कानपुर के गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कालेज के कोरोना वार्ड में रिमोट से चलने वाली लाल रंग की टॉय कार को घूमता देखकर आप यह नहीं समझ लीजिएगा कि यह वार्ड में भर्ती किसी बच्चे के मनोरंजन के लिए मौजूद है. आप हैरत में पड़ेंगे जब यह देखेंगे कि इस कार में दवाएं भरकर इसे रिमोट के जरिए कोरोना वार्ड में भर्ती मरीजों के बेड तक बारी-बारी से पहुंचाया जाता है और मरीज इसमें से दवाएं निकाल कर अपने पास रख लेता है.
केवल दवाएं ही नहीं मरीजों का खाना, पानी की बोतल से लेकर रोजमर्रा के जरूरत का सामान मसलन तेल, साबुन आदि भी टॉय कार से भेजी जा रही है. कोरोना वार्ड से बाहर आने के बाद हर बार टॉय कार को सेनेटाइज किया जाता है. इस तरह कोरोना संक्रमण से मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा के लिए कानपुर के गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज ने अनूठा रास्ता निकाल लिया है. इस कार में करीब 20 किलो तक का सामान एक बार में रख कर वार्ड में वार्ड में भेजा रहा है.
इस अनोखे प्रयोग की सूत्रधार कानपुर मेडिकल कालेज की प्रधानाचार्य और डीन प्रो. आरती देव बालचंदानी हैं. ‘इंडिया टुडे’ से फोन पर बातचीत में प्रो. बालचंदानी ने बताया “पिछले दिनों जयपुर के एक हॉस्पिटल द्वारा लड़की की शक्ल वाले एक रोबोट के इस्तेमाल की खबर टीवी पर दिखाई गई थी. यह खबर देखने के बाद मेरे कॉलेज ने भी इस बारे में विचार करना आरंभ किया, लेकिन यह पाया गया कि उस रोबोट के हाथ में जो ट्रे रखी गई है उसपर बहुत अधिक सामान नहीं रखा जा सकता. ऐसे में कॉलेज के प्रमुख डाक्टरों की टीम ने बैठक की. इस बैठक में मैँने रिमोट से चलने वाली टॉय कार के इस्तेमाल का प्रस्ताव रखा, जिसे फौरन स्वीकार कर लिया गया.” इसके बाद प्रो बालचंदानी ने कानपुर के मॉल में बच्चों के मनोरंजन के लिए इस्तेमाल की जाने वाली टॉय कार के बारे में जानकारी ली. प्रो. बालचंदानी बताती हैँ “आठ से दस हजार रुपये कीमत: रिमोट से चलने वाली सामान्य टॉय कार की कीमत साढ़े आठ से दस हजार रुपए तक है. तुरंत इसकी खरीदारी नहीं कर सकते क्योंकि इसे किस मद में खरीदा जाए? इसलिए हमने एक कार किराए पर ली है और इसका उपयोग कोरोना के मरीजों को दवा आदि देने के लिए सफलता पूर्वक किया जा रहा है.” यह कार रोबोट के मुकाबले कहीं अधिक सस्ती है. प्रो. बालचंदानी के साथ इस अनोखे प्रयोग में कॉलेज के सुपरिंटेंडेट इन चीफ डॉ. आरके. मौर्या, डॉ. प्रेम सिंह, डॉ. संजय काला, डॉ. अपूर्व अग्रवाल, डॉ. यशवंत राव और डॉ. अग्रहरि शामिल हैं.