हनुमान गढ़ी

महत्व

अयोध्या के मध्य स्थित हनुमानगढ़ी के बारे में पौराणिक मान्यता है कि यहां से खुद हनुमानजी पूरी नगरी पर नजर रखते हैं. राम के प्रति भक्ति और हनुमान की असीम शक्ति का प्रतीक यह मंदिर अपनी आभा से तीर्थयात्रियों और आगंतुकों में कौतुक जगाता है. पौराणिक गाथाओं की जीवंत मिसाल यह मंदिर अपनी अनूठी वास्तुकला की वजह से भी खास महत्व रखता है. गर्भगृह तक पहुंचने के लिए बनी इसकी 76 सीढ़ियां भक्तों की आध्यात्मिक यात्रा का प्रतीक मानी जाती हैं.

कैसे पहुँचें

अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन से करीब एक किलोमीटर दूर के इस प्राचीन मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है. पर्यटक ट्रेन से अयोध्या कैंट स्टेशन पहुंचकर भी मंदिर तक जाने के लिए स्थानीय परिवहन जैसे ऑटो-रिक्शा या टैक्सी का उपयोग कर सकते हैं.

प्रमुख देवता

हनुमानगढ़ी में प्रमुख देवता के तौर पर हनुमानजी विराजमान हैं, जो अटूट भक्ति, असीम शक्ति और निस्वार्थ सेवा के प्रतीक के तौर पर प्रतिष्ठापित हैं. पौराणिक मान्यता है कि लंका विजय करके लौटे श्रीराम ने अपने प्रिय भक्त हनुमान को यह जगह उनके रहने के लिए दी थी. और कहा जाता है कि अयोध्या आने वालों को प्रभु राम के दर्शन से पहले हनुमानगढ़ी में माथा टेकना चाहिए. यह मंदिर श्रद्धालुओं को आस्था और निष्ठा के साथ गहरे समर्पण के लिए प्रेरित करता है.

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हनुमान गढ़ी में कदम रखते ही श्रद्धाओं को एक तरह की आध्यात्मिक ऊर्जा की अनुभूति होती है.
मंदिर के भीतर धूप की सुगंध के बीच गूंजते भजन-आरती के सुर आध्यात्मिक शांति के भाव से भर देते हैं.
हनुमान गढ़ी के अंदर भक्त तमाम तरह के धार्मिक और आध्यात्मिक अनुष्ठानों में हिस्सा लेते हैं.
भक्ति और शक्ति के प्रतीक भगवान हनुमान को प्रसन्न करने के लिए मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है.
आध्यामिक शांति और हनुमानजी का आशीर्वाद पाने के लिए बड़ी संख्या में भक्त हनुमानगढ़ी पहुंचते हैं.
हनुमान गढ़ी का आंतरिक हिस्सा दर्शाता है कि कैसे यह मंदिर सदियों से भक्ति और श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है.
अटूट भक्ति और निस्वार्थ सेवा का संदेश देता यह मंदिर शाश्वत सुरक्षा का भाव जगाने का प्रतीक भी है.
हनुमान गढ़ी के अंदर का शांत माहौल श्रद्धालुओं को भक्ति भाव से ओतप्रोत कर देता है.
भगवान की शरण में आए श्रद्धालुओं की पूजा-अर्चना के बीच यहां की आभा कुछ अलग ही छठा बिखेरती है.
आंतरिक हिस्सा सदियों पुरानी विरासत का हिस्सा है और आध्यात्मिक साधकों को भक्तिमय माहौल उपलब्ध कराता है.
मंदिर के भीतर बिखरी धूप की सुगंध और घंटों की ध्वनि के बीच श्रद्धालु अपनी ही धुन में मगन नजर आते हैं.
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