गंगा आरती

महत्व

गंगा आरती एक दैनिक अनुष्ठान है जो शुद्धता की अप्रतिम प्रतीक मां गंगा के प्रति सम्मान और कृतज्ञता के भाव को दर्शाता है. जीवन के आधार अग्नि, जल और वायु तत्वों के बीच अद्भुत सामंजस्य का यह दृश्य भक्ति और आध्यात्मिकता से ओत-प्रोत होता है.

कैसे पहुँचें

गंगा आरती का मुख्य अनुष्ठान दशाश्वमेध घाट पर होता है और वाराणसी के किसी भी हिस्से से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है. यही वजह है कि इस दिव्य नजारे के साक्षी बनने के लिए बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं.

प्रमुख मूर्ति

गंगा आरती के दौरान नदी की पूजा एक देवी के तौर पर की जाती है जो शुभता, पवित्रता और आध्यात्मिकता की प्रतीक हैं. आरती के साथ यही कामना होती है कि मां गंगा एक पोषणकर्ता और जीवनदायिनी के तौर पर सभी का कल्याण करें.

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आस्था और परंपरा का संगम मानी जाने वाली गंगा आरती भक्तों को एक अलग ही अलौकिक अनुभव कराती है.
दिल को गहराइयों तक छू लेने वाले इस अनुष्ठान के जरिये परम पावन गंगा के प्रति कृतज्ञता और सम्मान प्रदर्शित किया जाता है.
शाम ढलते ही गंगा आरती से रौशन घाट और वहां गूंजते वैदिक मंत्रोच्चार भक्त और भगवान के बीच एक शाश्वत बंधन को दर्शाते हैं.
गंगा आरती की कालातीत परंपरा जीवनदायिनी नदी के प्रति अगाध श्रद्धा की प्रतीक है.
गंगा आरती के बीच नदी में प्रवाहित दीपकों की टिमटिमाती रोशनी पूरे वातावरण में अलौकिक दृश्य उत्पन्न करती है.
गंगा आरती की शाश्वत परंपरा में शामिल होने वाले श्रद्धालु श्रद्धा और भक्तिपूर्ण माहौल में एक समृद्ध परंपरा के साक्षी बनते हैं.
यह एक बेहद सामंजस्यपूर्ण अनुष्ठान है जो परस्पर एकता के महत्व को बभी रेखांकित करता है.
वैदिक मंत्रोच्चार और पूजा-अर्चना के बीच वाराणसी के घाटों पर होने वाली गंगा आरती आध्यात्मिक संबंधों को भी गहरा करती है.
जलधारा के बीच गूंजते मंत्रोच्चार और भजनों की धुन सद्भाव का संदेश देती है.
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