मंदिरों की नगरी राम जन्मस्थली

महत्व

राम जन्मभूमि स्थल भगवान राम के जन्मस्थान के रूप में माने जाने के कारण अत्यधिक धार्मिक महत्व रखता है, जो विष्णु के अवतार हैं। यह स्थल भक्ति का केंद्र बिंदु है, जो अनगिनत तीर्थयात्रियों को अपने पवित्र प्रांगण में खींचता है, जो रामायण की कथाओं से गूंजता है, जो आध्यात्मिकता, इतिहास, और सांस्कृतिक पहचान का संगम है।

कैसे पहुँचें

अयोध्या उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 140 किमी और फैजाबाद से 7 किमी की दूरी पर स्थित है. यहां विमान, ट्रेन या बस के रास्ते आसानी से पहुंचा जा सकता है. अयोध्या पहुंचने के बाद राम जन्मभूमि स्थल पहुंचने के लिए कैब और ऑटो-रिक्शा जैसी स्थानीय परिवहन सुविधाएं बेहद आसानी से उपलब्ध हैं.

प्रमुख देवता

राम जन्मभूमि में भगवान राम को सदाचार, वीरता और मर्यादापूर्ण जीवन के प्रतीक के तौर पर पूजा जाता है. भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम को बुराई पर अच्छाई के प्रतीक के तौर पर प्रतिष्ठापित किया गया है. रामायण में वर्णित उनका चरित्र रिश्तों के प्रति कर्तव्यों को निभाने के लिए प्रेरित करता है तो नैतिक शुद्धता और उदार व्यवहार के पालन की भी सीख देता है.

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राम मंदिर: भगवान श्रीराम की दिव्य प्रतिमा भक्तों को आकंठ आस्था की भावना से भर देती है.
शांत और भक्तिमय वातावरण के बीच भक्त यहां पवित्र वैदिक अनुष्ठानों में शामिल होते हैं.
मंदिर के आंतरिक हिस्से में अलंकृत खंभे और गुंबद, भगवान राम के दिव्य निवास की शोभा बढ़ाते नजर आते हैं.
राम मंदिर का बाहरी हिस्सा श्रद्धा और भक्ति के साथ उत्कृष्ट वास्तुकला का प्रतीक है, और दुनियाभर से तीर्थयात्रियों को आकृष्ट करता है.
राम मंदिर भगवान राम और उनके दर्शनों के लिए पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के बीच एक शाश्वत बंधन का प्रतीक है.
घंटों की ध्वनि, वैदिक मंत्रोच्चार और हर तरफ फैली धूप की सुगंध भक्तों को आध्यात्मिक आनंद का अनुभव कराती है.
राम मंदिर का अग्रभाग शाश्वत सुंदरता तो बिखेरता ही है, अयोध्या की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का प्रतीक भी है.
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