही है कि हर आने वाला एक न एक दिन जाता ही है क्योंकि वे नेता के नेता ही रह गए, राजनेता कभी नहीं बन सके.
इसके उलट राहुल को 2014 में डूबता सितारा माना जा रहा था जो एक असंभव-सी चीज का बचाव करने में जुटे थे (यूपीए-2 के खराब प्रदर्शन का), जनता से जुडऩे का संघर्ष कर रहे थे और खानदानी किस्सों से आगे बढ़कर कोई व्यापक आख्यान नहीं रच पा रहे थे. मोदी को काम करने वाला शख्स माना गया था तो राहुल की छवि एक हकलाने और लटपटाने वाले स्वप्नजीवी की बन चुकी थी. नतीजा यह हुआ कि संसद में कांग्रेस 44 सीटों के साथ तकरीबन जमींदोज हो गई-यह देश की सबसे पुरानी राजनैतिक पार्टी का आजादी के बाद अब तक का सबसे खराब आंकड़ा था.
देश का मिजाज जनमत सर्वेक्षण दिखाता है कि राहुल का यह नया जोश और जज्बा उन्हें लाभ दे रहा है. आज चुनाव हो गए तो कांग्रेस की अगुआई वाला यूपीए 2015 की 59 सीटों से बढ़कर 110 पर पहुंच जाएगा. यह चलन लगातार ऊपर की ओर है क्योंकि अगस्त में किए गए जनमत सर्वेक्षण में उसे 81 सीटें मिल रही थीं. अहम यह भी है कि पिछले सर्वेक्षण के मुकाबले राहुल की लोकप्रियता में 14 फीसदी का इजाफा हुआ है और वे मोदी का विकल्प बनकर उभरे हैं. अगस्त में वे 8 फीसदी पर थे लेकिन आज 22 फीसदी पर हैं.
मोदी अब भी हालांकि 40 फीसदी के साथ सबसे लोकप्रिय हैं और प्रधानमंत्री पद के लिए सबसे उपयुक्त माने जा रहे हैं, लेकिन राहुल के बढ़ते अंक दिखाते हैं कि बीजेपी के लिए अब चिंता करने का वक्त आ गया है. पिछले साल इस मामले में मोदी को चुनौती देने वाले अरविंद केजरीवाल फिलहाल तीसरे पायदान पर सरक चुके हैं. अहम आर्थिक मुद्दों पर मोदी सरकार की नाकामी भी राहुल को लाभ दे रही है. मतदाता बढ़ती कीमतों को सबसे बड़ी चिंता मान रहे हैं जो खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों को काबू में न कर पाने की एनडीए की मजबूरी को दर्शा रहा है.
इंडिया टुडे का पिछला सर्वेक्षण मोदी के लिए अगर चेतावनी था तो हालिया सर्वेक्षण के नतीजे कह रहे हैं कि बहुत देर हो जाए, इससे पहले उन्हें अपनी खोई हुई जमीन वापस पानी होगी. उनके प्रमुख अभियान जैसे स्वच्छ भारत, मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया और स्टार्ट-अप इंडिया वगैरह सभी सराहनीय हैं लेकिन इनके फल मिलने में बहुत वक्त लगेगा.
बीजेपी को कट्टर हिंदुत्ववादी तत्वों पर लगाम कसनी होगी और विकास के एजेंडे को पटरी पर उतारने से रोकना होगा. असम को छोड़ दें तो वैसे भी पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु में बीजेपी कोई खास प्रदर्शन करने नहीं जा रही है. इसीलिए प्रधानमंत्री को राज्यों में टांग फंसाने की बजाए सुधारों की राह पर आगे बढऩा चाहिए.
जहां तक राहुल की बात है, तो देश अब उन्हें गंभीरता से लेने लगा है और मोदी का इकलौता विकल्प मानकर चल रहा है. कांग्रेस के उपाध्यक्ष ने अपनी संकोची छवि को झाड़ते हुए जबरदस्त वापसी की है. विपक्ष के नेता की भूमिका में उन्होंने भूमि अधिग्रहण जैसे मुद्दे पर मोदी सरकार को करारा झटका दिया है. लेकिन इंडिया टुडे का सर्वेक्षण दिखाता है, संसद को बाधित करने की कवायद को लोग ठीक नहीं मानते हैं और इसे “न खेलूंगा, न खेलने दूंगा” वाली प्रवृत्ति मानते हैं.
मोदी की राह रोकना एक अच्छी रणनीति हो सकती है, लेकिन राहुल को अब ऐसी रणनीति पर काम करना होगा जो कांग्रेस को बीजेपी का असली विकल्प बनाकर उभार सके.
सर्वेक्षण का तरीका
इंडिया टुडे ग्रुप के देश का मिजाज सर्वेक्षण को कर्वी इनसाइट्स लिमिटेड ने अंजाम दिया है. 19 राज्यों (आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल) के 97 संसदीय क्षेत्रों में 13,576 इंटरव्यू किए गए.
प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में चार दिशाओं में आठ शुरुआती केंद्र बनाए गए थे और फिर राइट हैंड रूल का इस्तेमाल करते हुए लोगों को प्रश्नावली थमाई गई. देश का मिजाज सर्वेक्षण के लिए फील्ड वर्क को 24 जनवरी से 5 फरवरी के बीच अंजाम दिया गया. सर्वेक्षण में आए आंकड़ों की कई स्तर पर पड़ताल की गई. सभी इंटरव्यू को फेस टू फेस अंजाम दिया गया है. सर्वेक्षण को कर्वी इनसाइट्स के रंजीत छिब और दीक्षित चनाना के दिशा-निर्देशों के बीच किया गया.